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खेलः खिलाड़ियों का अनाड़ीपन

कई कारणों से भारतीय खिलाड़ी विवादों में रहे, खिलाड़ियों के इस स्याह पक्ष ने कभी खेल की गरिमा को ठेस पहुंचाई तो कभी समूचे तंत्र की
तमाचा कांडः इतने साल बाद फिर वीडियो वायरल होने पर बवाल

आइपीएल के पहले सत्र में क्रिकेट के इस नए फॉर्मेट से ज्यादा हरभजन-श्रीसंत का मामला ज्यादा चर्चित रहा था। उस घटना को 17 साल बीत गए और क्रिकेट प्रेमियों के साथ आम लोगों की स्मृति में भी यह घटना धुंधला गई। बहस के चलते हरभजन सिंह ने श्रीसंत को करारा चांटा रसीद कर दिया और श्रीसंत बच्चों की तरह मैदान में ही फूट-फूट कर रोने लगे। लंबे समय तक हरभजन को उस थप्पड़ की ‘चोट’ सहनी पड़ी। अब अचानक बिना किसी संदर्भ के ललित मोदी ने पता नहीं क्यों थप्पड़ कांड का वीडियो दोबारा रिलीज कर दिया। जाहिर है, इस थप्पड़ की गूंज सोशल मीडिया पर एक बार फिर सुनाई देने लगी।

श्रीसंत की पत्नी ने इतने साल बाद इस वीडियो को दोबारा रिलीज करने पर ललित मोदी को सोशल मीडिया पर ही खूब खरी-खोटी सुनाई। लेकिन जो बात चर्चा में आ गई, सो आ गई। उसके बाद भी कई ऐसे वाकये हुए, जिससे खिलाड़ियों के आक्रमक व्यवहार पर बात हुई। उनसे खिलाड़ियों की छवि तो धूमिल हुई ही लेकिन खेल भावना पर भी प्रश्न लगे। आक्रमकता के अलावा सट्टेबाजी, फिक्सिंग, प्रतिबंधित दवाओं के उपयोग, कभी चयन की खींचतान, तो कभी निजी घटनाओं से खिलाड़ी सुर्खियों में बने रहे। भारतीय खेल जगत के ऐसे खिलाड़ियों पर एक नजर जिन्होंने उन्हें गलत कारणों से चर्चा में बनाए रखा।

मोहम्मद अजहरुद्दीन

मोहम्मद अजहरुद्दीन

 

अजहरुद्दीन के साथ फिक्सिंग प्रकरण ऐसा जुड़ा कि आज तक पीछा नहीं छोड़ता। 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे थे। उससे पहले उन्हें एक उम्दा व्यक्ति, क्षमतावान खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था। जांच हुई और दोषी पाए जाने पर बीसीसीआइ ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। मामला अदालत में पहुंचा और 2012 में आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने इस प्रतिबंध को गैर-कानूनी ठहरा दिया। फिर भी यह फैसला उन्हें राहत नहीं दे सका और उनकी छवि को लगी गहरी चोट की फिर कभी भरपाई नहीं हुई।

एस. श्रीसंत, अजीत चंदीला, अंकित चव्हाण

2013 में दिल्ली पुलिस ने एस. श्रीसंत, अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। एक दूसरे मामले में मुंबई पुलिस ने अभिनेता विंदू दारा सिंह और चेन्नै सुपर किंग्स के गुरुनाथ मयप्पन को सट्टेबाजी के आरोप में पकड़ा। चेन्नै और राजस्थान की टीमों को दो साल के लिए निलंबन झेलना पड़ा। हालांकि बाद में खिलाड़ी आरोपों से मुक्त हो गए और सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीसंत पर बीसीसीआइ द्वारा लगाया गया आजीवन प्रतिबंध भी हटा दिया।

मंकीगेट प्रकरण

मंकीगेट प्रकरण

 

2007-2008 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे थी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जानी थी। पहला टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया जीत चुका था। दूसरा टेस्ट मैच में बल्लेबाजी कर रहे हरभजन सिंह और सायमंड्स के बीच नोकझोंक ने बहस का रूप ले लिया। सायमंड्स ने आरोप लगाया कि हरभजन ने उन्हें मंकी (बंदर) कहा है। ऑस्ट्रेलिया में मंकी नस्लीय टिप्पणी है। हरभजन सिंह को तीन टेस्ट से बैन कर दिया गया।

हार्दिक पांड्या, के.एल. राहुल

हार्दिक पांड्या, के.एल. राहुल

 

