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सप्तरंग

ग्लैमर जगत की हलचल
डेविड बेकहम अपने परिवार के साथ

हम साथ-साथ हैं

अक्सर उन्हें एक जैसे रंग के कपड़ों में देखा जा सकता है। लेकिन इस बार केवल फुटबॉल खिलाड़ी डेविड बेकहम और पूर्व स्पाइस गर्ल और फैशन डिजाइनर विक्टोरिया बैकहम ने एक जैसे कपड़े नहीं पहने। इस बार उनका पूरा परिवार एक जैसे कपड़ों में था। अपने चारों बच्चों के साथ फोटो शेयर करते हुए शादी की सालगिरह पर डेविड ने लिखा, “बाइस साल बाद भी हम आज तक एक जैसे कपड़ों में हैं।” डेविड ने लिखा कि इतने अच्छे बच्चे देने के लिए धन्यवाद कि हम सब एक जैसे कपड़े पहन पा रहे हैं।

शिल्पा शेट्टी

परछाई मां की

बेशक अभी मदर्स डे नहीं है लेकिन शिल्पा शेट्टी ने इस दिन के बिना ही अपनी मां सुनंदा शेट्टी को खास तोहफा दिया है। 70 के दशक का लुक- ब्लैक पोल्का डॉट्स की ऑरगेंजा साड़ी, ऊंचा सा जूड़ा और कानों में सफेद फूल। लेकिन जूड़े में बंधा मैचिंग स्कार्फ और उनकी आंखों में खिंचे काजल की कोई तुलना नहीं। शिल्पा ने लिखा, जैसी मां वैसी बेटी। लेकिन डांस शो की जज शायद मां से भी आगे है।

लिन लैशराम

ईमान की बात

मणिपुरी बाला लिन लैशराम ने भले ही देर से, लेकिन यह बोलने का जोखिम उठाया कि मैरी कॉम में उत्तर पूर्व की किसी कलाकार को मुख्य भूमिका में न लेना दिल तोड़ने वाला था। प्रियंका चोपड़ा को इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के कारण राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। ओम शांति ओम, रंगून, मैरी कॉम के बाद नेटफ्लिक्स की चर्चित फिल्म एक्सॉन से अपनी पहचान बना रही लिन का बस इतना सा ही तो ख्वाब है कि उन्हें भी भारतीय समझा जाए और फिल्म उद्योग पूर्वोत्तर के कलाकारों के प्रति संकीर्ण रवैया छोड़ दे। बात तो पते की है पर ईमान की बात कहे कौन।

ऋचा चड्ढा

तालियां बजती रहनी चाहिए

फिल्मी दुनिया में बाहरी के तमगे के साथ ही उन्होंने कई सार्थक और महत्वपूर्ण भूमिकाएं कीं और अपनी जगह बनाई। कोरोना के बाद जब सेलेब्रिटीज के इंस्टा पेज मालदीव के फोटो से भरे पड़े थे, तब ऋचा चड्ढा ने सोशल मीडिया पर द काइंड्री नाम से ऐसे लोगों की कहानियां बतानी शुरू कीं, जिन्होंने महामारी में जरूरमंद लोगों की निस्वार्थ मदद की। इस पेज पर युवा प्रतिभाशाली कलाकारों को भी वे जगह देती हैं, जिन पर शायद किसी का ध्यान नहीं जाता।

श्रुति हासन

निगाह न हटे

नई उम्र की किसी नायिका को कब ऐसे देखा था कि हम पलकें झपकाना भूल जाएं? वेस्टर्न ड्रेस का चलन इस कदर सिर चढ़ गया है कि याद ही नहीं रहता कि कोई लड़की शादी के अलावा सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए रेशमी साड़ी और भारी जेवर पहन लेगी। लेकिन श्रुति हासन जानती हैं कि साड़ी का जादू कभी खत्म नहीं होता। कोरोना ने सजने के मौके कम कर दिए तो भी श्रुति ने यह मौका निकाल ही लिया। उन्होंने लिखा, “कुछ पारंपरिक पहने अर्सा गुजर गया।” उनकी खूबसूरती के अलावा आपने एक बात पर गौर किया, तस्वीर रंगीन नहीं है।

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