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बॉलीवुड/इंटरव्यू/नवाजुद्दीन सिद्दीकी: ‘‘बॉलीवुड फिल्में मंदबुद्धि फॉर्मूला’’

बकौल नवजुद्दीन सिद्दीकी, उनमें कभी स्टार बनने की ख्वाहिश नहीं रही, मगर एक्टर बनना तो उनका अपना खास शगल है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी

बकौल नवजुद्दीन सिद्दीकी, उनमें कभी स्टार बनने की ख्वाहिश नहीं रही, मगर एक्टर बनना तो उनका अपना खास शगल है। फिर, उन्हें हमेशा यह एहसास भी रहा है कि जिंदगी में कुछ खास चुन लेते हैं तो उसकी मुश्किलात से सामना होगा ही। सीरियस मैन की भूमिका के लिए इंटरनेशनल एम्मीज 2021 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में नामांकित किए जाने के मौके पर उन्होंने लक्ष्मी देब राय से बातचीत में फिल्म उद्योग में अपने सफर, निर्देशक सुधीर मिश्रा के साथ काम करने के अनुभवों को साझा किया। प्रमुख अंश:

 

सीरियस मैन में भूमिका के लिए इंटरनेशनल एम्मीज 2021 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में नामजद होने पर कैसा लग रहा है?

मैं बहुत खुश हूं और मुझे लगता है कि मेरा फिल्मों का चयन सही है। अभिनेता के तौर पर सही काम चुनना काफी अहम है। मैं इसमें माथा फोड़ी नहीं करता कि बॉक्स ऑफिस पर मेरी फिल्म हिट होगी या नहीं। केवल एक चीज पर मैं ध्यान लगाता हूं और वह है अच्छा काम और अच्छा कंटेंट।

आप हमेशा से अभिनेता बनना चाहते थे, स्टार नहीं। इसके पीछे कोई खास वजह?

जब अवार्ड और नॉमिनेशन की बात आती है, तो मुझे लगता है कि और भी बेहतर करने का भरोसा जगता है। मैं किसी और से नहीं बल्कि खुद से प्रतिस्पर्धा करने में विश्वास करता हूं। मैं अपने हुनर के लिए पहचाना जाना चाहता हूं। अगर मैं खुद को स्टार के रूप में देखना शुरू कर दूं, तो कम्फर्ट जोन में आ जाऊंगा और उससे बाहर निकलना नहीं चाहूंगा। मैं विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के साथ प्रयोग करना चाहता हूं जो मैं कर भी रहा हूं। मैं ऐसा अभिनेता बनना चाहता हूं, जो अभिनय की नई तकनीकों को स्वीकारने के लिए तैयार हो और अभिनेता के रूप में नए क्षेत्रों को खोजता हो। मुझे लगता है, बतौर हुनरमंद यही मुझे जिंदा रख सकता है।

सीरियस मैन में सुधीर मिश्रा के साथ काम करने के अनुभव के बारे में कुछ बताएं।

सुधीर मिश्रा का जीवन के प्रति नजरिया बहुत दिलचस्प है। वे पक्षपाती नहीं हैं और यही उनके बारे में सबसे अच्छी बात है। वे खुले दिमाग के हैं और सुनने को तैयार रहते हैं। एक बात और जो मैंने उनमें देखी, उनकी उम्र जैसे-जैसे बढ़ रही है, जीवन को देखने का उनका नजरिया उतना ही जवां होता जा रहा है। उन्हें सिनेमा और जीवन के बारे में इतना ज्ञान है कि मैं जब भी उनके साथ काम करने जाता हूं, तो पूरी तरह से समर्पण कर देता हूं। मैं उनके पास कोरे कागज की तरह जाता हूं और उनसे उस पर इबारत लिखने को कहता हूं। मुझे लगता है कि अगर मैं अपनी मर्जी से काम करना शुरू कर दूं और निर्देशक की न सुनूं, तो कम्फर्ट जोन में पहुंच जाऊंगा और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो। मनोरंजन उद्योग में अपने अनुभव से मैंने देखा है कि जिस क्षण मैं निर्देशक के सामने समर्पण कर देता हूं, मेरे लिए नतीजे अच्छे आते हैं, क्योंकि मेरा मानना है कि वे जानते हैं कि मेरे लिए अच्छा क्या है।

फिल्म इंडस्ट्री में आपका सफर कैसा रहा?

मैंने इंडस्ट्री से जितनी उम्मीद की थी, उससे कहीं ज्यादा मुझे मिला। मैंने कभी बड़ा अभिनेता बनने का सपना नहीं देखा। मेरी एक ही इच्छा थी कि मैं अभिनय को पेशे के रूप में अपनाऊं, चाहे वह थिएटर हो या बड़ा परदा। मैंने हमेशा खुद से कहा कि किसी फिल्म या शो में मेरा रोल कितना भी छोटा क्यों न हो, मुझे उसे पूरी लगन और ईमानदारी से करना चाहिए।

आपको कभी ठेठ बॉलीवुड फिल्मों में दिलचस्पी क्यों नहीं रही?

