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आवरण कथा/इंटरव्यू/राहुल ढोलकिया: “शाहरुख दिखावा नहीं करते”

मैं उनसे पहली बार मिला तो उन्होंने कहा, पांच मिनट में बताइए। लेकिन वे आधा घंटा रुक गए
रईस के सेट पर शाहरुख खान के साथ निर्देशक राहुल ढोलकिया

शाहरुख खान तीन दशक से ‘रोमांस के बादशाह’ के तौर पर करोड़ों दिलों पर राज कर रहे हैं। साल 2017 में उनकी फिल्म रईस आई थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कारोबार किया। उसके निर्देशक थे राहुल ढोलकिया। आउटलुक के नीरज झा से खास बातचीत में वे कहते हैं, “शाहरुख आज भी सिनेमा के सबसे प्रिय विद्यार्थियों में से एक हैं। सीखने की ललक उनमें इस उम्र में भी दिखती है।” बातचीत के प्रमुख अंशः

शाहरुख खान

 

शाहरुख लगभग 30 वर्षों से बॉलीवुड में हैं। आपने उनके साथ काम किया है। क्या कहेंगे?

हम अलग-अलग कलाकारों के साथ काम करते हैं और हर बार कुछ सीखने को मिलता है। रईस में शाहरुख के साथ काम करने का अनुभव बेहतरीन रहा। वे आज भी सिनेमा के छात्र हैं। जब मैंने उन्हें इसके बारे में बताया तो उन्होंने स्क्रिप्ट मांगी। वे नोट्स बनाकर चर्चा करते थे। हर चीज को बारीकी से पढ़ते थे। होमवर्क कर सेट पर आते थे। शूटिंग के बाद फिल्म से जुड़े कंटेंट ले जाते और स्टडी करते।  वे भूमिका को अलग-अलग तरीके से निभाने की कोशिश करते हैं। सुपरस्टार होने के बावजदू सेट पर सामान्य एक्टर की तरह रहते हैं।

रईस के लिए उनसे कैसे मिले?

शाहरुख को कनाडा की फ्लाइट लेनी थी। मैं उनसे पहली बार मिला तो उन्होंने कहा, पांच मिनट में बताइए। लेकिन वे आधा घंटा रुक गए। जाते-जाते स्क्रिप्ट भी ले गए। अगली मीटिंग में हमने पूरी कहानी बताई। स्क्रिप्ट पसंद आई। रितेश और फरहान प्रोड्यूसर थे, मुझे लगता है इसलिए भी शाहरुख फिल्म के लिए राजी हो गए।

सेट पर उनका बर्ताव कैसा होता है?

आने और जाने के समय सेट पर मौजूद सभी लोगों का अभिवादन करते हैं। कौन क्या है, कोई मायने नहीं रखता। पूरा ध्यान सेट और रोल पर ही केंद्रित होता है। यदि कोई शाहरुख के घर मिलने जाए तो वो उन्हें बाहर तक छोड़ने आते हैं। हर कोई उनसे कुछ न कुछ सीखता है।

शाहरुख की कौन सी खासियत उन्हें बाकी कलाकारों से अलग करती है?

सबसे बड़ी बात है कि वे हर किसी को एक उम्मीद देते हैं। उनके अब तक के सफर से हम कह सकते हैं कि यदि आपके पास टैलेंट है, काम करने की इच्छाशक्ति है तो आप वह बन सकते हैं जो बनना चाहते हैं। करोड़ों युवा उनसे प्रभावित होते हैं। बिना किसी विवाद में रहे वे अपना काम करते हैं। उनके एक्सप्रेशन कमाल के होते हैं। आम एक्टर वैसा नहीं कर सकता। एक्शन, रोमांटिक सीन, कॉमेडी... हर किरदार को उतने ही विश्वास के साथ करते हैं।

पर्दे से हटकर शाहरुख के ‘रोमांस’ और ‘बादशाह’ को कैसे समझें?

शाहरुख की शख्सियत विशाल है। इतने सालों से वे इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं। वे दिखावा नहीं करते, खुलकर बात रखते हैं। उनसे बेहतर पर्दे पर कोई रोमांस नहीं कर सकता। सेट पर उनके मैनेजर या किसी और का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। वे किरदार में पूरी तरह घुस जाते हैं। घुटने में सूजन के बावजूद उन्होंने शूटिंग की है। कोई बहाना नहीं, इतनी लगन से कौन काम करता है?

उनके साथ काम करने के लिए तैयारी करनी पड़ी?

मैंने बस एक कोशिश की।

सलमान, शाहरुख, आमिर तीन दशक से राज कर रहे हैं। इसे कैसे देखते हैं?

मैंने सलमान और आमिर के साथ काम नहीं किया है। लेकिन उन लोगों ने जो किरदार निभाए, वे कहीं-न-कहीं लोगों को छूते हैं।

इनके योगदान को कैसे देखते हैं?

हम तो अमिताभ बच्चन, शाहरुख, सलमान और आमिर को देखकर बड़े हुए। सिनेमा एक व्यक्ति से नहीं बनता, लेकिन ये सब चेहरे हैं।

ओटीटी के बाद इनका स्टारडम खत्म हो जाएगा। आप क्या मानते हैं?

आपने ‘मन्नत’ के बाहर का नजारा देखा? स्टारडम और ओटोटी प्लेटफॉर्म दोनों अलग हैं। ये बॉक्स ऑफिस जैसा नहीं है। यहां सभी बराबर है। सिनेमा और सीरीज का अलग मजा है। थिएटर में फिल्म बड़ी स्क्रीन पर दिखती है। लेकिन दुनिया बदल रही है। अब हम ज्यादा समय सीरीज देखने में दे रहे हैं। हर कोई सीरीज बनाने पर जोर दे रहा है।

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