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‘चौधराहट’ में क्रिकेट का बंटाधार

बंसीलाल के बेटे-पोते की राजनीति नहीं चली, पर यहां सिक्का कायम
हाल बेहालः राज्य में क्रिकेट और स्टेडियम जस के तस

सियासी खेल में ही नहीं, बल्कि खेल संघों में भी परिवारवाद की जड़ें गहरी हैं। क्रिकेट जैसे मलाईदार खेल संघों में परिवारवाद से परिवार तो आगे बढ़े, पर खेल जस का तस रह गया। 1975 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के पदाधिकारी के तौर पर जुड़े रणबीर सिंह महिंद्रा 2004-05 में अध्यक्ष भी रहे। भिवानी जिले से कांग्रेस विधायक रहे महिंद्रा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने पिता बंसीलाल की सियासी विरासत को आगे नहीं बढ़ा पाए, पर बीसीसीआइ में रहते बेटे अनिरुद्ध चौधरी को क्रिकेट एसोसिएशन में जरूर बढ़ा गए। हरियाणा क्रिकेट संघ (एचसीए) में संयुक्त सचिव पद से शुरुआत करने वाले अनिरुद्ध एक दशक तक इसके सचिव और अध्यक्ष रहने के बाद बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष भी रहे। बीसीसीआइ में तीन दशक तक चौधराहट रखने वाले पिता-पुत्र तो बढ़ते गए, पर हरियाणा में क्रिकेट नहीं सुधरा। 

हरियाणा में सिर्फ तीन छोटे क्रिकेट स्टेडियम रोहतक के लाहली में चौधरी बंसीलाल क्रिकेट स्टेडियम, फरीदाबाद में नाहर सिंह स्टेडियम और पंचकूला में ताऊ देवीलाल क्रिकेट स्टेडियम हैं। किसी की क्षमता 8,000 दर्शकों से अधिक नहीं है। राज्य में एक भी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम नहीं होने से एचसीए को राज्य में अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों की मेजबानी का कभी मौका नहीं मिला, वहीं उभरते खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल इन्‍फ्रास्ट्रक्चर भी नहीं मिल सका। एचसीए ने एक-दो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबले चंडीगढ़ के सेक्टर 16 क्रिकेट स्टेडियम में कराए।

एचसीए ने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए झज्जर में 32 एकड़ जमीन खरीदी थी, पर चार साल में सिर्फ चारदीवारी बनी है। अनिरुद्ध चौधरी ने आउटलुक को बताया कि राज्य सरकार ने ही कभी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की पहल नहीं की। उन्होंने कहा, “2008-09 में एचसीए ने हुड्डा सरकार से नाहर सिंह स्टेडियम लीज पर देने की मांग की थी, पर खेल मंत्री किरण चौधरी ने अड़ंगा लगा दिया।” किरण चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के छोटे बेटे दिवंगत सुरेंद्र सिंह की पत्नी और अनिरुद्ध चौधरी की चाची हैं। खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह के मुताबिक नया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने की योजना नहीं है। नाहर सिंह स्टेडियम के जीर्णोद्धार पर 115 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने पर करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च बैठता है। खेल विभाग के बजट में से कोच और कर्मचारियों के वेतन और पुरस्कार राशि तथा अन्य मदों को निकाल दिया जाए तो सिर्फ 130 करोड़ रुपये बचते हैं।

अनिरुद्ध चौधरी तीन वर्ष तक बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष रहने के बाद अक्टूबर 2019 से तीन साल के ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ में हैं। छह साल से ज्यादा समय तक कई पदों पर रहने के कारण अनिरुद्ध को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ में जाना पड़ा। फिर भी एचसीए पर उनकी पकड़ बनी है। नए अध्यक्ष कुलतार मलिक, महासचिव मृणाल ओझा और कोषाध्यक्ष महेंद्र सिंह उनके करीबी हैं। अनिरुद्ध को हटाने के लिए बीसीसीआइ के प्रशासकों की समिति (सीओए) और एचसीए में घमासान चला। अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव के समय हरियाणा सरकार के कूदने से यह भाजपा बनाम कांग्रेस बन गया था। तत्कालीन प्रधान खेल सचिव अशोक खेमका ने दखल के लिए बीसीसीआइ को लिखा। अंततः एचसीए को चुनाव कराने पड़े और अनिरुद्ध को बाहर जाना पड़ा।

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अच्छे क्रिकेटरों की कमी

बीसीसीआइ कोषाध्यक्ष और एचसीए के अध्यक्ष रहे अनिरुद्ध चौधरी से बातचीत के अंश:

 

कई साल तक आप और आपके पिता बीसीसीआइ में कई पदों पर रहे, पर राज्य में क्रिकेट को आगे नहीं बढ़ा पाए?

हरियाणा ने कपिल देव, वीरेंद्र सहवाग जैसे क्रिकेटर दिए हैं। आज भी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम और आइपीएल में राज्य के कई खिलाड़ी हैं। हरियाणा की अंडर-14 और अंडर-16 टीम चैंपियन रही है। हरियाणा ही ऐसा पहला राज्य है, जो ओलंपिक खेलों के साथ ही क्रिकेट में भी नाम कमा रहा है।

एक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम हरियाणा में नहीं बन पाया?

इसके लिए हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन को लीज पर जमीन नहीं मिली, तो झज्जर में महंगी जमीन खरीदनी पड़ी। अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए आइसीसी की कड़ी शर्तें हैं।

क्रिकेट खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए बेहतर इन्‍फ्रास्ट्रक्चर की कमी है?

रोहतक के लाहली स्टेडियम और पलवल क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण की सुविधा है। एचसीए चंडीगढ़ में भी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए भेजती है। अच्छे खिलाड़ियों के अभाव में अच्छा इन्‍फ्रास्ट्रक्चर बेकार है।

 

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