आप बॉलीवुड फिल्में देखती हैं, तो आपने महसूस किया होगा कि काफी हद तक ये मंदबुद्धि फिल्में हैं। इन फिल्मों में अभिनय के लिए किसी खास प्रतिभा की आवश्यकता नहीं होती। बॉलीवुड की सामान्य फिल्मों में पांच गाने, आधे घंटे के एक्शन सीन और आधे घंटे की कोरियोग्राफी होती है, इसलिए अभिनेता के पास अपनी प्रतिभा दिखाने की गुंजाइश नहीं रहती। बॉलीवुड बहुत ही स्थानीय और फॉर्मूलाबद्ध है।

सिनेमा की मेरी रुचि या पसंद अलग है। बॉलीवुड की फॉर्मूला फिल्मों में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है और शायद इसी वजह से मैं भाई-भतीजावाद का शिकार नहीं हुआ। मुझे हमेशा से उस सिनेमा का हिस्सा बनने में दिलचस्पी थी, जिसे वैश्विक पहचान मिले। पूरी दुनिया में बॉलीवुड का असर शून्य है। लोग बॉलीवुड फिल्मों का मजाक उड़ाते हैं। मैं बॉलीवुड या बॉलीवुड के फॉर्मूला सिनेमा से ताल्लुक नहीं रखता। मेरे पास उसे देने या उससे लेने को कुछ नहीं है। मैं अभिनेता बनने मुंबई आया था और जीवन भर मेरा एकमात्र उद्देश्य अपने हुनर में सुधार करना होगा।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी

सीरियस मैन की भूमिका के लिए कैसे तैयारी की?

इस भूमिका के लिए कोई तैयारी नहीं की। राजस्थान में मैं एक प्रेम कहानी की शूटिंग कर रहा था। जैसे वह खत्म हुई, मैं सीधा सुधीर मिश्रा के सेट पर गया। सब कुछ मौके पर ही हुआ। मुझे विश्वास था कि यह सुधीर मिश्रा की फिल्म है, इसलिए वे सब कुछ संभाल लेंगे। चरित्र की तैयारी सेट पर ही शुरू हुई और एक आज्ञाकारी छात्र की तरह मैंने निर्देशक का अनुसरण किया।

यह मनु जोसफ के उपन्यास का रूपांतरण है। इसमें कितनी सिनेमाई आजादी ली गई है?

यह उपन्यास बहुत बड़ा है। लेकिन फिल्म में निर्माता ने उपन्यास के सार का ध्यान रखा है। सुधीर मिश्रा ने इंतजाम किया कि हम चरित्र को अच्छे से समझें और जिस अयान मणि का किरदार में निभा रहा हूं, उसके रवैए पर ध्यान दें। लेकिन एक बात हमें ध्यान रखना है कि उपन्यास लिखना और फिल्म बनाना दो अलग-अलग विधाएं हैं। उपन्यास के पूरे सार को केवल दो घंटे में लाने के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता होती है।

सीरियस मैन में आपने जिस किरदार को निभाया, उससे खुद को कितना नजदीक पाते हैं?

मैं दो बच्चों का पिता हूं। लेकिन मैं इस बात से पूरी तरह असहमत हूं कि हम माता-पिता हैं, इसलिए हमें हर समय उन पर नियंत्रण रखना चाहिए। हमारा कर्तव्य है कि हम उनका मार्गदर्शन करें, लेकिन उन्हें नियंत्रित न करें। हमें उन्हें अपनी पसंद बताने की कुछ आजादी देनी चाहिए।

नकारात्मक भूमिकाओं में आपकी ज्यादा दिलचस्पी क्यों है?

नकारात्मक चरित्र वास्तविक चरित्र होते हैं। कोई भी इंसान केवल अच्छा या केवल बुरा नहीं होता। इसलिए मैं हमेशा उन भूमिकाओं को चुनता हूं, जिनमें कुछ नकारात्मकता भी हो।

आपकी प्रेरणा कौन रहा है?

जब मैं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में पढ़ रहा था, तब विश्व सिनेमा से रूबरू हुआ। यही वह समय था जब अच्छे सिनेमा से मेरा परिचय हुआ और मैंने डेनजेल वॉशिंगटन और एंथनी हॉपकिंस के काम को देखना शुरू किया। मैं अर्जेंटीना के अभिनेता रिकार्डो डारिन से भी प्रेरित हूं। ये वे लोग हैं जिन्होंने सिनेमा के प्रति मेरी पूरी रुचि ही बदल दी।

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