Advertisement
11 जुलाई 2022 · JUL 11 , 2022

आवरण कथा/ हरियाणा: सपने टूटने का रोष

फौज में कम समय के लिए भर्ती ने युवाओं को खुश करने के बजाय उन्हें आंदोलित कर दिया
उल्टा पड़ा दांवः गुड़गांव से कुछ दूर फौज भर्ती कार्यक्रम का विरोध करते युवा

भारतीय फौज में नई भर्ती प्रक्रिया ‘अग्निपथ’ के विरोध में हरियाणा के जींद जिले के गांव लिजवाना कलां के 23 वर्षीय सचिन ‘अग्निवीर’ बनने से पहले ही मौत के फंदे पर झूल गए। मार्च 2020 से पहले गोवा में सेना की ‘रिलेशन भर्ती’ में फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर चुके सचिन की लिखित परीक्षा कोरोना के चलते टलती रही। आत्महत्या से पहले बड़ी बहन पूनम को फोन पर कहा कि उसका सपना चूर हो गया है। मौत के साथ ही सेना से सेवानिवृत्त पिता सतपाल का भी बेटे सचिन को फौज में भर्ती कराने का सपना टूट गया। कुछ उन युवाओं का हौसला भी पस्त हुआ जो भर्ती के लिए गांव के स्टेडियम में सचिन के साथ सुबह-शाम पसीना बहाते थे।

हरियाणा से हर साल करीब 3500 जवानों की भर्ती सेना में होती है। पर कोरोना के चलते पिछले दो साल से भर्तियां नहीं हो पाईं और कुछ के परिणाम लंबित हैं। सभी पुरानी भर्तियों को अग्निपथ योजना के दायरे में लाने से उन युवाओं को धक्का लगा है, जिनकी भर्ती की उम्र सीमा खत्म हो चुकी है या खत्म होने वाली है। देश की मात्र दो फीसदी आबादी वाला हरियाणा, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है, जहां से सबसे ज्यादा जवान देश की सेना में आते हैं। 

सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भले ही अग्निपथ को सकारात्मक बदलाव के तौर पर बता रहे हों पर 15 साल के लिए फौज में भर्ती का सपना संजोए देश के हजारों आक्रोशित युवा सड़कों पर हैं। अभिभावकों को भी चिंता है कि चार साल बाद मात्र 25 फीसदी अग्निवीरों की सेवाएं आगे जारी रहेंगी। इसके बाद 75 फीसदी अग्निवीर फिर से बेरोजगारों की फौज में शामिल हो जाएंगे। सेना के पूर्व आला अधिकारी अंदेशा जता रहे हैं कि फौज में चार साल के ठेके की नौकरी के बाद देश के इन युवाओं के हालात और बुरे हो जाएंगे। एक पूर्व मेजर जनरल ने आउटलुक से कहा, “जवानों के जिम्मे देश की सुरक्षा है। यह किसी बैंक या एटीएम की सुरक्षा नहीं जहां कुछ समय के लिए ठेके पर गार्ड भर्ती की जाए। मैं मानता हूं कि 12-15 हजार फुट की बफीर्ली चोटियों पर तैनात हमारे सेना प्रहरियों को बढ़ती उम्र के साथ काम करने में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें आती हैं, पर चार साल की सेवा के लिए फौज में कोई भी भर्ती नहीं होना चाहेगा।”

फौज में भर्ती के इस बदलाव से केंद्र के खिलाफ राज्य सरकारें और विपक्षी दलों के नेता भी युवाओं के समर्थन में केंद्र के खिलाफ खड़े हैं। 24 जून से पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में भगवंत मान सरकार ‘अग्निपथ’ के खिलाफ प्रस्ताव ला रही है। भर्ती प्रक्रिया के विरोध में मान ने कहा, “फौज को ठेकदारी प्रथा में धकेलना देश की सुरक्षा के लिए सही नहीं है। चार साल की नौकरी के बाद मिलने वाले 11 लाख रुपये से कोई युवा सम्मानजनक बिजनेस नहीं कर सकता। 23 साल का युवा पूर्व सैनिक बनने के बाद क्या करेगा? 70-80 साल की उम्र में भी चुनाव लड़ने वाले नेता किस मुंह से युवाओं को 23 साल में रिटायर करने की बात कर रहे हैं।”

आउटलुक से बातचीत में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “सेना भर्ती में समय-समय पर सुधार जरूरी हैं लेकिन पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ टकराव की स्थिति में अग्निपथ योजना कारगर साबित नहीं होगी। यह योजना न देशहित में है और न ही युवाओं के हित में। भविष्य में इस योजना के तहत भर्ती होने वाले 75 प्रतिशत युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। 17 साल की उम्र में भर्ती हुआ जवान बगैर पेंशन के 21 साल की उम्र और 21 साल की उम्र में भर्ती हुआ जवान 25 साल की उम्र में रिटायरमेंट के बाद क्या करेगा?”

युवाओं के समर्थन में उतरे भारतीय किसान यूनियन उगरांहा (एकता) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, “वन रैंक-वन पेंशन की बात करने वाली केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना में ‘नो रैंक-नो पेंशन’ की बात करके देश के जवानों के साथ धोखा किया है।” संयुक्त किसान मोर्चा ने 24 जून को अग्निपथ योजना के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध मनाने की घोषणा की है। यह फैसला संयुक्त किसान मोर्चा की सात सदस्यीय समिति की करनाल में 20 जून की बैठक में लिया गया।

उधर, पश्चिम उत्तर प्रदेश में राकेश टिकैत के भारतीय किसान यूनियन ने भी इसे किसानों और किसान-पुत्रों पर नया हमला बताया है। टिकैत पदयात्राएं कर रहे हैं और फिर, मोर्चा संभालने की तैयारी कर रहे हैं।  अग्निपथ के विरोध में हरियाणा के कई जिलों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई। राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, “विरोध प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है। लेकिन तोड़फोड़ और आगजनी करने वाले लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों की सूची बनाई जा रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

कुल मिलाकर विरोध के सुर में ज्यादातर लोगों का कहना है, देशभक्ति के पथ पर आगे बढ़ने से पहले ही जवानों को सरकार ने अग्निपथ पर बढ़ाने का फैसला कर उनके भविष्य से खिलवाड़ किया है। फैसले पर पुर्नविचार कर सबकी सहमति से देश के सशक्त सैन्य बल को और मजबूती देने की जरूरत है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement