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“मोदी के बुलावे पर वापस आया”

भाजपा में वापसी और अपनी पार्टी के विलय के बारे में मरांडी ने रखा अपना पक्ष
बाबूलाल मरांडी

झारखंड के पहले मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झावीमो) का भाजपा में विलय कर लिया है। पार्टी की गतिविधियों, नेता-प्रतिपक्ष की सदस्यता की मान्‍यता और हेमंत सरकार के कामकाज पर आउटलुक के नवीन कुमार मिश्र के साथ लंबी बातचीत की। महत्‍वपूर्ण अंश:

 

आपकी सदस्यता की मान्‍यता का मामला विधानसभा अध्‍यक्ष के पास है, ऐसे कैसे चलेगा?

विधानसभा अध्‍यक्ष मुख्‍यमंत्री के दबाव में काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग कस्‍टोडियन होता है, उसने भाजपा में जेवीएम के विलय को मान्‍यता दे दी है। मगर विधानसभा अध्‍यक्ष ने दसवें शिड्यूल को ले कर नोटिस पकड़ा दिया है। फरवरी में विलय और अगस्‍त में नोटिस, इसी से मंशा जाहिर होती है।

चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष का पद साधने के लिए आप दुमका सीट से उप चुनाव लड़ेंगे

मुझे जनता ने चुना है। मैं इस्‍तीफा क्‍यों दूंगा। मैं घबराने वाला नहीं। ऊपरी अदालत में जाने के लिए कानूनी परामर्श कर रहा हूं। मैं खुद संगठन के काम में लगना चाहता था, मगर पार्टी ने यहां लगा दिया है, तो भला मैं भागूंगा क्यों।

पिछली बार जेवीएम के छह विधायक चले गए थे, तब दलबदल गलत था। आज सही कैसे?

पिछली बार और इस बार में फर्क है। उस समय पार्टी का विलय नहीं हुआ था, विधायक भाग गए थे। इस बार किसी ने भी शिकायत नहीं की है। विधानसभा अध्‍यक्ष ने स्‍वत: संज्ञान लिया है।

भाजपा से 14 साल अलग होकर जेवीएम पार्टी चलाई। इससे आपको क्या हासिल हुआ?

14 साल संघर्ष किया, झारखंड को समझने की कोशिश की। गांव-गांव जाकर लोगों से मिलता रहा। जमीनी स्‍तर पर लोगों की समस्‍याओं को समझने का काम किया। हर साल पचास हजार किलोमीटर घूमा। भाजपा शुरुआत से ही वापसी के लिए लगी हुई थी। 2019 आते-आते लगा कि अकेले बहुत दिनों तक नहीं लड़ सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में काम हो रहा था। खुद मोदीजी ने एक-दो बार फोन किया। कहा, साथ मिलकर काम करते हैं। बस मैंने मन बना लिया।

विधानसभा में विरोधी दल का नेता, मुख्‍य सचेतक और सचेतक नहीं हैं। आपकी आगे की रणनीति क्‍या होगी?

पार्टी है, प्रदेश अध्‍यक्ष हैं, विधायक हैं, संगठनकर्ता हैं। सब मिलकर नीति तय करते हैं। भाजपा के मुख्‍य सचेतक, सचेतक के चयन में परेशानी नहीं है। समय पर इसका भी निर्णय हो जाएगा।

चर्चा है कि आपके कई विधायक जेएमएम के संपर्क में हैं?

इस खबर में कोई दम नहीं है। इस तरह की खबरें उड़ती रहती हैं। सरकार बने आठ माह हो गए, सरकार के पास साधन का अभाव है। जो साधन हैं उनका ही ठीक से उपयोग नहीं हो पा रहा है, तो फिर लोग जेएमएम में क्‍यों जाएंगे।

हेमंत सरकार कैसा काम कर रही है?

सरकार जो कर सकती है वह भी नहीं कर रही है। निजी अस्‍पतालों में कोरोना के इलाज के लिए दर निर्धारित की गई है, वह इतनी ज्यादा है कि गरीबों को इससे मुश्किल होगी। फिर भी इलाज की सुविधा, तो है ही नहीं। बाहर से आए श्रमिकों को सरकार काम देने में विफल रही है। श्रमिक वापस दिल्‍ली और दक्षिण के राज्‍यों में काम खोजने लौट रहे हैं। तबादलों का तो जैसे, उद्योग चल रहा है। मशीन से किए गए काम को मनरेगा में बता कर पैसे लिए जा रहे हैं।

आपकी वापसी को सात माह हो गए लेकिन आपकी मौजूदगी का एहसास नहीं हो रहा?

कोरोना काल है। ऐसे में क्‍या कर सकते हैं। सरकार की गड़बड़ियों पर पत्र लिख सकता हूं, वह लगातार लिख रहा हूं। लोगों ने तो मुझे पत्रवीर का तगमा ही दे दिया है। 

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