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“विपक्ष को हल्के में नहीं लेता”

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार दो साल पूरे करने वाली है और इसी अवधि में उन्होंने 1971 में अस्तित्व में आए राज्य की सियासत में बड़े नामों को मानो फीका कर दिया है। लोकसभा चुनावों में भारी हार के बाद कांग्रेस तो दिशाहारा दिख रही है, हालांकि वे कहते हैं कि विपक्ष्ाभ को हल्के में नहीं लेते। उनसे संपादक हरवीर सिंह और वरिष्ठ सहायक संपादक हरीश मानव ने राजनीति, अर्थव्यवस्था, राज्य की विशेष स्थिति जैसे तमाम विषयों पर बातचीत की। प्रमुख अंश :
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

सरकार के दो साल होने वाले हैं। आपकी पार्टी ने जो वादे किए थे, वे कितने पूरे हुए?

कई साल से यहां परंपरा थी कि सरकार बदलते ही बदले की राजनीति शुरू हो जाती थी। लेकिन मैंने काम पर ध्यान केंद्रित किया। कई योजनाएं प्रगति पर हैं। राज्य के अपने आर्थिक संसाधन ज्यादा नहीं हैं। केंद्र से भी अलग से मदद की संभावनाएं कम हैं। मेरे कार्यकाल में बाहरी मदद वाले 15,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में 12,000 करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए। विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और सीआरएफ द्वारा वित्त पोषित प्रोजेक्ट में बागवानी, पेयजल, वर्षाजल संरक्षण के प्रोजेक्ट के अलावा पर्यटन के 1,900 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट हैं।

राज्य में कांग्रेस का भविष्य कैसे देखते हैं?

मैं किसी भी विपक्षी पार्टी को हल्के में नहीं लेता।

राज्य में भाजपा की सरकार आने के डेढ़ साल बाद लोकसभा चुनाव में इतनी बड़ी जीत का क्या कारण रहा?

पहले के मुख्यमंत्री पांच साल तक राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में नहीं जाते थे। मैं लोकसभा चुनाव से एक साल पहले राज्य के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में गया। पहले दिन से ही चुनाव को केंद्रित कर पूरे राज्य में विकास कार्य किए गए। लोगों को लगता था कि कुछ बड़े नाम ही सरकार चला सकते हैं। नया आदमी कैसे चलाएगा? ऐसा सोचकर मुझे हल्के में लेने वाले बड़े नेताओं को सबक मिला है।

आपकी सरकार के लिए राज्य के विकास का रोडमैप क्या है?

शिमला-मनाली में पर्यटन के विस्तार की संभावनाएं बहुत कम बची हैं। एडीबी की मदद से पांच नए पर्यटन स्थल विकसित करेंगे। झंझेली घाटी में ईको-टूरिज्म, धर्मशाला के बीर बिलिंग में पैराग्लाइडिंग, रोहडु के चांसल में स्कीइंग, पोंग डैम झील और मंडी में शिव धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक रूप से राज्य में 69 राष्ट्रीय राजमार्ग स्वीकृत किए हैं। पहले चरण में उन मार्गों को विकसित किया जाएगा जो हिमाचल की जीवन रेखा के रूप में पर्यटन स्थलों को जोड़ते हैं। इनमें कीरतपुर -मनाली, कालका -शिमला, मंडी- जोगिंदरनगर- पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग प्रमुख हैं। एक बड़े एयरपोर्ट के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री से बात की है। मंडी में प्रस्तावित एयरपोर्ट का ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस (ओएलएस) सर्वे पूरा हो गया है।

राज्य के संसाधन सीमित हैं। कर्ज का बोझ भी काफी है। ऐसे में विकास को गति कैसे देंगे?

विरासत में मिला 47,000 करोड़ रुपये का कर्ज बड़ी चुनौती है। पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्ज का बोझ कम हो इसके लिए हम अनावश्यक खर्चों को घटा रहे हैं।

किसानों व राज्य की आय बढ़े, इसके लिए क्या कदम उठा रहे हैं?

सुभाष पालेकर की “जीरो बजट प्राकृतिक खेती” के मॉडल को बढ़ावा दिया जा रहा है। 2022 तक प्रदेश के सभी किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य है। धर्मशाला में 7-8 नवंबर को होने वाले ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के लिए कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग उद्योगों को न्योता दिया गया है। हिमाचल के सेब की अपनी पहचान है। केंद्र ने जून में सेब पर आयात शुल्क 20 फीसदी बढ़ाकर 70 फीसदी किया था, इससे सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिली है।

ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के लिए सरकार की क्या तैयारियां हैं?

