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इंटरव्यू/तीरथ सिंह रावतः “दोषियों की खैर नहीं”

कुंभ जांच फर्जीवाड़े और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर बातचीत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

ऐन कुंभ के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखंड में बतौर मुख्यमंत्री चार साल पूरे होने से पहले ही हटा दिया गया और तीरथ सिंह रावत को कमान सौंप दी गई। नए मुख्यमंत्री से पद पर सौ दिन पूरे होने के मौके पर कुंभ जांच फर्जीवाड़े और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर अतुल बरतरिया ने बातचीत की। प्रमुख अंश:

आप सौ दिन के अपने कार्यकाल से कितने संतुष्ट हैं?

मेरे शपथ लेते ही कोरोना महामारी ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया था। मेरी पहली प्राथमिकता  महामारी से सूबे के अवाम को बचाने की थी। सरकार ने इस दिशा में तेजी से काम किया। इस बीच मैं खुद भी कोरोना की चपेट में आ गया तो घर से वर्चुअल तरीके से चौपाल कार्यक्रम शुरू किया। परेशानी का सबब बने जिला विकास प्राधिकरणों से ग्रामीण अंचलों को बाहर किया। अवाम की मंशा को समझते हुए गैरसैंण में कमिश्नरी का प्रस्ताव रद्द किया। देवस्थानम बोर्ड के विरोध को देखते हुए उस पर पुनर्विचार के साथ ही यह भी तय किया कि किसी का हक न मरे। दूरस्थ अंचलों तक डॉक्टरों की तैनाती की। चिकित्सा क्षेत्र में तमाम नई व्यवस्थाएं कीं। अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उत्तराखंड उससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

हरिद्वार में कोविड जांच के फर्जीवाड़े में क्या अफसर शामिल हैं?

मैंने जांच का आदेश दिया है। एफआइआर हो गई है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या इस मामले में अफसरों की भूमिका है? अगर हुई तो अफसरों की खैर नहीं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए एक एसआइटी का गठन कर दिया गया है।

उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी के निरंकुश होने की बातें आती हमेशा आती रही हैं। सत्तारूढ़ दल के विधायक ही विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हैं। हरीश रावत ने तो यहां तक कहा था कि अफसर उनके आदेशों की जलेबियां बनाते हैं। अब तक आपने कैसा महसूस किया?

देखिए, अफसर जो इस राज्य के हैं, वे यहीं रहेंगे। बाहर से ला नहीं सकते और बार-बार फेरबदल करने से कुछ होने वाला नहीं है। मैंने इसी ब्यूरोक्रेसी से काम लिया है। जनप्रतिनिधियों का सम्मान बना रहे, इसके लिए अफसरों के साथ उनकी मीटिंग करवाई जा रही है। इस मामले में विपक्षी दल के विधायकों को उनका सम्मान दिलवाया जा रहा है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का सरकार को कितना सहयोग मिल रहा है?

उनका काम ही विरोध करना है। तमाम अच्छे काम सरकार ने किए, लेकिन विपक्ष ने उनमें कमियां निकालने के सिवा कुछ भी न किया। जब ये विपक्षी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहतरीन कामों पर आपत्ति कर सकते हैं तो उत्तराखंड की बात ही क्या करना?

आप किस सीट से विधायक का चुनाव लड़ेंगे?

अभी कोविड से लड़ाई का दौर है। इस विषय में अभी सोचा ही नहीं है। वक्त आने पर इस बिंदु पर भी विचार किया जाएगा। भाजपा संगठन को कई विधायकों ने सीट छोड़ने का ऑफर दिया है। देखा जाएगा कि किस सीट से चुनाव लड़ना है।

अगले विधानसभा चुनाव में आप किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे?

‘सबका साथ और सबका विकास’ ही हमारा नारा होगा। राज्य सरकार अपने कामों को तो जनता के सामने रखेगी ही, केंद्र की मोदी सरकार ने भी इस राज्य के लिए बहुत कुछ किया है। किसी ने सोचा था कि पहाड़ पर रेल चलेगी? लेकिन मोदी के नेतृत्व में यह सपना साकार हो रहा है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन 2024 तक पूरी हो जाएगी। पिछले दिनों उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर उत्तराखंड के लिए तमाम सौगात दी हैं। डोईवाला से उत्तरकाशी तक रेल लाइन सर्वे के लिए पैसा भी मिल गया है।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की बढ़ती सियासी सक्रियता को आप कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?

तमाम दावे करने वाली दिल्ली की आप सरकार ने कोरोना संकट में हाथ खड़े कर दिए। झूठ की राजनीति करने वाली आप को उत्तराखंड की जनता अच्छी तरह से जानती है।

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