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आवरण कथा/इंटरव्यू/प्रकाश झा: “शूटिंग और सुविधाएं एक जगह हों तो बल्ले-बल्ले”

जाने-माने फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने हाल ही में सीएम योगी से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की है
प्रकाश झा

उत्तर प्रदेश में बन रही नई फिल्म सिटी को लेकर हलचल तेज है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार फिल्म जगत से जुड़े लोगों से संवाद कर रहे हैं। जाने-माने फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने हाल ही में सीएम योगी से लखनऊ में उनके आवास पर मुलाकात की है। आउटलुक के नीरज झा से बातचीत में वे कहते हैं, सीएम योगी इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित और प्रतिबद्ध हैं। प्रमुख अंशः

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आपकी क्या बातचीत हुई?

इस प्रोजेक्ट को लेकर सीएम योगी और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सभी लोग उत्साहित हैं। मेरे साथ खास तौर से फिल्म सिटी को लेकर कोई बात नहीं हुई। क्योंकि यह एक औपचारिक बातचीत थी। फिल्म प्रोत्साहन नीति को लेकर सीएम ने हमसे सुझाव मांगे थे कि राज्यों में फिल्मों के विकास के लिए क्या किया जा सकता हैं। मैंने अपने कुछ सुझाव उन्हें दिए हैं। मध्य प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को लेकर जिस तरह की सुविधाएं हैं, उसके भी कुछ उदाहरण मैंने उनके सामने रखे।

इससे रोजगार और राज्य के विकास की कितनी संभावनाएं हैं?

अयोध्या में मैंने आश्रम वेब सीरीज को लेकर लंबी शूटिंग की है। इसमें कई स्थानीय कलाकारों और टेकनिशियंस ने काम किया है। मुख्यमंत्री का किरदार निभाने वाले लखनऊ के ही हैं। इसी से आप समझ सकते हैं कि एक राज्य में यदि किसी फिल्म की शूटिंग होती है, तो कितनी संभावनाएं हो सकती हैं। स्थानीय लोगों को लेना मेरी आदत है। जब मैं भोपाल में शूटिंग कर रहा था, तो वहां भी मेरी तलाश हमेशा स्थानीय कलाकारों की होती थी। अधिकांश फिल्मों की शूटिंग मैंने मध्य प्रदेश में की है। 

फिल्म इंडस्ट्री को लेकर उत्तर प्रदेश कितना तैयार है?

एक फिल्ममेकर को जो चाहिए, राज्य में ऐतिहासिक, धरोहर, छोटे शहर, बड़े शहर हर तरह की लोकेशंस मौजूद हैं। मुझे लगता है, इसे लेकर एक माहौल भी बना है। स्थानीय लोग भी इसमें मदद कर रहे हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण है। खास तौर से हिंदी भाषा की फिल्मों के लिए हिंदी प्रांत से बेहतर जगह कहां हो सकती है। उप्र की जमीन इसके लिए पूरी तरह से तैयार है।

उत्तर प्रदेश में मुंबई के समकक्ष फिल्म इंडस्ट्री बनाने की कवायद की जा रही है। किस तरह की चुनौतियां आ सकती हैं?

मुझे फिल्म सिटी या किसी स्टूडियो में शूटिंग करने का अनुभव नहीं है। मैं अब तक 18 फिल्में बना चुका हूं। किसी भी फिल्म की मैंने फिल्म सिटी में शूटिंग नहीं की। मुझे रियल लोकेशंस पसंद हैं। फिल्मों में बैकग्राउंड को लेकर मैं काम करता हूं। फिल्म सिटी को लेकर मैं कुछ नहीं कह सकता। फिल्म से जुड़े लोगों से जब भी बात होती है, तो वो कभी कहते हैं बनारस में शूटिंग हो रही है, तो कभी आगरा में, कभी लखनऊ तो कभी जोधपुर या कहीं और। इसलिए नोएडा में बन रही फिल्म सिटी को लेकर मेरे पास कोई तजुर्बा नहीं है। क्या इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, क्या सुविधाएं चाहिए, यदि जमीन पर सेट लगाकर शूटिंग करनी है, तो क्या मुंबई से लोग आकर यहां शूटिंग करेंगे। इन बातों को लेकर कुछ नहीं कह सकता।

फिर उप्र में फिल्मों की शूटिंग को लेकर कितनी संभावनाएं हैं?