विकास के लिए प्राइवेट सेक्टर की मदद जरूरी है। विदेश में तीन रोड शो जर्मनी, नीदरलैंड और यूएई में और देश के महानगरों में छह रोड शो आयोजित किए गए हैं। 85,000 करोड़ रुपये के लक्षित निवेश में से 35,231 करोड़ के लिए 297 समझौतों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक व पयर्टन नीति लाई जा रही है। कृषि, फूड प्रोसेसिंग, ईको-टूरिज्म, फार्मा, वेलनेस सेक्टर को बढ़ावा देने की योजना है।

शिक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता क्षेत्र में आते हैं। इन पर राज्य सरकार क्या कर रही है?

82 फीसदी साक्षरता दर के साथ हिमाचल देश में केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। अब शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों के 8वीं से 12वीं कक्षा तक के मेधावी विद्यार्थियों के लिए अटल विद्या योजना शुरू की गई है। मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए 500 विद्यार्थियों को सालाना एक-एक लाख रुपये की मदद दी जा रही है। स्वास्थ्य में हिमाचल ने जो किया वह किसी अन्य राज्य में नहीं हुआ। राज्य की आबादी करीब 70 लाख है जबकि केंद्र की “आयुष्मान भारत” स्कीम में 22 लाख लोग ही कवर हुए। बाकी आबादी को पांच लाख रुपए तक की कैशलेस स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा देने के लिए “हिम केयर” योजना मात्र एक हजार रुपये प्रीमियम पर लागू की गई है। गरीबांे के लिए यह मुफ्त है। जो बुजर्ग गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं उन्हें “सहारा योजना” में 2,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर में नाहन और हमीरपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य जोरों पर है। चंबा में मेडिकल कॉलेज के लिए टेंडर जारी किए गए हैं।

जमीन मुहैया कराना बड़ी चुनौती है। ऐसे में औद्योगिक विकास के लिए क्या कर रहे हैं?

भूमि सुधार कानून का सेक्शन 118 जमीन खरीदने से नहीं रोकता। इसे बगैर बदले हमने सरल किया है। पहले क्लीयरेंस में एक से दो साल लगते थे। अब दो से तीन महीने में ऑनलाइन क्लीयरेंस दे रहे हैं। लैंड बैंक सृजित किया जा रहा है। कोशिश है कि पूरे हिमाचल में इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित हों।

आम लोगों की सुविधा के लिए सरकार क्या नए कदम उठा रही है?

केंद्र की उज्ज्वला योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने गृहिणी सुविधा योजना में उन पौने दो लाख परिवारों को शामिल किया जो उज्ज्वला में छूट रहे थे। दिसंबर 2019 तक हिमाचल देश का ऐसा पहला राज्य होगा जहां सभी परिवारों के पास गैस कनेक्शन होगा। कैबिनेट की पहली बैठक में ही 60 वर्ष की आयु से अधिक के बुजुर्गों को 1,500 रुपए मासिक पेंशन देने का फैसला हुआ था।

मसूरी में हिमालयन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का क्या निष्कर्ष निकला?

पहाड़ी राज्यों में अलग फंड की जरूरत पड़ती है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ज्यादा फंड दिए जाने चाहिए। केंद्रीय परियोजनाओं में फंड का अनुपात 90:10 रहता है। सम्मेलन में हिमालयन राज्यों की परिषद बनाने का प्रस्ताव आया।

शांता कुमार, वीरभद्र, सुखराम और प्रेम कुमार धूमल जैसे बड़े नेताओं के बाद हिमाचल का राजनैतिक परिदृश्य बदला है। पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं में सामंजस्य कैसे बना?

बड़े नेताओं को लेकर कोई भ्रम नहीं है। लोकसभा चुनाव में हिमाचल में भाजपा की जीत ने स्थिति और साफ कर दी है। भाजपा के पक्ष में देशभर में सबसे ज्यादा 69.2 फीसदी वोट शेयर हिमाचल में रहा। कांगड़ा सीट पर तो भाजपा का वोट शेयर 72 फीसदी था। प्रदेश की सभी चार लोकसभा सीटों पर जीत का मार्जिन तीन लाख से अधिक रहा है। आगे इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल होगा।

दिसंबर 2017 में जब मुख्यमंत्री के लिए आपका नाम तय हुआ तो कैसा लगा?

राज्य का पहला मुख्यमंत्री हूं, जो अलग पृष्ठभूमि से आया हूं। मैं ब्लॉक, मंडल अध्यक्ष जैसी छोटी इकाई की जिम्मेदारी से लेकर इतनी बड़ी जिम्मेदारी तक पहुंचा हूं। हमारी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उस धारणा को तोड़ा है कि चंद बड़े नेता ही प्रदेश चला सकते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री (प्रेम कुमार धूमल) की घोषणा कर दी थी। इसके अगले दिन मेरे विधानसभा क्षेत्र में हुई रैली में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुझे उप-मुख्यमंत्री बनाने का इशारा किया। पर बदले हालात में मुझे मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए मैंने कोई लॉबिंग नहीं की। यह मेरी सक्रियता का ही नतीजा है।

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