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20 मार्च 2023 · MAR 20 , 2023

पंजाब: 'वारिस' का वार

चंडीगढ़ के पास उग्रपंथियों के हमले के आगे पुलिस का समर्पण चिंता का विषय मगर मुख्यमंत्री मान राज्यपाल से टकराव में मशगूल
अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने अजनाला पुलिस पर 23 फरवरी को हमला किया

राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 23 फरवरी की दोपहर मुख्यमंत्री भगवंत मान मोहाली में इनवेस्टर्स समिट के मंच से दिग्गज कारोबारियों को संबोधित कर रहे थे, ‘‘पंजाब की जमीन इतनी उपजाऊ है कि यहां हर फसल का बीज फलने-फूलने में देर नहीं लगता पर नफरत के बीज के लिए यहां कोई जगह नहीं।’’ मान का यह संदेश अराजकता फैलाने वाली ताकतों तक पहुंचता, उससे पहले ही सुबह करीब 11 बजे ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख खालिस्तान समर्थक जत्थेदार अमृतपाल सिंह की अगुआई में उनके सैकड़ों समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया। ये लोग अपहरण और मारपीट के आरोप में फंसे अपने करीबी लवप्रीत तूफान को छुड़वाने और अपने कुछ दूसरे साथियों तथा अपने ऊपर दर्ज मामले के विरोध में पुलिस से भिड़ने पहुंच गए। हथियारबंद पुलिस ने इनके सामने घुटने टेक दिए। अमृतपाल के समर्थकों ने थाने को अपने कब्जे में ले लिया। एसपी हरपाल रंधावा ने आउटलुक से कहा, ‘‘हमलावरों के हाथों में तलवारें और बंदूकें थीं और वे श्री गुरुग्रंथ साहिब की पवित्र बीड़ को पालकी में लेकर साथ चल रहे थे इसलिए पुलिस श्री गुरुग्रंथ साहिब के सम्मान में पीछे हट गई और कार्रवाई नहीं कर सकी।’’  

उग्र भीड़ के हमले में एक डीएसपी समेत सात पुलिसवाले जख्मी हुए। इसके दबाव में पुलिस ने अमृतपाल सिंह के करीबी तूफान पर दर्ज मामला रद्द करने और उसे जेल से छोड़ने का भी फैसला किया। इस बारे में अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह ने कहा कि तूफान के निर्दोष होने के पर्याप्त सबूत मिलने के बाद ही उसे छोड़ने का फैसला किया गया।

ऐसे घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह ने कहा, ‘‘थाने पर कब्जा मतलब सरकार पर कब्जा होना है। थाना पर कब्जे की घटना तो राज्य में आतंकवाद के चरम वाले तेरह साल में भी कभी सामने नहीं आई। पंजाब पुलिस खालिस्तान समर्थकों के दबाव में है इसलिए कानून-व्यवस्था सवालों के घेरे में है।’’ मार्च में जी 20 सम्मेलन की चार बैठकें अमृतसर में होनी हैं। उससे पहले ऐसी घटना ने पंजाब में उसके आयोजन पर संशय खड़ा कर दिया है।

पंजाब दे वारिसः अपने समर्थकों के संग जत्थेदार अमृतपाल

हालात ऐसे हो गए हैं कि पंजाब की सड़कों से लेकर राजभवन तक पंजाब की नई सरकार की राह आसान नहीं है। सड़कों पर चरमपंथी प्रदर्शनकारी और राजभवन में राज्यपाल तक सरकार से उखड़े हुए हैं। आगामी 3 मार्च से बजट सत्र बुलाने के फैसले को राज्यपाल ने इनकार करके मान सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच लंबे समय से कायम छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। ऐसे अराजक माहौल में संभावनाएं गहरा रही हैं कि 16 मार्च को अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। जानकारों की मानें तो निकट भविष्य में राज्य में राष्ट्रपति शासन की आशंकाएं गहरा रही हैं।

