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मीम मंत्र/इंटरव्यू/अशोक पाठकः ‘हर ब्रांड ने बनाया है मेरे ऊपर मीम’

अशोक 'शंघाई', 'आर्या'-2 और 'सेक्रेड गेम्स' में भी छोटे-मोटे किरदार निभा चुके हैं
अशोक पाठक

पंचायत वेब सिरीज में एक सीन 'देख रहा है न बिनोद' के जो बिनोद हैं उनका असल जीवन में नाम है अशोक पाठक। अशोक 'शंघाई', 'आर्या'-2 और 'सेक्रेड गेम्स' में भी छोटे-मोटे किरदार निभा चुके हैं। उनको असल मायने में सफलता पंचायत-2 के बाद मिली और उन पर बने वायरल हुए मीम की वजह से वह रातों रात इंटरनेट पर छा गए। आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बात की।

पंचायत से पहले आप कहां-कहां अभिनय में हाथ आजमा चुके हैं?

मैंने अभिनय की शुरुआत फिल्म बिट्टू बॉस से की। मैं हॉलीवुड की एक फिल्म में भी काम कर चुका हूं। हालांकि उसके बाद सिर्फ छोटे-छोटे रोल ही मिले। पंचायत ने मेरी जिंदगी बदल दी। लोग मुझे अब जानने लगे हैं।

पंचायत में आपके किरदार को लोगों ने खूब सराहा है लेकिन क्या यह सच है कि आप इसमें कार्य नहीं करना चाहते थे?

नहीं, ऐसा नहीं है। लेकिन शुरुआत में इसको लेकर मैं कशमकश में था। कोविड के दौर में जब पहली बार इस सीरीज  को देखा था तब से ही मैं इसका फैन था और मुझे डर था कि क्या मैं इस सीरीज के साथ इंसाफ कर पाऊंगा।

क्या सिनेमा आपका पहला प्यार था? या इत्तेफाकन आप फिल्मी दुनिया में आ गए?

सिनेमा में आना मेरे लिए एक इत्तेफाक ही है। मैं जिस परिवेश से आया हूं उसमें लोग इतने बड़े ख्वाब नहीं देखते हैं। मेरे घर की हालत ठीक नहीं थी। मेरे पिताजी हेल्पर का काम करते थे। मैं खुद जगह-जगह घूमकर रुई बेचता था, हालांकि बाद में पिता जी की नौकरी हिसार में लगी तो जीवन में कुछ बदलाव आया। मैंने वहीं के जाट कॉलेज में दाखिला लिया। पढ़ाई में मन नहीं लगता था तो वहीं पर थियेटर करने लगा और बस यहीं से ऐक्टिंग का दौर शुरू हो गया।

सिनेमा में आपका रोल मॉडल कौन है?

इरफान खान सर मेरे दिल के बहुत करीब हैं। उनके बारे में जो भी कहूं वो कम है। मैं उनके साथ एक फिल्म में काम भी करने वाला था लेकिन दुर्भाग्य से वे चल बसे। इसके अलावा मैं पंकज त्रिपाठी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी को बहुत मानता हूं।

आपके ऊपर इतने मीम बने हैं। सबसे ज्यादा आपको कौन सा मीम पसंद आया है?

एक मीम जो मैंने देखा, जिसमें लिखा था कि बिनोद इस सृष्टि का सबसे बड़ा दृष्टा बन चुका है। एक मीम जो मुझे प्रिय है, उसमें लिखा था कि भगवान के बाद अगर कोई है जो सब कुछ देख रहा है तो वह विनोद है। अब तो कई लोग मुझे विनोद के नाम से ही पुकारने लगे हैं।

सोशल मीडिया पर आपके मीम को खूब शेयर किया जा रहा है। आपको कैसा लग रहा है लोगों के इस प्रेम को देखकर?

बतौर कलाकार आप कोई फिल्म करें और लोग उसे अपने दिल में बसा लें तो अच्छा लगता है। मुझे भी खुशी होती है कि लोग मेरे ऊपर चर्चा कर रहे हैं। मुझे एक दिन पंकज त्रिपाठी भैया का फोन आया और उन्होंने कहा कि तुम कमाल की ऐक्टिंग किए हो। जब इतने बड़े-बड़े लोग आपको सराहते हैं तो सफलता उपलब्धि जैसी लगने लगती है।

आपकी लोकप्रियता में मीम का कितना बड़ा योगदान रहा है?

मीम हंसने का एक जरिया बन गया है। कोई ऐसा ब्रांड नहीं है जिसने मेरे ऊपर मीम न बनाया हो। जिन्होंने मेरी फिल्म नहीं देखी है अब वे भी मुझे मीम के जरिये पहचान जाते हैं।

मीम की वजह आपके प्रोफेशनल जीवन में कितना बदलाव आया है?

क्या बदलाव है और क्या बदलाव आएगा ये मुझे पता नहीं है, लेकिन मीम के जरिये यकीनन मुझे पॉपुलरिटी मिली है, हालांकि प्रोफेशनली ये मुझे कितना फायदा पहुंचाएगा यह तो समय ही बताएगा।

क्या आपको यह लगता है कि अगर आपके ऊपर इतने सारे मीम न बनते तो आप इतना प्रसिद्ध नहीं हुए होते?

मुझे इससे पहले मीम के बारे में कुछ भी पता नहीं था। जब किसी कैरेक्टर को लोग पसंद करते हैं तभी मीम बनते हैं। शायद मेरे ऊपर मीम इसलिए भी बने क्योंकि लोग उससे जुड़ पाए। अगर कोई मेरी फिल्म नहीं देखता तो शायद इतने मीम नहीं बनते।

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