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“कोचिंग नहीं, मेहनत से पाया मुकाम”

उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सुल्तानपुर की प्रतिभा वर्मा ने ऑल इंडिया रैंक 3 और महिलाओं में प्रथम स्थान हासिल किया है।
सिविल सेवा परीक्षा 2019 में भारत में तीसरी रैंक और महिलाओं में पहली रैंक लाने वाली प्रतिभा वर्मा

देश की सबसे कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2019 में चयनित कुल 829 उम्मीदवारों में इस साल छोटे शहरों और गांवों का डंका बज रहा है। उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सुल्तानपुर की प्रतिभा वर्मा ने ऑल इंडिया रैंक 3 और महिलाओं में प्रथम स्थान हासिल किया है। आउटलुक के नीरज झा के साथ बातचीत में 27 वर्षीय प्रतिभा कहती हैं कि कभी सोचा नहीं था कि मैं टॉप करूंगी। प्रमुख अंशः

 

सुल्तानपुर से देश की सबसे कठ‌िन परीक्षा में तीसरे नंबर पर और महिलाओं में प्रथम आना, ये सफर कैसा रहा?

बचपन में ही ठान लिया था,  आइएएस बनना है। 2018 की परीक्षा में इंडियन रेवन्यू सर्विस (आइआरएस) मिलने के बाद भी मेरी नजर आइएएस पर थी। हर दिन फोकस बनाकर 10 घंटे पढ़ाई करती थी। परिवार का सहयोग नहीं होता तो ये मुकाम हासिल नहीं कर पाती। दसवीं तक मैंने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। अंग्रेजी को लेकर इतनी आश्वस्त नहीं थी, इसलिए कभी टॉप करने का नहीं सोचा था।

स्कूली शिक्षा और बचपन के बारे में बताइए। सफलता में माता-पिता का कितना योगदान रहा?

दसवीं तक उत्तर प्रदेश बोर्ड से हिंदी माध्यम से पढ़ने के बाद ग्यारवीं में मैंने साइंस लिया। जेईई मेंस परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मुझे आइआइटी, दिल्ली में दाखिला मिला। 2014 में बीटेक खत्म होने के बाद वोडाफोन में दो साल नौकरी की। फिर नौकरी छोड़कर तैयारी में जुट गई। मेरे माता-पिता, दोनों शिक्षक हैं। माता-पिता शिक्षक नहीं होते तो इस सफर में मुश्किलें आतीं। हम दो भाई और दो बहनें हैं। पर घर में कभी बेटे-बेटी के बीच भेदभाव नहीं किया गया।

आइएएस बनने की प्रेरणा कैसे मिली?

बचपन से आइएएस बनने की इच्छा थी। लेकिन जब मैं आइआइटी दिल्ली गई और मुझे कई सारे गैर-सरकारी संस्थानों के साथ काम करने का मौका मिला। जब मैं निरक्षर महिलाओं और बच्चों के बीच जाती थी तो कई तरह की कमियां पाती थी, तब मुझे लगा कि आइएएस ऐसा माध्यम है जिसके जरिए मैं कुछ योगदान दे सकती हूं।

तैयारी के दौरान कभी ‌हतोत्साहित हुईं

पहली बार जब 2017 में परीक्षा दी थी, तो प्रीलिम्स भी नहीं निकाल पाई। मैं निराश थी लेकिन परिवार वालों के सहयोग और खुद के विश्वास ने टूटने नहीं दिया। जब मैं 2019 परीक्षा में शामिल हुई तो मैं बहुत नर्वस थी। मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि मैं तीसरा रैंक लाऊंगी।

छात्रों के लिए आप क्या कहना चाहेंगी?

यूपीएससी के सिलेबस के मुताबिक मानक किताबें पढ़ें। अखबार पढ़ें और करेंट अफेयर्स नोट करें। एनसीईआरटी की किताबों पर फोकस करें। सबसे जरूरी बात प्रैक्टिस और रिवीजन है। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सरोकार से जुड़े हर पहलुओं पर पकड़ बनाने की जरूरत है।

हमारा देश आज भी पुरुष प्रधान है। आप नारीवाद और जाति तथा नस्ल के भेदभाव को कैसे देखती है?

शहरों से ज्यादा गांवों में ये देखने को मिलता है। पंचायती राज के तहत सरपंच और मुखिया के लिए महिला सीट आरक्षित किए गए हैं, फिर भी उनके पति ही सभी तरह के निर्णय लेते हैं। दूसरे भेदभाव भी बहुत हैं। सभी को मानसिकता बदलने की जरूरत है।

पिछले कुछ साल में बहुत से नौकरशाहों ने नौकरी छोड़ी है। क्या नौकरशाही पर अत्यधिक राजनीति हावी हो चली है?

ये बिल्कुल सही बात है कि बीते कुछ वर्षों में कई सारे नौकशाहों ने नौकरी छोड़ी है। काम करने को लेकर सरकार की विचारधारा और उनके बीच पनपे मतभेद की वजह से कई लोगों ने इस्तीफा दिया है। मेरा मानना है कि इन दोनों के बीच बहुत पतली लकीर है, जिसे समझने की जरूरत है। दोनों मिलकर काम करेंगे तभी कुछ हो सकता है। संवैधानिक पहलू पर नजर रखनी होगी। कई बार एक नौकरशाह को बहुत मजबूत निर्णय लेना होता है। उदाहरण के तौर पर टीएन शेषन हैं, जिन्होंने चुनाव को लेकर कई नियमों का सख्ती से पालन कराया

यूपीएससी परीक्षा में आपका माध्यम कौन सा रहा?

ग्रेजुएशन मैंने अंग्रेजी माध्यम से किया है, इसलिए, मैंने अंग्रेजी माध्यम से ही परीक्षा दी। हिंदी में पढ़ने की सामग्री बहुत कम है और जो है भी गुणवत्ता के साथ उपलब्ध नहीं है। हिंदी अखबारों को ही देखें तो इसमें अच्छे कॉलम नहीं मिलते। हिंदी अखबारों में ऐसे लेख नहीं मिलते जो, परीक्षा के लिहाज से उपयोगी हो।

आप किस काडर को चुनना पसंद करेंगी?

मेरी पहली प्राथमिकता होम काडर उत्तर प्रदेश है। दूसरा राजस्थान और तीसरा मध्य प्रदेश।

सुलतानपुर की कमान आपको सौंपी जाती है तो किन-किन खामियों को आप दूर करना चाहेंगी?

शिक्षा, स्वास्थ्य, लोगों को जागरूक करना, हर व्यक्ति तक शुद्ध पानी और महिलाओं को सशक्त करना मेरी सूची में सबसे पहले होगा। मैं शहर में सड़कों को लेकर भी काम करूंगी, क्योंकि आज भी हमारे यहां की सड़कें जर्जर हालत में है।

क्या आप भविष्य में राजनीति में आना चाहेंगी?

नहीं, मुझे नहीं लगता है कि मैं कभी राजनीति में आने का सोचूंगी। फिलहाल तो बस काम पर और समाज की भलाई पर ध्यान देना है।

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