राज्यपाल ने राज्य की कानून-व्यवस्था, प्रशासन से लेकर कई मामलों में मुख्यमंत्री को दर्जन भर पत्र लिखे हैं, मगर मुख्यमंत्री ने एक का भी जवाब नहीं दिया। मान ने ट्विटर पर तल्ख टिप्पणियां जरूर की हैं। मान ने लिखा, ‘‘मैं राज्यपाल को नहीं, पंजाब की तीन करोड़ जनता के प्रति जवाबदेह हूं।’’ फिर राज्यपाल पद पर नियुक्ति की पुरोहित की योग्यता पर उन्होंने सवाल खड़े किए। यानी एक ही साल में मान और राज्यपाल के रिश्ते बेहद तल्ख हो गए हैं। राज्यपाल ने भी कोई नरमी नहीं दिखाई। 3 मार्च से बजट सत्र को कैबिनेट की मंजूरी के बावजूद राज्यपाल ने इस पर अपनी मुहर नहीं लगाई और कहा, ‘‘कानूनी सलाह के बाद ही हम इस सत्र के बारे में सोचेंगे।’’

राज्यपाल पुरोहित ने 13 फरवरी को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राज्य के कुछ स्कूलों के प्रिंसिपलों की शिकायत का हवाला देकर लिखा, ‘‘ट्रेनिंग के लिए जिन प्रिंसिपल को सिंगापुर भेजा गया, उसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई?’’ जवाब में 14 फरवरी को ट्विटर पर मान ने लिखा, ‘‘सिंगापुर जाने वाले प्रिंसिपल की चयन प्रक्रिया के बारे में राज्य सरकार को पूछने से पहले राज्यपाल को इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्ति करने के लिए केंद्र सरकार की योग्यता की कसौटी पर प्रकाश डालना चाहिए।  राज्य के लोग यह जानना चाहते हैं कि राज्यपाल के पद के लिए किसी व्यक्ति की नियुक्ति के लिए किसी तय प्रक्रिया के बगैर केंद्र सरकार अलग-अलग राज्यों के राज्यपाल कैसे नियुक्त करती है। इस नियुक्ति के लिए संविधान में कोई योग्यता तय नहीं की गई, फिर राज्यपाल कैसे नियुक्त होते हैं?’’

राज्यपाल ने 13 फरवरी के पत्र में ही उससे पहले के पांच पत्रों का हवाला देकर लिखा, ‘‘21 जुलाई 2022 को लिखे पत्र में मैंने बताया था कि राज्य के दो लाख एससी विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप की रकम जारी न होने से वे पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर हैं।’’ राज्यपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया। जमीन हड़पने और अपहरण के आरोपी गुरजिंदर सिंह जवांडा को पंजाब इन्फॉर्मेशन ऐंड कम्यूनिकेशन ऐंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन लिमिटेड का चेयरमैन बनाए जाने पर भी राज्यपाल ने आपत्ति दर्ज की। इस पर मान ने ट्वीट किया, ‘‘राज्यपाल ने मुझे लिखे पत्रों में जो मसले उठाए हैं, वे राज्य के अधिकार क्षेत्र से संबंधित हैं। इन मसलों के लिए हम तीन करोड़ पंजाबियों के प्रति जवाबदेह हैं, जिन्होंने बड़ा जनादेश देकर राज्य की सेवा करने का अवसर दिया है, न कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति के प्रति जवाबदेह हैं।’’ मान ने कहा कि राज्यपाल को उपदेश देने के बजाय संविधान में दर्ज अपने कर्तव्यों को निभाने की ओर ध्यान देना चाहिए।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तनातनी पर देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तथा चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्यपाल जैन ने कहा, ‘‘इस बात से कोई इनकार नहीं कि जनता के भारी बहुमत से चुनी गई सरकार की जिम्मेदारी राज्य का राजकाज चलाने की है पर संवैधानिक तौर पर राज्यपाल प्रदेश का मुखिया होता है। राज्यपाल के साथ तालमेल में मुख्यमंत्री सरकार चलाता है पर पंजाब के मामले में गाड़ी पटरी से उतर चुकी है। संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी का जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन मुख्यमंत्री मान ने हमेशा राज्यपाल के लिखे पत्रों की अनदेखी की। राज्यपाल के प्रति मुख्यमंत्री का गैर- जिम्मेदाराना रवैया ठीक नहीं है।’’