इतना तो खैर मैं दावे के साथ कह सकता कि आने वाले समय में राज्य में बड़ी संख्या में फिल्मों की शूटिंग होगी। फिल्म मेकर्स की इसमें बहुत रुचि है। लोकेशन के नजरिए से कहे, तो उप्र हर तरह से समृद्ध है। वह भी एक दौर था जब लोग उप्र आने से घबराते थे। लेकिन, अब ऐसी बात नहीं है। तीन फिल्मों की लगातार यहां शूटिंग करने के बाद मैं निश्चिंत हो गया हूं।

इस बात को मान लें कि हिंदी राज्य में हिंदी फिल्में बनेंगी, तो अच्छा होगा?

इन राज्यों में हिंदी फिल्मों के अनुरूप हर चीज मिलती है। हमें उस तरह के कलाकार मिल जाते हैं, लोकेशंस मिल जाती हैं। जाहिर सी बात है इससे फिल्में और बेहतर बनती हैं।

बजट में भी कुछ अंतर आएगा?

ऐसा तो नहीं कह सकते। जो मुंबई या किसी अन्य जगह से दूसरे राज्य में फिल्मों की शूटिंग करने जाता है, खर्च तो उसे लगता ही है। रहना-खाना, आना-जाना बजट का बड़ा हिस्सा ले लेता है। इन सुविधाओं के बाद लागत में कितनी कमी आएगी ये फिल्मों के ऊपर निर्भर करेगा।

फिल्म सिटी के लिए चुनी गई जगह ठीक है?

इस सवाल का जवाब देने के लिए मैं सही व्यक्ति नहीं हूं। 

मुख्यमंत्री योगी की मुंबई यात्रा पर शिवसेना की तरफ से बयानबाजी भी की गई थी।आपको क्या लगता है?

जब मुख्यमंत्री मुंबई गए थे, तब मैं मुंबई में नहीं था। जहां तक बात फिल्म जगत के लोगों से मुख्यमंत्री जी के मिलने के बाद उपजे सियासी तनाव की है, तो मैं शिवसेना का आदमी नहीं हूं। मैं इस पर क्या कहूं।

उप्र को मुंबई फिल्म उद्योग के विकल्प के तौर पर देख सकते हैं?

यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।

भोपाल में शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?

फिल्मों की शूटिंग को लेकर काफी सकारात्मक माहौल है। लोग, प्रशासन, स्थानीय कलाकार, जगहें और लोकेशन, सभी बहुत बेहतरीन हैं।

भोजपुरी जैसी अन्य क्षेत्रीय फिल्मों को इस फिल्म सिटी से फायदा होगा?

यह तो भोजपुरी के निर्माता-निर्देशक बता सकते हैं कि वे यहां शूटिंग करना चाहेंगे या नहीं। लेकिन इतना तो है कि यदि किसी निर्माता-निर्देशक को वहीं सभी सुविधाएं मिलेंगी, तो जाहिर सी बात है वो लोग भी उस सुविधा का लाभ लेंगे।

बिहार के राजगीर में भी एक फिल्म सिटी बन रही है।

मुझे नहीं पता था। लेकिन राजगीर अच्छी जगह है। यह अच्छी पहल है।

मट्टो की साइकिल में आपने मजदूर का किरदार निभाया है। क्या यह फिल्म भारत की तस्वीर दिखाती है?

ये उन लोगों की कहानी है, जो एक दिन काम न करें तो उन्हें रोटी भी नसीब नहीं होती। एक तरफ हम विकास की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं, जिनका पूरा जीवन साइकिल के ईर्द-गिर्द घूमता रहता है। मैंने अपना बचपन इन्हीं लोगों के बीच गुजारा है इसलिए इस फिल्म को लेकर मेरे पास एक समझ थी। यह ब्रज भाषा की फिल्म है। निर्देशक एम.गनी ने इस पर बहुत मेहनत की है।

आश्रम को लेकर काफी विवाद चल रहा है। जोधपुर कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया है?

अभी तक मुझे कोर्ट का नोटिस नहीं मिला है। मेरी फिल्मों पर विवाद होते रहे हैं। जब आप किसी सामाजिक मुद्दे को उठाते हैं, तो हर किसी के अपने विचार होते हैं।

आप पर एक धर्म को बदनाम करने के आरोप लग रहे हैं।

करीब सौ करोड़ लोग इस वेब सीरीज को देख चुके हैं। निश्चित है बदनामी के लिए तो नहीं देख रहे होंगे। विरोध करने वालों को मेरा यही जवाब है।

लोग कहते हैं कि विशेष समुदाय पर फिल्में बनाने से निर्माता-निर्देशक डरते हैं?

मेरे सामने कभी ऐसा कोई विषय नहीं आया।

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