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हरियाणाः “कांग्रेस की साजिश हुई नाकाम”

हरियाणा सरकार में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेताओं को प्रदेश में किसानों और खाप पंचायतों के बहिष्कार का सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा है
उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला

हरियाणा सरकार में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेताओं को प्रदेश में किसानों और खाप पंचायतों के बहिष्कार का सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा है। इन विषम चुनौतियों में भी 11 अहम विभागों का कामकाज सुचारु बनाए रखने के लिए जजपा नेता तथा उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कैसे तालमेल बिठाया है,  इस पर आउटलुक के हरीश मानव ने उनसे विस्तृत बातचीत की। प्रमुख अंश:

 

जजपा पर क्या भीतर और बाहर से दबाव नहीं है कि आंदोलनरत किसानों के समर्थन में भाजपा से गठबंधन तोड़ कर सरकार गिरा दी जानी चाहिए?

किसी तरह का कोई दबाव नहीं हैं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) का एक भी नेता-कार्यकर्ता यह कहने नहीं आया कि समर्थन वापस लेना चाहिए। हमारा गठबंधन चट्टान की तरह मजबूत है, सरकार पांच साल चलेगी।

देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करने वाली जजपा के भाजपा के साथ सरकार में बने रहने से क्या किसानों में यह संदेश नहीं जा रहा है कि सत्ता के लिए उसने किसानों का साथ छोड़ दिया है?

भ्रम फैलाए गए हैं कि किसान को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बंद हो जाएगा। पिछले एक साल में हमने रबी और खरीफ की 6 फसलें एमएसपी पर खरीदी हैं जिसका 30,000 करोड़ रुपये भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में गया है, जो पहले आढ़तियों के हाथ आता था। मैं आश्वस्त करता हूं कि अप्रैल में शुरू होने वाली गेहूं और अन्य फसलों का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदा जाएगा। हरियाणा देश का ऐसा पहला प्रदेश है कि जहां 'जे फॉर्म' कटने के अगले ही दिन किसान के बैंक खाते में सीधे पैसा आता है। जो लोग आज कृषि कानूनों का विरोध कर रहे, वे दूसरे प्रदेशों में सत्ता में हैं। वे क्यों नहीं, अपने प्रदेश में हरियाणा जैसी पॉलिसी लेकर आते कि किसान को डीबीटी के जरिए दो दिन में फसल का पैसा सीधे बैंक खाते में दिया जाए। पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं? जहां तक बात केंद्र के तीन कृषि कानूनों में बदलाव की है, उसके लिए केंद्र सरकार तैयार है। प्रधानमंत्री संसद में कह चुके हैं कि सुझाव लाइए मैं लागू करूंगा। इससे बड़ी बात क्या होगी कि देश का मुखिया देश की आवाज सुनकर अपने बनाए हुए कानून को आज बदलना चाहता है।

सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाकर क्या कांग्रेस किसानों के और करीब नहीं हो गई है?

अविश्वास प्रस्ताव लाने के कांग्रेस के इरादे में किसानों का हित नहीं था, बल्कि वह सत्ता पाने का हसीन सपना देख रही थी। कांग्रेस मुंगेरी लाल के हसीन सपने न देखे, हमारा गंठबधन पूरे पांच साल चलेगा। जेजेपी और भाजपा मिलकर प्रदेश को आगे लेकर जाएगी। हरियाणा के सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस के नेता कल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे।

किसानों के विरोध के चलते राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव टाल दिए?

अभी हमारी 108 नई पंचायतें बनी हैं। उन पंचायतों के गठन के साथ अब पंचायतों के ब्लॉक का गठन होना है, जैसे ही यह कार्य पूरा होगा, पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। हरियाणा ऐसा पहला राज्य है जिसने 50 फीसदी महिलाओं की भागीदारी ग्राम पंचायतों में आश्वस्त की है। इस प्रकिया के चलते भी चुनाव प्रक्रिया में देरी हुई है।

एक तरफ निवेश के लिए कंपनियों को बुला रहे हैं, और दूसरी तरफ स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की शर्त भी लगा रहे हैं। ऐसी बंदिश पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से लेकर मारुति सुज़ुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने भी नाराजगी जताई है।

अगर भार्गव जी इस तरह के शब्द कह रहे हैं तो मैं उनको याद दिला देता हूं कि जब इस पॉलिसी पर विचार हो रहा था तो उस विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में वे भी बैठे थे। हमने उनके भी सुझाव लिए। 50 हजार रुपये मासिक वेतन तक की नौकरियों में ही आरक्षण का सुझाव उन्हीं की ओर से आया है। उन्होंने स्वयं उस मीटिंग में कहा था कि अगर लोकल स्किल्ड इम्प्लॉयमेंट मिलती है तो हमारा कर्मचारियों पर हाउसिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बचता है। फिक्की, सीआइआइ समेत जिला स्तर और राज्य स्तर की इंडस्ट्री एसोसिएशन से सुझाव लेने के बाद ही ऐसा कानून लेकर आए हैं, जिससे प्रदेश के लोगों को जॉब सिक्योरिटी दी जा सके।

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