कानून-व्यवस्था निशाने पर

अजनाला में 23 फरवरी को पुलिस थाने पर कब्जा और पुलिसवालों तथा चरमपंथियों के बीच खूनी जंग से पहले बंदियों की रिहाई को लेकर पिछले दो महीने से सरगर्मी जारी है। चंडीगढ़ से लगी मोहाली की सीमा पर डटे कौमी इंसाफ मोर्चे ने 9 फरवरी को चंडीगढ़ पुलिस से खूनी भिड़ंत में 40 से अधिक पुलिसवाले घायल हुए। पुलिस से भी अधिक आधुनिक हथियारों और तलवारों से लैस कौमी इंसाफ मोर्चा के उग्रपंथियों ने न केवल चंडीगढ़ पुलिस के जवानों को लहराती तलवारों के साथ बेहरमी से घायल किया, बल्कि उनके हथियार तक लूट लिए।

पंजाब की कानून-व्यवस्था पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘आज खालिस्तानी अमृतपाल सिंह भीड़ जुटाकर थाने पर हमला बोलकर अपने साथी को छुड़ा लाया, कल को कोई और अपराधी अपने साथी को छुड़ाने के लिए थानों पर हमला करेंगे तो क्या सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रह जाएगी। जब से राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, हालात बदतर हो गए हैं। मान सरकार कानून व्यवस्था संभालने में पूरी तरह से फेल रही है। सूबे के हालात राष्ट्रपति शासन लागू करने जैसे हो गए हैं। पंजाब के हालात बिगड़ने का मतलब है राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा।’’

कौन है अमृतपाल सिंह

अमृतपाल सिंह

खुद को खालिस्तानी उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी बताने वाले अमृतपाल सिंह की वेशभूषा भी भिंडरावाले जैसी है। उसके समर्थक उसे जनरैल कह कर बुलाते हैं। अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला अमृतपाल 2012 से दुबई में अपने पिता तरसेम सिंह के साथ रहकर ट्रांसपोर्ट का बिजनेस कर रहा था। सितंबर 2022 में वह दुबई का कामकाज समेटकर वापस गांव आ गया और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान संभाल ली। 11 फरवरी को अमृतपाल ने लंदन की रहने वाली एक सिख लड़की से शादी की। ‘वारिस पंजाब दे’ की स्थापना पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में की थी। सिद्धू किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर निशान साहब फहराने की घटना से सुर्खियों में आए थे। इसका मकसद बताया गया- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को ‘जगाना’। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क दुर्घटना में सिद्धू की मौत के बाद सितंबर 2022 से इसकी कमान अमृतपाल ने संभाल ली और तब से वह अपनी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में है और सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है।

अजनाला घटनाक्रम

16 फरवरी: कथित तौर पर अजनाला पुलिस ने चमकौर साहिब के वरिंदर सिंह के खिलाफ मारपीट करने का मामला दर्ज किया। यह मामला ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह, लवप्रीत सिंह तूफान और साथियों के खिलाफ था।

18 फरवरी: पुलिस ने गुरदासपुर से लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार कर लिया। अमृतपाल ने पंजाब सरकार और पुलिस को धमकी दी कि अगर उसके साथी को 24 घंटे में न छोड़ा गया तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे।

22 फरवरी: अमृतपाल ने धमकी को फिर दोहराया और 23 फरवरी की सुबह अपने समर्थकों के साथ अजनाला जाने का एलान किया।

23 फरवरी: सुबह 10 बजे अमृतपाल समर्थक अजनाला थाने के बाहर जमा होने शुरू हो गए। पहले संख्या कम थी तो पुलिस ने रोकने की कोशिश की। 11 बजे जुटी हजारों समर्थकों की भीड़ से हालात ऐसे बने कि पुलिस पर तलवारों से हमले हुए। डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मी घायल हुए। बचाव के लिए पुलिस सिर्फ डंडों पर टिकी रही। अमृतपाल और समर्थकों ने अजनाला पुलिस थाने को ही अपने कब्जे में ले लिया।

बनवारी लाल पुरोहित

ट्रेनिंग के लिए जिन प्रिंसिपल को सिंगापुर भेजा गया, उसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई?

बनवारी लाल पुरोहित, राज्यपाल पंजाब

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान

चयन प्रक्रिया के बारे में राज्य सरकार को पूछने से पहले राज्यपाल को इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्ति करने के लिए केंद्र सरकार की योग्यता की कसौटी पर प्रकाश डालना चाहिए।

भगवंत मान, मुख्यमंत्री पंजाब

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