कॉफी विद करण में जाने की हसरत ने एक बार हार्दिक पांड्या और के.एल. राहुल को बड़ी मुसीबत में डाल दिया था। 2019 में दोनों खिलाड़ी करण जौहर के उस चर्चित शो में गए। करण ने अपने अंदाज में सवाल किए और दोनों ने महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर दी। इस मामले ने बहुत तूल पकड़ा और दोनों खिलाड़ी विवाद में आ गए। पांड्या के बयानों को लेकर भारी आलोचना हुई। माफी मांगने पर भी दोनों को निलंबन का सामना करना पड़ा।

दुती चंद

भारत की स्प्रिंटर दुती चंद को हाइपरएंड्रोजेनिज्म के कारण राष्ट्रमंडल खेल से बाहर कर दिया गया था। हाइपरएंड्रोनिज्म जेंडर से जुड़ा मामला है। 2014 में उन्हें इस आधार पर बाहर कर दिया गया था कि उनके शरीर में पुरुषों में होने वाले हार्मोन टेस्टोस्टेरोन की दर उच्च है। इस वजह से उन्हें महिला एथलीट के रूप में भाग लेने से रोक दिया गया और उन्हें ‘पुरुष’ माना गया। उन्हें लिंग परीक्षण से गुजरना पड़ा और महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। बाद में उन्हें स्पोर्ट्स कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (सीएएस) जिसे उच्च टेस्टोस्टेरोन वाली महिला एथलीटों माना जाता है का मामला जीतने में सफलता मिली। इसके बाद उन्हें दोबारा महिला वर्ग में खेलने की अनुमति मिली।

संजीता चानू

2003 में संजीता चानू पर डोप परीक्षण में असफल रहने के कारण राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने चार साल का प्रतिबंध लगाया था। राष्ट्रमंडल खेलों में दो बार की चैंपियन भारतीय वेटलिफ्टर चानू गुजरात में राष्ट्रीय खेलों के दौरान परीक्षण में एनाबॉलिक स्टेरॉयड और ड्रोस्तानोलोन मेटाबोलाइट के लिए पॉजिटिव पाई गई थीं। यह दवा विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। इसके बाद उन से राष्ट्रीय खेलों में जीता गया रजत पदक छीन लिया गया था।

नवजोत सिंह सिद्धू

1998 में पटियाला में सड़क पर हुए झगड़े में नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बुजुर्ग गुरनाम सिंह की पिटाई कर दी थी। नतीजतन गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। गुरनाम के परिवार मामले को अदालत तक ले गए। लंबे चले मुकदमें में आखिरकार 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को  एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

सौरव गांगुली, ग्रेग चैपल

कोच बनने के कुछ ही महीने बाद चैपल और गांगुली के बीच गंभीर मतभेद हो गए। गांगुली कप्तानी से हट गए और उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस विवाद ने टीम के वातावरण को बिगाड़ दिया। बाद में सौरव गांगुली की वापसी हुई। चैपल ने 2007 विश्व कप के बाद पद छोड़ दिया।

मोहम्मद शमी

मोहम्मद शमी

 

शमी खेल तो नहीं लेकिन निजी जीवन विवाद के कारण चर्चा में रहे। 2018 में उनकी पत्नी हसीं जहां ने उन पर घरेलू हिंसा और विवाहेतर संबंधों के आरोप लगाए। मामला अदालत तक गया और इस बात ने इतना तूल पकड़ा कि बोर्ड को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। इन सबके बावजूद शमी ने मैदान में शानदार प्रदर्शन जारी रखा।

नरसिंह यादव

2016 में रियो ओलंपिक से पहले नरिसंह यादव को प्रतिबंधित दवा लेने का दोषी पाया गया। नरसिंह ने अपनी सफाई में इसे बड़ी साजिश और जान से मारने की कोशिश बताया। प्रारंभिक जांच में उन्हें जरूर राहत मिली लेकिन वाडा ने आखिरकार उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया।

सुशील कुमार

2021 में छत्रसाल स्टेडियम में झगड़े के दौरान पहलवान सागर धनखड़ की मौत हो गई। ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार पर धनखड़ की हत्या का आरोप लगा। सुशील पर मारपीट और अपहरण का भी आरोप लगा। गिरफ्तारी के बाद कई बार जमानत अर्जी खारिज हुई। मार्च 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत भी रद्द कर दी और सरेंडर का आदेश दिया।