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जनादेश/ 2019 पंजाबः दोनों तरफ दांव भारी

पंजाब का चुनावी माहौल 2014 से बिलकुल विपरीत, सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने बिखरा विपक्ष कमजोर
चुनाव प्रचार के दौरान अभिनेता और भाजपा प्रत्याशी सन्नी देओल

पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के गुरदासपुर में सुबह 8 बजे भी भीषण गर्मी की तपिश का एहसास होता है। ऐसा ही गर्म यहां का चुनावी माहौल 19 मई को होने वाले मतदान से पहले बना हुआ है। गुरदासपुर में किराए के घर में रह रहे सांसद सुनील जाखड़ का नाश्ते की टेबल पर कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर रंधावा समेत कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं। पूजाघर से निकल नाश्ते की टेबल की ओर बढ़ते जाखड़ पूछते हैं कि आज के प्रचार की तैयारी पूरी है? गुरदासपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार जाखड़ का करीब 25 दिन से यही रूटीन है कि वह सुबह साढ़े आठ बजे चुनाव प्रचार के लिए गांवों की ओर निकलते हैं और रात 11 बजे तक वापस लौट पाते हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जाखड़ के खिलाफ 10 दिन पहले ही चुनाव प्रचार में उतरे भाजपा-शिरोमणि अकाली दल (शिअद) गठबंधन के उम्मीदवार फिल्म स्टार सन्नी देओल ने गुरदासपुर को राज्य की सबसे हॉट सीट बना दिया है। सन्नी सुबह साढ़े चार बजे उठकर दिनचर्या जिम से शुरू करते हैं। पठानकोट में वह अपना ‘मोबाइल जिम’ मुंबई से साथ लाए हैं। करीब 10 बजे वह चुनाव प्रचार के लिए निकलते हैं। सन्नी के मैदान में उतरने से गुरदासपुर के कांग्रेसी खेमे में खलबली है।

2014 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से चौथी बार भाजपा के सांसद चुने गए विनोद खन्ना की 2017 में मौत के बाद हुए उपचुनाव में जाखड़ ने 1.93 लाख वोटों के अंतर से भाजपा से यह सीट छीन ली थी। इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए भाजपा ने दिवंगत विनोद खन्ना के परिवार और स्थानीय भाजपा नेताओं को दरकिनार करते हुए सन्नी देओल के स्टारडम पर दांव खेला है। सन्नी के स्टारडम पर सुनील जाखड़ आउटलुक से कहते हैं कि सन्नी परदे पर फिल्म बनाते हैं, हम जनता के बीच ग्राउंड पर। हमारी पिक्चर सुपरहिट है। रोजाना 12 से 14 घंटे तक प्रचार में जुटे रहने वाले 65 वर्षीय जाखड़ को 40 साल का सियासी अनुभव और गुरदासपुर में बतौर सांसद डेढ़ साल में किए विकास कार्यों का फायदा मिलने की उम्मीद है।

इधर, 62 वर्षीय सन्नी देओल अपनी सभाओं में ढाई किलो का हाथ और हिंदुस्तान जिंदाबाद के डायलॉग बोलते हैं। करीब सात घंटे के रोड शो के दौरान कभी पगड़ी तो कभी टोपी पहन तीन सभाओं में औसतन तीन मिनट बोलने वाले सन्नी कांग्रेस पर हमला करने के बजाय मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर वोट मांगते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन से मिली तीन में से दो सीटों गुरदासपुर और होशियारपुर पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा ने इस बार तीनों ही सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं। इनमें दो बाहरी उम्मीदवार हैं। 2014 में अमृतसर से अरुण जेटली को बाहरी उम्मीदवार होने के विरोध के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह से एक लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी अमृतसर से भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का बाहरी होने पर विरोध हो रहा है। पुरी की टक्कर कांग्रेस के मौजूदा सांसद गुरमीत औजला से है।

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और उम्मीदवार सुनील जाखड़

होशियारपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री विजय सांपला का टिकट काट फगवाड़ा से विधायक सोमप्रकाश को टिकट दिए जाने से भाजपा यहां नाराज सांपला के भितरघात से जूझ रही है। भाजपा के प्रदेश अघ्यक्ष श्वेत मलिक ने आउटलुक से कहा कि दो साल में कैप्टन अमरिंदर सरकार फेल साबित हुई है। भाजपा अपनी तीनों सीटें जीतने जा रही है। स्थानीय मुद्दों के बजाय प्रधानमंत्री मोदी, सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा 1984 के सिख दंगों के आरोपियों को सजा और जांच के लिए गठित एसआइटी का हवाला देकर कांग्रेस को घेर रही है।

