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इनेलो के वजूद पर घने बादल

पार्टी में बिखराव और जेजेपी के उदय से बदले समीकरण
बिखरा कुनबाः इनेलो के महासचिव अभय चौटाला

पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवीलाल की राजनैतिक विरासत ऐसे समय में दो-फाड़ हुई है जब देश में आम चुनाव हो रहे हैं। जनता दल के विघटन के बाद चौधरी देवीलाल ने अपनी राजनैतिक विरासत को बचाने के लिए जिस पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का गठन किया, वह चौथी पीढ़ी के दौर में आज अपने अस्तित्व के लिए हाथ-पैर मार रही है। जबकि इनेलो से निकले अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का उदय हो रहा है। परिवार की कलह के कारण चार महीने पहले बनी जेजेपी ने इनेलो के गढ़ जींद के उप-चुनाव में दूसरा स्थान पाकर अपनी ताकत दिखा दी। चुनाव में इनेलो महज 3,500 वोट पाकर पांचवें स्थान पर खिसक गई। जेबीटी टीचर्स भर्ती घोटाले में जनवरी 2013 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय जेल क्या गए, तभी से इनेलो की उलटी गिनती शुरू हो गई। चौटाला भी अपने बेटों और पोतों की कलह सुलझा नहीं पाए।

छह साल से इनेलो की कमान संभाल रहे चौटाला के छोटे बेटे अभय के खिलाफ अजय के बेटों का गुस्सा फूटने से पार्टी विभाजित हो गई। विधानसभा में भी इनेलो के विधायकों की संख्या 19 से घटकर 11 रह गई। उसके चार विधायक जेजेपी में चले गए जबकि दो भाजपा में। एक विधायक की मृत्यु होने के बाद हुए उप-चुनाव में उस सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया जबकि एक और विधायक की मृत्यु होने के बाद सीट खाली हो गई। विधायकों की संख्या घटने से अभय चौटाला को नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ सकता है। इस पद पर 15 विधायकों वाली कांग्रेस ने दावेदारी की है। पूर्व विधानसभा स्पीकर सतबीर कादियान और पार्टी प्रवक्ता डा.के.सी. बांगड़ ने भी इनेलो से किनारा कर लिया है।

अब अटकलें ये हैं कि मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में 12 मई को मतदान से पहले इनेलो के कई वरिष्ठ नेता जेजेपी और भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में इनेलो महासचिव अभय चौटाला ने पार्टी का अस्तित्व बचाने की कवायद तेज कर दी है। नेताओं का पलायन थामने के लिए उपेक्षित वरिष्ठ नेताओं को अहम ओहदे दिए जा रहे हैं। सिरसा से सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक नफे सिंह राठी तथा रमेश दलाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने आउटलुक को बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता बढ़ाने के लिए उन्हें अहम जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं। इनेलो छह अप्रैल को देवीलाल की पुण्यतिथि पर दिल्ली और हरियाणा में ब्लॉक स्तर पर प्रार्थना सभाओं के बाद पार्टी को मजबूत करने के लिए एक हफ्ते का ‘चलो गांव की ओर’ अभियान शुरू करने की तैयारी में है। 

उधर, अजय चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय ने आउटलुक  से कहा कि 2013 में उनके दादा और पिता के जेल जाने के बाद से उनके चाचा अभय चौटाला ने इनेलो पर कब्जा कर लिया। उन्होंने इनेलो और उसका चुनाव चिह्न ऐनक चाचा अभय को उपहार में दे दिया। उनका कहना है कि वे, उनके भाई दुष्यंत, पिता अजय चौटाला और मां नैना चौटाला के साथ हजारों कार्यकर्ता जेजेपी के चुनाव चिन्ह चप्पल को परदादा देवीलाल की खड़ाऊं मानकर उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाएंगे। अभय चौटाला का कहना है कि कलह भतीजे दुष्यंत और दिग्विजय ने की है। इनेलो के संकट से भाजपा और कांग्रेस हरियाणा में नए सियासी समीकरणों के अलग मायने निकाल रही हैं। कहा जा रहा है कि इस बिखराव के पीछे कहीं न कहीं भाजपा और कांग्रेस की रणनीति है। रोहतक के कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चौटाला परिवार की कलह से इनेलो का सियासी वजूद खत्म हो गया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि इनेलो से भाजपा किसी तरह का गठबंधन नहीं करेगी। जो भी हो, संभावना यही है कि इसी साल अक्टूबर में तय विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस और जेजेपी में ही मुकाबला रह जाएगा। इनेलो मैदान से बाहर हो चुकी है।

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