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हरियाणा: प्रतिष्ठा और अस्तित्व की लड़ाई

ऐलनाबाद उपचुनाव कृषि कानूनों के विरोध के बीच सरकार की अग्निपरीक्षा तो दूसरों के लिए पहचान बरकरार रखने की कवायद
भाजपा-जजपा प्रत्याशी गोविंद कांडा (बाएं) और अभय चौटाला

कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में जहां राज्य की भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं चौटाला परिवार की इंडियन नेशनल लोकदल के लिए यह सीट अस्तित्व की लड़ाई है। ऐलनाबाद उपचुनाव घोषित होने के बाद से हलके में भाजपा-जजपा का विरोध तेज हो गया है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का आंदोलनकारी किसान इतना जबरदस्त विरोध कर रहे हैं कि चुनाव प्रचार के लिए उतरे भाजपा-जजपा प्रत्याशी गोविंद कांडा से किसान कई बार मार-पीट कर चुके हैं। गोविंद कांडा के बड़े भाई गोपाल कांडा सिरसा से खुद की पार्टी, हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के इकलौते विधायक हैं। वे भाजपा-जजपा सरकार को समर्थन दे रहे हैं। कांडा की टक्कर में इनेलो के अभय चौटाला अपनी सीट बरकरार रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं। कृषि कानूनों के विरोध में अभय चौटाला के जनवरी में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने पर ऐलनाबाद सीट खाली हो गई थी। 

2019 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 90 विधानसभा सीटों में इनेलो के खाते में एकमात्र सीट ऐलनाबाद ही थी। चौटाला परिवार में कलह के चलते तीन साल पहले इनेलो से टूटकर अस्तित्व में आई दुष्यंत चौटाला की जजपा 10 सीटें जीतकर भाजपा से गठबंधन सरकार में भागीदारी निभा रही है।

ऐलनाबाद उपचुनाव भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए हार-जीत से आगे की चुनौती है, क्योंकि सिरसा जिला कृषि कानूनों के विरोध में सालभर से आंदोलन कर रहे किसानों का गढ़ है। पंजाब और राजस्थान की सीमा से सटे ऐलनाबाद विधानसभा हलके में सत्तारूढ़ गठबंधन अपने प्रत्याशी गोविंद कांडा के लिए प्रचार नहीं कर पा रहा है। आंदोलनकारी किसान भाजपा-जजपा के नेताओं को पिछले 10 महीने से गांवों में घुसने नहीं दे रहे हैं।

गोविंद कांडा के टिकट में उनके भाई की लॉबिंग और गैर जाट समीकरणों की भूमिका है। कांडा गोयल वैश्य समुदाय से हैं। उनके मुकाबले में इनेलो ने अभय चौटाला के रूप में जाट उम्मीदवार उतारा है। कांग्रेस के पवन बेनीवाल भी जाट हैं। उपचुनाव में इस बार मुकाबला इनेलो के अभय चौटाला और कांग्रेस के पवन बेनीवाल के बीच रहने की उम्मीद है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 45,000 से अधिक मत पाने वाले भाजपा प्रत्याशी पवन बेनीवाल ने उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का दामन इसलिए थाम लिया कि कहीं किसानों के विरोध के चलते वे विधानसभा में पहुंचना तो दूर चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं निकल पाएंगे। कांग्रेस ने भी पवन बेनीवाल के चाचा भरत बेनीवाल का टिकट काटकर अभय चौटाला की टक्कर में युवा चेहरे पवन को उतारा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस इस बार इनेलो के मुकाबले में नजर आ रही है।

ऐलनाबाद सीट पर लगातार कई सालों से इनेलो का दबदबा रहा है। गत तीन विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। 2014 और 2019 में उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी पवन बेनीवाल के साथ रहा है। इस बार उपचुनाव में हालात और समीकरण काफी बदले हुए हैं। लगातार दो बार प्रत्याशी रहे पवन बेनीवाल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं, वहीं जजपा भी इस बार भाजपा के साथ सत्ता में गठबंधन में है। इस सीट पर 2019 के चुनाव में अभय चौटाला को 57 हजार, भाजपा प्रत्याशी पवन बेनीवाल को 45 हजार और कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल को 35 हजार मत मिले थे। जबकि 6,569 मत पाने वाले जजपा प्रत्याशी ओपी सिहाग की जमानत जब्त हो गई थी।

सोनीपत जिले के बड़ौदा उपचुनाव के बाद सिरसा जिले का ऐलनाबाद उपचुनाव किसान आंदोलन के बीच सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए दूसरी अग्निपरीक्षा की तरह है। बड़ौदा उपचुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार योगेश्वर दत्त कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रराज नरवाल से हार गए थे। बड़ौदा की तरह ऐलनाबाद सीट पर भी सत्ताधारी पार्टियों के लिए जीत की डगर कठिन रहने वाली है। जेल से रिहा होने के बाद पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश में लगे इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने बेटे अभय चौटाला को ऐलनाबाद सीट से तीसरी बार जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। अपने खाते की इस एकमात्र सीट को बनाए रखना इनेलो के लिए हरियाणा की सियासत में अस्तित्व बचाने की लड़ाई के समान है। 

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