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आवरण कथा/कोविड कहर : अलविदा!

इस अकाल बेला में ऐसी बहुत-सी शख्सियतों को काल उठा ले गया, जिनकी उपस्थिति आश्वस्तकारी लगती थी, जिनके होने से बहुत-सी ओछी प्रवृत्तियां सहम जाती थीं। अलबत्ता, आज के दौर में धृष्टता करने वाले भी सुर्खियां बटोर लेते हैं, लेकिन बड़ी शख्सियतों की स्मृति भी हमें काफी समृद्ध कर जाती है। कोविड महामारी की दूसरी लहर और स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाली तथा सरकारी लापरवाही ने हमसे इतने लोगों को छीन लिया है, जिनकी गणना भी मुश्किल होती जा रही है। हर किसी के अपनों और परिचितों में कई सूने दायरे बन गए हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक-कला जगत-राजनैतिक दायरे में कई खाली वृत्त बन गए हैं। और यह हर रोज जारी है। हमने कुछ के प्रति अपनी सांकेतिक श्रद्धांजलि इन पन्नों में जाहिर करने की कोशिश की है। कई शख्सियतें ऐसी भी हैं, जिनकी चर्चा हम नहीं कर पाए, लेकिन हम उन सबके प्रति अपना सिर नवाते हैं। कई शख्सियतें ऐसी भी हैं, जिनके बारे में विस्तार से या और बड़े अंदाज में बताया जाना चाहिए था। ऐसा कई वजहों से नहीं कर पाए, उसके लिए माफी।
शंख घोष

शंख घोष

साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित महान बांग्ला कवि और आलोचक शंख घोष 89 वर्ष की उम्र में 21 अप्रैल को कोरोनावारस से लड़ाई हार गए। उनकी कविताओं और रचनाओं का अनुवाद लगभग हर भारतीय भाषा में हुआ है। वे बांग्ला में जीवनानंद दास के बाद सबसे महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। इमरजेंसी में उनका कविता संग्रह बाबरेर प्रार्थना काफी चर्चित हुआ था। हाल ही भाजपा नेताओं के बौद्धिकता विरोधी रवैए पर उनकी टिप्पणी खासी चर्चित हुई थी।

 

करुणा शुक्ला

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद करुणा शुक्ला का निधन हो गया। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण 70 वर्षीय शुक्ला को पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करुणा ने वर्ष 1993 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार अविभाजित मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुनी गईं। बाद में वह वर्ष 2004 में जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी चुनी गईं। भाजपा की राज्य इकाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से मनमुटाव के चलते वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया।

 

एकनाथ गायकवाड़

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड़ का मुंबई में निधन। वह 81 वर्ष के थे। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उनका इलाज चल रहा था। एकनाथ गायकवाड़ की बेटी वर्षा गायकवाड़ महाराष्ट्र की शिक्षा    मंत्री हैं।

 

मंज़ूर एहतेशाम

चर्चाओं से दूर रहकर निरंतर लेखन करने वाले अनोखे कथाकार मंज़ूर एहतेशाम 26 अप्रैल को हमारे बीच नहीं रहे। 3 अप्रैल 1948 को जन्मे भोपाल निवासी मंज़ूर एहतेशाम का उपन्यास सूखा बरगद काफी चर्चित रहा है। उनके उपन्यासों और कहानियों में मुस्लिम जीवन का संकट, अंतर्विरोध, सीमाओं और संभावनाओं के साथ प्रामाणिक रूप में चित्रित है।

 

श्रवण राठौड

नदीम-श्रवण जोड़ी के प्रसिद्ध संगीतकार श्रवण राठौड़ का 22 अप्रैल को मुंबई में कोविड-19 महामारी के कारण निधन हो गया। उन्होंने ’90 के दशक के शुरुआती दौर में अपने साथी नदीम सैफी के साथ हिंदी फिल्मों में कर्णप्रिय संगीत दिया, जिसमें आशिकी (1990) बॉलीवुड के इतिहास में सबसे अधिक बिकने वाल फिल्म एल्बम रहा। उनके संघर्ष का दौर भी लंबा रहा। उन्होंने 1970 के दशक के मध्य में एक भोजपुरी फिल्म दंगल में सुजीत कुमार के साथ शुरुआत की थी।

 

 

रमेश उपाध्याय

जीवन और साहित्य में भी जनतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले हिंदी के मशहूर साहित्यकार रमेश उपाध्याय का दिल्ली में देहांत। 1 मार्च 1942 को उत्तर प्रदेश में जन्मे रमेश लघु पत्रिका आंदोलन से भी गहरे रूप से जुड़े थे। उनके द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका कथन कई दशकों तक हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका के रूप में लोकप्रिय रही। रमेश के 15 से अधिक कहानी संग्रह, पांच उपन्यास, तीन नाटक, कई नुक्कड़ नाटक, आलोचना की कई पुस्तकें और अंग्रेजी व गुजराती में कई पुस्तकों के अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं। लेखन के लिए उन्हें केंद्रीय हिंदी संस्थान की तरफ से गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान दिया गया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और हिंदी अकादमी, दिल्ली की तरफ से भी पुरस्कृत किया गया। 

 

नरेंद्र कोहली 

हिंदी में पौराणिक साहित्य को नए संदर्भों में ढालकर लिखने की लोकप्रिय शैली विकसित करने वाले नरेंद्र कोहली का 81 साल की उम्र में 17 अप्रैल को निधन हो गया। उनकी चर्चित कृति अभ्युदय (राम कथा) है।

 

ललित बहल

मुक्ति भवन से मशहूर जाने माने अभिनेता और फिल्मकार ललित बहल का कोरोना की वजह से मुंबई में निधन। वे 71 साल के थे। बहल थियेटर के लिए भी काम कर चुके थे और उन्होंने दूरदर्शन के लिए सुनहरी जिल्द, तपिश और आतिश जैसे शो का निर्माण किया है। इसके अलावा ललित बहल ने अमेजॉन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज मेड इन हेवेन और फिल्म जजमेंटल है क्या में भी अभिनय किया।

 

मौलाना वहीदुद्दीन खान

मशहूर इस्लामी विद्वान और गांधीवादी लेखक मौलाना वहीदुद्दीन खान का 96 साल की उम्र में निधन। उन्हें कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 12 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ‘मौलाना’ नाम से मशहूर वहीदुद्दीन खान को इसी साल जनवरी में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मविभूषण से नवाजने की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी। कुरान का समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए मशहूरी पाने वाले मौलाना को इससे पहले साल 2000 में पद्मभूषण से भी नवाजा गया था।

 

अशोक कुमार वालिया

दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अशोक कुमार वालिया का निधन। वे भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। वालिया लगातार चार बार विधायक रहे और उन्होंने शीला दीक्षित की सरकार में राज्य मंत्री के रूप में काम किया था और स्वास्थ्य, शहरी विकास, भूमि और भवन विभागों का जिम्मा संभाला था।

 

तामिरा

तमिल फिल्मों के निर्देशक तामिरा का दिल का दौरा पड़ने से चेन्नै में निधन। वे 53 साल के थे। रेत्तासुझी और आन देवताई जैसी फिल्मों के निर्देशक तामिरा को गंभीर कोविड निमोनिया के कारण एक अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कराया गया था और वे 20 दिन तक वेंटीलेटर पर थे। तामिरा की जांच रिपोर्ट में उनके 13 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से मुक्त होने की भी पुष्टि हुई थी।

 

रामू

मशहूर कन्नड़ फिल्म निर्माता रामू का कोविड-19 से निधन। वे 52 साल के थे। वे दक्षिण भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री मालाश्री के पति थे। फिल्मों में वे भव्यता से खर्च करने के लिए जाने जाते थे। रामू ने सिम्हा, अर्जुन गौड़ा, एके 47, लॉकअप डेथ, कलसिपाल्या और गंगा सहित कई फिल्मों में काम किया था।

 

फरीद साबरी

जयपुर के मशहूर कव्वाल फरीद साबरी का निधन। मशहूर सूफी कव्वाल सईद साबरी के बेटे फरीद को अपने भाई अमीन साबरी के साथ साबरी ब्रदर्स के रुप में जाना जाता था। इनकी जोड़ी बॉलीवुड में सुपरहिट रही थी। उन्होंने सिर्फ तुम में 'एक मुलाकात जरूरी है सनम' और हिना फिल्म का गाना 'देर ना हो जाए' गाया था जो सुपरहिट हुआ था। 

 

 

कांति कुमार जैन

आलोचक, जीवनीकार, निबंधकार प्रो. कांति कुमार जैन के संस्मरणों ने हिंदी जगत में बड़ी ख्याति हासिल की। लौटकर आना न होगा, तुम्हारा परसाई, मैं जो कहूंगा सच कहूंगा जैसी चर्चित कृतियों का सिलसिला हाल तक जारी रहा है। उन्होंने अपने दौर के हर रचनाकार पर कलम चलाई। वे भी 90 वर्ष से अधिक की उम्र में हाल में कोरोनावायरस से जंग हार गए।

 

अरविन्द कुमार

हिंदी के महान कोशकार और शब्द-साधक अरविन्द कुमार का 27 अप्रैल को निधन हिंदी दुनिया की एक अपूरणीय क्षति है। 90 वर्ष से अधिक की उम्र में भी वे सक्रिय और सृजनशील थे। वे प्रसिद्ध सिने-पत्रिका माधुरी के संस्थापक-संपादक थे। बाद में रीडर्स डायजेस्ट के हिंदी संस्करण सर्वोत्तम के संपादक भी रहे। उन्होंने हिंदी में एक थिसारस की कमी को 1996 में ‘समांतर कोश’ तैयार करके पूरा किया।

 

राजन मिश्र

बनारस घराने के मशहूर शास्त्रीय गायकों की राजन-साजन मिश्र की जोड़ी को 25 अप्रैल को ग्रहण लग गया। कोविड से पीड़ित, 70 साल की उम्र में राजन मिश्र दुनिया को अलविदा कह गए। वे हिंदुस्तानी ख्याल गायकी में कई तरह के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं।

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