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“वेब सीरीज के असली नायक तो लेखक हैं”

आपके पास ठोस कंटेंट होने चाहिए और पात्रों के रिश्तों के आयाम यूनिवर्सल होने चाहिए, जो दुनिया भर के दर्शकों को लुभा सके
जासूसी के गुरः द फैमिली मैन में मनोज बाजपेयी

बहुचर्चित और प्रतिभाशाली अभिनेता मनोज बाजपेयी की पहली वेब सीरीज द फैमिली मैन ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। एक ऐसे अंडरकवर एजेंट की भूमिका में उन्होंने खूब प्रशंसा बटोरी है, जो अपने देश और अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियों के बीच तालमेल रखने की कोशिश करता है। इस वेब सीरीज के दूसरे सीजन का अब दर्शक इंतजार कर रहे हैं। आउटलुक के गिरिधर झा के साथ बातचीत में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे गए बाजपेयी स्वीकार करते हैं कि इस वेब सीरीज की इतनी जबरदस्त सफलता की अपेक्षा न तो उन्हें स्वयं थी, न ही इससे जुड़े अन्य किसी व्यक्ति को। मुख्य अंश:

द फैमिली मैन के दूसरे सीजन का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। क्या आपको उम्मीद थी कि अमेजन प्राइम वीडियो पर दिखाई जाने वाली यह वेब सीरीज इतनी हिट हो जाएगी?

ईमानदारी से कहूं तो बिलकुल नहीं। मुझे क्या, इससे जुड़े किसी शख्स को इसका अंदाजा तक नहीं था। हमें इस बात का इल्म कतई न था कि ओवर-द-टॉप कहे जाने वाले इस प्लेटफॉर्म की पैठ दुनिया भर में किस कदर बढ़ गई है। यहां तक कि इस प्लेटफॉर्म के लोगों को भी इसका अनुमान न था कि द फैमिली मैन ब्लॉकबस्टर बनने जा रही है। इसके प्रति दर्शकों का उत्साह और प्रतिक्रिया वाकई अद्‍भुत रही है। जब कभी दर्शक किसी भूमिका को इस कदर सराहते हैं, तो यह निस्संदेह अभिभूत करने वाला अनुभव होता है, लेकिन जिस तरह से हर उम्र के लोगों ने इस वेब सीरीज को पसंद किया, वह हैरान करने वाला है। मैंने अपने करिअर में पहले ऐसा कुछ अनुभव नहीं किया था। अब भी हर दिन जिस तरह लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है, उससे इसके निर्देशक कृष्णा डी.के. और राज निधिमोरु भी चकित हैं। हाल में मैं एक समारोह में गया, तो वहां लोग मुझे ऐसे सुन रहे थे, मानो मैं उनके लिए कोई नया मनोज बाजपेयी हूं।

सत्या (1998) से लेकर अभी तक आपने कई फिल्मों में अभिनय की अमिट छाप छोड़ी, लेकिन नई सहस्‍त्राब्दी के युवा दर्शकों यानी मिलेनियल्स को आप नए अवतार में दिखे।

यह सही है। पिछले दिनों मैं अपनी बेटी के दोस्तों के बीच था, जहां 11-12 साल के बच्चों में मेरा ऑटोग्राफ लेने की होड़ मची थी। मुझे लगता था कि इस उम्र के बच्चों के लिए मैंने कभी काम नहीं किया है। उनमें से कुछ तो ऐसे थे जिनका गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) के प्रदर्शन के समय जन्म भी नहीं हुआ होगा और एक वयस्क फिल्म होने के नाते, अलीगढ़ (2016) उनमें से किसी ने नहीं देखी होगी। मैं उनके लिए बिलकुल नया अभिनेता था और मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई।

आप बॉलीवुड के उन चंद अभिनेताओं में हैं, जिन्होंने वेब सीरीज की ओर रुख किया है। क्या आपको लगता है कि द फैमिली मैन की अप्रत्याशित सफलता इंडस्ट्री के अन्य बड़े अभिनेताओं को इस माध्यम की ओर खींचेगी?

मुझे ऐसा लगता है कि वे इस वेब सीरीज की सफलता के कारण इस माध्यम के प्रति अवश्य आकर्षित होंगे, इस वजह से नहीं कि मैंने इसमें अभिनय किया है। बहुत सारे अभिनेता अब वेब सीरीज करने भी लगे हैं।

लेकिन क्या यह माध्यम उन अभिनेताओं के लिए खतरे का सौदा नहीं, जिनकी एक स्टार के रूप में एक खास छवि है? कहा जाता है कि वेब सीरीज अभिनेता का माध्यम है, स्टार का नहीं, क्योंकि इसमें दर्शकों को बांधने की क्षमता होनी चाहिए।

यह सही है, क्योंकि दस एपिसोड की वेब सीरीज के लिए आपको अपनी विधा में निपुण होना चाहिए। आप छोटे से छोटे क्लोजअप शॉट के प्रति लापरवाह नहीं हो सकते। थिएटर की तरह यह आपकी क्षमता का उचित पैमाना है।

क्या आपने इस भूमिका के लिए कुछ खास तैयारियां कीं? क्या यह आपके द्वारा फिल्मों के किरदार के लिए की गई तैयारियों से जुदा थीं?

