विनोद कुमार शुक्ल को 30 लाख रुपये की रॉयल्टी मिलने की खबर साहित्य जगत में चर्चा का विषय है। इसे किस तरह देखती हैं?
यह बहुत महत्वपूर्ण है। हिंद युग्म के भारतवासी बधाई के पात्र हैं कि छह महीने में उन्होंने एक पुस्तक की इतनी प्रतियां बेच लीं।
आपको लगता है, हिंदी साहित्य में लेखकों के प्रति पारदर्शिता की दिशा में यह नया मोड़ साबित हो सकता है?
हिंदी पुस्तकों की बिक्री के दृष्टिकोण से एक यह नया मोड़ है।
कई लेखक आरोप लगाते हैं कि प्रकाशक उनकी किताबें रीप्रिंट या पेपरबैक के नाम पर बिना जानकारी दिए छापते रहते हैं।
कोई विशेष आरोप की जहां तक बात है, उसके बारे में तो संबंधित प्रकाशक ही बता सकता है।
किताबों की बिक्री का डेटा लेखकों के साथ कितनी पारदर्शिता से साझा किया जाता है? क्या उन्हें यह जानकारी वास्तविक समय में मिल पाती है?
मैं अपनी बात बता सकती हूं। वित्तीय वर्ष खत्म होने के छह महीने के अंदर लेखक को बिक्री की स्टेटमेंट रॉयल्टी का चेक भेज दिया जाता है।
हिंदी के अधिकांश लेखक शिकायत करते हैं कि उन्हें सही रॉयल्टी नहीं मिलती। आपके यहां रॉयल्टी की क्या प्रक्रिया है?
यह सही है कि कभी-कभार कोई लेखक यह मुद्दा उठाता है कि उसे लगता है कि उसे रॉयल्टी अधिक मिलनी चाहिए, उसे रॉयल्टी कम मिली है। आशय यह कि लेखक बिक्री से संतुष्ट नहीं है। हमारी ओर से हर पुस्तक का प्रचार-प्रसार पूरा होता है। जितनी प्रतियां बिकीं, अनुबंध के अनुसार रॉयल्टी दी जाती है। आप रॉयल्टी के संबंध में सही हिसाब नहीं दे रहे, लंबे समय तक मार्केट में नहीं रह सकते।
हिंदी में रॉयल्टी तय करने का कोई मानक या गाइडलाइन क्यों नहीं है, जबकि अंग्रेजी प्रकाशन जगत में यह काफी स्पष्ट है?
यह कहना कि हिंदी में रॉयल्टी के संबंध में कोई मानक नहीं है, गलत बात है। हिंदी में भी बिल्कुल मानक हैं और आज से नहीं, बहुत पहले से हैं। हर पुस्तक के प्रकाशन से पहले लेखक के साथ लिखित अनुबंध होता है, जिसमें हर बात स्पष्ट लिखी रहती है। हमारे पास 50-60 साल पहले के लेखकों के साथ किए अनुबंध सुरक्षित रखे हुए हैं।
क्या ई-बुक्स और ऑडियो बुक्स की बिक्री का हिस्सा भी रॉयल्टी में होता है?
हमारी ई बुक्स किंडल पर उपलब्ध हैं। वित्त वर्ष के अंत में किंडल से जो बिक्री की राशि मिलती है, लेखक को उसकी 20 प्रतिशत रॉयल्टी के तौर पर दिया जाता है। ऑडियो बुक्स हमारी ऑडिबल से आती हैं। साल के अंत में ऑडिबल से ऑडियो बुक्स की जो बिक्री राशि हमें प्राप्त होती उस में से 25 प्रतिशत राशि लेखक को रॉयल्टी में दी जाती है।
अंग्रेजी लेखकों को भारी-भरकम रॉयल्टी और अग्रिम राशि मिलती है, जबकि हिंदी लेखक आर्थिक रूप से हाशिये पर रहते हैं।
अग्रिम राशि और रॉयल्टी बिक्री पर निर्भर है। हिंदी में भी अग्रिम राशि दी जाती है, हम भी देते हैं, लेकिन इसका कोई नियम तय नहीं है। अंग्रेजी का पाठक वर्ग और मार्केट हिंदी से कई गुना बड़ा है।