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“मेरे काम में कोई दखल नहीं देता”

इंटरव्यू जयराम ठाकुर
जयराम ठाकुर

सीमित संसाधनों वाला राज्य होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसका श्रेय बेहतर प्लानिंग और मॉनिटरिंग को देते हैं। उनके सामने राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती है। एक और चुनौती सरकार और संगठन के बीच संतुलन साधने की है, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी हिमाचल से हैं और 2017 में वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी थे। इन मुद्दों पर अश्विनी शर्मा ने उनसे बात की। मुख्य अंशः

 

आप पहली बार मुख्यमंत्री बने। दो साल भी नहीं बीते कि वैश्विक महामारी फैल गई। इससे निपटना कितना चुनौतीपूर्ण था?

महामारी की जद में पूरी दुनिया है। हिमाचल प्रदेश सीमित संसाधनों वाला राज्य है और संकट में काफी हद तक केंद्र की मदद पर निर्भर रहता है। फिर भी अगर आप दूसरे राज्यों से तुलना करें तो हम काफी बेहतर स्थिति में हैं। यह अच्छी प्लानिंग और मॉनिटरिंग का नतीजा है। हम एकमात्र राज्य हैं जिसने लॉकडाउन के दौरान 16,000 स्वास्थ्य कर्मियों को घर-घर भेजकर सक्रिय मामलों का पता लगाया।

एक समय आप राज्य को कोरोना-मुक्त करने वाले थे। अब हिमाचल में संक्रमित लोगों की संख्या 1,700 से कुछ अधिक है, यहां 250 मौतें हुई हैं।

दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना में हिमाचल में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बहुत कम है। हमारे हजारों बच्चे इन राज्यों में पढ़ रहे हैं, वे घबरा गए। किसी ने सोशल मीडिया पर मेरे दोनों मोबाइल नंबर डाल दिए और लिखा कि जो घर वापस आना चाहते हैं इन नंबरों पर कॉल करें। मेरे एक फोन पर आधे घंटे में 100 से ज्यादा कॉल आईं। हिमाचल के अनेक लोग दूसरे राज्यों में काम करते हैं, उनकी नौकरी छूट गई थी और वे घर लौटना चाहते थे। हमने सबको लाने के लिए विशेष ट्रेन, बस और दूसरे इंतजामात किए। ढाई लाख से अधिक लोगों को वापस लाया गया। यह सच है कि संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारा स्वास्थ्य ढांचा इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।

लॉकडाउन का राज्य की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर हुआ। इसमें कैसे जान फूंकेंगे?

अनुमान है कि उद्योग, होटल आदि बंद रखने से राज्य की अर्थव्यवस्था को 40,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। हमने सुनिश्चित किया कि बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में दवा इकाइयां फिर शुरू हों। घर लौटे श्रमिकों को भी काम पर लाया जा रहा है। धीरे-धीरे अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने से आर्थिक गतिविधियां दोबारा शुरू करने और कंस्ट्रक्शन जैसे उद्योंगों में श्रमिकों की वापसी में मदद मिली है। होटलों को फिर से व्यापार की अनुमति दी गई है। अंतरराज्यीय गतिविधियों की इजाजत देने से पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।

दूसरे राज्यों से ज्यादा पर्यटक आएंगे तो संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ेगा?

सभी होटलों के लिए एक मानक प्रक्रिया है। अभी तक किसी भी होटल या गेस्ट हाउस में ठहरने वाला पर्टयक कोविड संक्रमित नहीं पाया गया है। राज्य में मास्क पहनना और दो लोगों के बीच उचित दूरी रखना अनिवार्य है। पुलिस और दूसरी एजेंसियों को इसे लागू कराने को कहा गया है। साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि लापरवाही न बरतें, क्योंकि वायरस किसी भी क्षण आपको गिरफ्त में ले सकता है।

विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि सरकार कोविड-19 संकट संभालने में बुरी तरह विफल रही। शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है।

मैं विपक्ष को दोष नहीं देता। वे अपना काम कर रहे हैं और कुछ मुद्दे उठा रहे हैं। सच तो यही है कि राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश ने संकट को बेहतर तरीके से संभाला, जबकि वहां तो ज्यादा अनुभवी मुख्यमंत्री हैं। यह बहुत ही आकस्मिक और अप्रत्याशित स्थिति थी। संभव है गलती हुई हो, फिर भी हमें सुधार करने में समय नहीं लगा।

सेब का मौसम अंतिम चरण में है। बागान मालिक मजदूरों, जिनमें अधिकतर नेपाली हैं, की कमी की शिकायत कर रहे हैं।

कई वर्षों से सेब उत्पादक पूरी तरह नेपाल से आने वाले के प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर थे। वे सीजन के दौरान आते थे और उसके बाद लौट जाते थे। इस बार, लॉकडाउन और वायरस के डर के कारण, नेपाल से श्रमिक नहीं आए। सरकार ने यूपी, हरियाणा और बिहार और हिमाचल प्रदेश के भीतरी इलाकों से मजदूरों की व्यवस्था की। सेब के 2.50 करोड़ बक्से तैयार करने के प्रयास किए गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल रोहतांग सुरंग का उद्घाटन करने के लिए मनाली में थे। कांग्रेस का कहना है कि न तो मोदी न भाजपा को सुरंग का श्रेय लेने का नैतिक अधिकार है।

सभी जानते हैं कि रोहतांग सुरंग, जिसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है, उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। उन्होंने 2000 में इस योजना को मंजूरी दी थी। लेह-लद्दाख में एलएसी पर तैनात भारतीय सेनिकों के लिए इस सुरंग का बड़ा सामरिक महत्व है। इसने लाहौल-स्पीति के लोगों का दशकों पुराना एकांतवास भी समाप्त कर दिया है। इससे क्षेत्र में पर्यटन के साथ ही लाहौल, स्पीति और पांगी के आदिवासियों की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। हमारे निरंतर प्रयासों और प्रधानमंत्री मोदी के फॉलोअप के कारण सुरंग का काम पूरा हो पाया। पर्यटक सुरंग देखने आ रहे हैं। पर्यटन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। कांग्रेस को इस पर राजनीति नहीं करना चाहिए।

खुद को नेतृत्व के मोर्चे पर कैसा पाते हैं? कहा जाता है कि आपके अधिकांश फैसले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लेते हैं?

मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति से खुश हूं। मैं अपने लिए कोई चुनौती नहीं देखता। मुझे पार्टी हाइकमान का विश्वास और समर्थन मिला हुआ है। न तो किसी ने मुझे कभी हुक्म दिया न कभी मेरे काम में दखल दिया। सरकार चलाने के लिए मैं स्वतंत्र हूं। हां इतना जरूर है कि हम समन्वय के साथ में काम करते हैं। आप जिसे हस्तक्षेप कहते हैं, हम वास्तव में उसे परामर्श कहते हैं। नड्डा जी हिमाचल प्रदेश से हैं। हमने वर्षों तक साथ काम किया और धूमल जी (प्रेम कुमार धूमल) की कैबिनेट में मंत्री भी रहे। मेरा पार्टी के साथ समन्वय अच्छा है। भाजपा ने सभी लोकसभा सीटों और उसके बाद हुए दो उप चुनाव में रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस का यहां कोई भविष्य नहीं है। हम 2022 में भी यही जीत दोहराएंगे।

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