Advertisement

कुंभः कोरोना का साया

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री ने हर 'रोक-टोक' हटाकर आस्था पर बल दिया मगर महामारी की तेजी ने फीकी कर दी रौनक
शिवरात्रि के स्नान के दौरान नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हरिद्वार कुंभ को दिव्य और भव्य बनाने की जुगत में हैं। लेकिन कोविड-19 का लंबा होता साया बड़ी रुकावट की तरह अड़ा है। कुंभ में आने वालों को अधिकतम 72 घंटे पुरानी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट या कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक लेने का प्रमाणपत्र साथ लाना होगा। रेलवे प्रशासन से नई ट्रेन चलाने का आग्रह श्रद्धालुओं को लाने के लिए नहीं, बल्कि ले जाने के किया गया है। कुंभ की अधिसूचना एक अप्रैल को जारी होगी। 12,14, 28 अप्रैल को शाही स्नान होगा।

अमूमन कुंभ या अर्द्ध कुंभ जनवरी में ही शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार हरिद्वार कुंभ पर कोरोना का संकट मंडराता रहा है। कोविड संकट के मद्देनजर सरकार के पूर्व मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ को सीमित रखने का फैसला किया था। जनवरी में कोई भव्य स्नान नहीं हुआ। संत समाज के भारी विरोध के बाद फरवरी में मकर संक्रांति का शाही स्नान करवाया गया। इसके बाद सरकार ने साफ कर दिया कि कुंभ अधिकतम 48 दिनों का होगा और आने वालों को कोविड-19 की अधिकतम 72 घंटे पुरानी रिपोर्ट साथ लानी होगी। मार्च के पहले पखवाड़े में सत्ता बदल गई और तीरथ सिंह रावत ने शपथ लेते ही ऐलान किया कहा कि कुंभ में कोई "रोक-टोक" नहीं होगी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का हरिद्वार के व्यापारियों और संत समाज ने खासा स्वागत किया।

इन हालात के बीच ही हरिद्वार में कुंभ के निर्माण कार्यों को लेकर तमाम सवालात खड़े होने लगे। अरबों के काम अधूरे पड़े हैं। यह मामला नैनीताल हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए पहुंचा। हाइकोर्ट की खंडपीड ने अपने एक न्यायिक अधिकारी को तमाम कार्यों की सच्चाई जांचने का आदेश दिया। इसी बीच खंडपीठ ने कुंभ के द्वार सभी के लिए खोलने के मामले का भी संज्ञान लिया। 24 मार्च की सुनवाई में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी और मेलाधिकारी दीपक रावत की मौजूदगी में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एस. चौहान और आलोक वर्मा की खंडपीड ने अंतरिम आदेश में दो रिपोर्ट का हवाला देते हुए तमाम खामियों का खुलासा किया। इसमें कहा गया है कि कुंभ के लिए साढ़े पांच सौ बेड के तिमंजिले भवन में मरीजों के लिए न तो लिफ्ट है और न ही रैंप। बेड के पास आक्सीजन सिलेंडर भी नहीं लगाए गए हैं। वेंटिलेटर का भी इंतजाम नहीं है।

आदेश में लिखा है कि हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में हालात ठीक हैं लेकिन पौड़ी, टिहरी और देहरादून जिले की सीमा में आने वाले कुंभ क्षेत्र में कोई सुविधाएं नहीं हैं। तपोवन, स्वर्गाश्रम और मुनि की रेती कुंभ क्षेत्रों के घाटों का नवीनीकरण भी नहीं कराया गया है। इन क्षेत्रों में मोबाइल यूरिनल और वाशरूम भी नहीं है। हरिद्वार स्थित हर की पैडी के बारे में कहा गया है कि यहां महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम नहीं है। महिला घाट पर वाशरूम और शौचालय की हालत खराब है। हाइकोर्ट ने कहा कि कुंभ क्षेत्र कोविड-19 महामारी का ब्रीडिंग ग्राउंड न बन जाए।

इस आदेश के बाद मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने तीन दिन तक कुंभ क्षेत्र का निरीक्षण किया। आउटलुक से बातचीत में उन्होंने माना कि कुछ खामियां मिलीं और उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। यह तय किया गया है कि राज्य के बाहर से आने वाले हर श्रद्धालु के पास अधिकतम 27 घंटे पुरानी कोविड नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन के दोनों टीके लगने का प्रमाणपत्र होने के बाद ही कुंभ क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा। इस बार रेलवे से हरिद्वार आने के लिए नहीं, बल्कि यहां से जाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने का आग्रह किया गया है। सरकार श्रद्धालुओं के स्नान के बाद हरिद्वार की सीमा तक छोड़ने के लिए स्पेशल बसें चलवाएगी। हरिद्वार में अधिकतम पांच लाख लोग ही एक समय में रुक सकते हैं। ऐसे में सरकार दो हजार लोगों के लिए रात्रि विश्राम की अतिरिक्त व्यवस्था करेगी।

Advertisement
Advertisement
Advertisement