मुख्य अंतर यह है कि फिल्मों में काम खत्म होने के बाद आप अपने किरदार से अलग हो जाते हैं, लेकिन वेब सीरीज के बहुत सीजन बनते हैं जिसके लिए आपको अपने किरदार को लंबे समय तक अपने अंदर जीवित रखना पड़ता है। आपको इसके लिए निरंतर तैयारियां करनी पड़ती हैं। एक सीजन के लिए तीन से चार महीने तक शूटिंग के दौरान आपको सिर्फ यही करना पड़ता है और अगर इसके अन्य सीजन भी बनते हैं, तो आपको और लंबे समय तक उस किरदार को जीना पड़ता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। आप एकदम से उस किरदार को छोड़ कर उसे भूल नहीं सकते। आपको उस किरदार में वापस आने के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ता है।

वेब सीरीज से पहले आपने फीचर फिल्मों, टीवी सीरियल, शार्ट फिल्म और डॉक्यूमेंट्री में भी काम किया है। क्या एक अभिनेता के रूप में अपने आपको विभिन्न माध्यमों के लिए बदलना पड़ता है?

हर माध्यम की जरूरत के अनुसार अपने आपको ढालना पड़ता है। अभिनेता के रूप में आपको प्रत्येक माध्यम के गुण-दोष की समझ होनी चाहिए। मसलन, फीचर फिल्म में आपको अपनी पूरी कहानी लगभग दो घंटे में कह देनी पड़ती है, जबकि द फैमिली मैन जैसी वेब सीरीज के एक सीजन में दस एपिसोड होते हैं। आपको इस माध्यम की विशेषताएं जाननी होती हैं और यह भी कि आप उसमें क्या कर सकते हैं, या इसकी अवधि के साथ कितनी स्वतंत्रता ले सकते हैं। अभिनेता के रूप में सब कुछ जानना और समझना प्रक्रिया का अंग है।

वेब सीरीज अभी सेंसर बोर्ड के दायरे से बाहर है और इसके कारण इसके निर्माताओं को कुछ भी दिखाने की आजादी है, लेकिन इसके कारण इस प्लेटफॉर्म पर नग्नता और गाली-गलौज की बाढ़-सी आ गई है। आपकी राय में क्या द फैमिली मैन की सफलता बताती है कि वेब सीरीज के हिट होने के लिए सेक्स और फूहड़ता का फॉर्मूला आवश्यक नहीं है?

सेक्स, मारधाड़ या गालियां अगर सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए उपयोग की गई हैं तो ये कभी सफल नहीं होंगी। अगर आप दस एपिसोड की वेब सीरीज बना रहे हैं, तो हर एपिसोड को बेहतर बनाने के लिए आप सेक्स या गालियों का कितना इस्तेमाल करेंगे? दरअसल, सफलता के लिए आपके पास सॉलिड कंटेंट होने चाहिए और उनके किरदार, उनके रिश्तों के आयाम यूनिवर्सल होने चाहिए, जो दुनिया भर के दर्शकों को लुभा सके। अगर आप किसी क्षेत्र-विशेष की कहानी पर भी वेब सीरीज बना रहे हैं, तब भी उनके पात्र और उनकी भावनाएं यूनिवर्सल होनी चाहिए। द फैमिली मैन में श्रीकांत तिवारी का किरदार जो मैंने निभाया है, उसका संघर्ष विश्व के किसी भी कोने में काम कर रहे मध्यमवर्गीय इंसान का संघर्ष है। मुझे इस भूमिका के लिए दुनिया भर से प्रशंसाएं इसलिए मिल रही हैं कि आम लोग इस किरदार में अपने आप को देख रहे हैं।

आपकी राय में, आपकी सशक्त भूमिका के अलावा इस वेब सीरीज की कामयाबी के और क्या कारण हैं?

मुझे लगता है कि मेरे किरदार से ज्यादा इसकी पूरी स्टार कास्ट का इसमें योगदान है। इसके अलावा जिस तकनीक से इसके निर्देशकों ने फिल्म का चित्रांकन किया है, वह फिल्म इंडस्ट्री में चर्चा का विषय है। दरअसल, अगर आप इस तरह की कोई वेब सीरीज बनाने की सोच रहे हैं, तो आपके पास लेखकों की एक बेहतरीन टीम होनी चाहिए क्योंकि वही इस प्लेटफॉर्म के असली नायक हैं। द फैमिली मैन के पहले सीजन ने उम्मीदें बहुत बढ़ा दी हैं। दर्शक अब इसके अगले सीजन की और प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं। इस पर काम हो रहा है। यह जल्दी ही आएगी।

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