यहां पहली बार बादल परिवार के दो सदस्य शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल तथा उनकी पत्नी और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। फिरोजपुर में अपनी ही पार्टी के बागी कांग्रेसी उम्मीदवार शेर सिंह घुभाया के खिलाफ चुनाव जीतना सुखबीर के लिए आसान माना जा रहा है, पर हरसिमरत कौर को बठिंडा में कांग्रेस के राजा वड़िंग और छह क्षेत्रीय दलों के गठजोड़ वाले पंजाब डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीए) के टिकट पर सुखपाल खैहरा से टक्कर मिल रही है।

2014 के चुनाव में कांग्रेस के मनप्रीत बादल से मात्र 19,000 वोटों से जीतने वाली हरसिमरत कौर को जिताने के लिए 92 वर्ष की उम्र में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अपने विधानसभा हलके लंबी में घर-घर जा रहे हैं। इस बार पंजाब का चुनावी माहौल 2014 से एकदम विपरीत है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने बिखरा विपक्ष कमजोर है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही सभी सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस किसान कर्जमाफी, नशे और धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं की निष्पक्ष जांच को लेकर विरोधियों के निशाने पर है। बहबल कलां तथा कोटकपुरा गोलीकांड में हुई सिख युवकों की मौत की जांच को लेकर कांग्रेस सरकार और शिअद कटघरे में हैं।

कैप्टन सरकार के दो साल के कार्यकाल में कर्ज के बोझ में 900 से अधिक किसानों की आत्महत्या भी कर्जमाफी पर सवाल खड़े कर रही है, पर शिअद और आम आदमी पार्टी (आप) में टूट का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस 13 में से आठ सीटों पर मजबूत मानी जा रही है। बाकी पांच सीटों में दो सीटें फिरोजपुर और फरीदकोट शिअद, पंथक सीट हजूर साहिब पीडीए के पक्ष में जा सकती है।

फिल्म स्टार सन्नी देओल के चुनाव मैदान में उतरने की वजह से भाजपा गुरदासपुर सीट पर मजबूत मानी जा रही है। इस बार आप एक सीट पर मजबूत है। आप के प्रदेश अध्यक्ष सांसद भगवंत मान संगरूर सीट पर कांग्रेस के केवल ढिल्लों और शिअद-भाजपा गठबंधन के परमिंदर सिंह ढींढसा पर चुनाव प्रचार में बढ़त बनाए हुए हैं। पटियाला सीट से तीन बार सांसद रही, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर को 2014 में 20,942 वोटों से हराने वाले आप के निलंबित सांसद धर्मवीर गांधी इस बार पीडीए की ओर से इस सीट पर दूसरी बार कैप्टन की पत्नी को चुनौती दे रहे हैं। जालंधर सुरक्षित सीट पर कांग्रेस और शिअद में मुकाबला है। लुधियाना में कांग्रेस के रवनीत बिट्टू का मुकाबला पीडीए और अकाली दल से है। आनंदपुर साहिब में कांग्रेस के मनीष तिवारी और शिअद के प्रेमसिंह चंदूमाजरा के बीच टक्कर है।

शिअद और आप के बागी पांच मौजूदा सांसद पार्टी छोड़ इन चुनावों में अपने लिए नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं। सातवीं बार टूटे शिअद से इस बार अलग हुए शिअद (टकसाली) नेताओं सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, पूर्व मंत्री रतन सिंह अजनाला और पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां ने पिता-पुत्र प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शिअद टकसाली दल खड़ा किया जिसकी माझा क्षेत्र में अच्छी पैठ है।

ब्रह्मपुरा ने खडूर साहिब सीट से अपने उम्मीदवार पूर्व सेना प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह को मैदान से हटाकर पीडीए की उम्मीदवार बीबी परमजीत कौर खालड़ा को समर्थन देकर एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष और शिअद उम्मीदवार बीबी जागीर कौर की राह मुश्किल कर दी है।

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