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जोगी, रमन पर लटकी तलवार

अंतागढ़ मामले में पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी के बयान से राजनैतिक हलचल तेज, विपक्ष लगा रहा बदले की कार्रवाई का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह

छत्तीसगढ़ के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर इन दिनों संकट के बादल छाए हुए हैं। राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी जाति मामले में उलझे हैं, तो रमन सिंह चर्चित अंतागढ़ टेप कांड के चक्रव्यूह में घिरे हैं। 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस के रणछोड़ प्रत्याशी मंतूराम पवार ने 7 सितंबर को रायपुर कोर्ट में सेक्शन 164 के तहत कलमबद्ध बयान में चुनाव मैदान से हटने के एवज में सात करोड़ रुपये के लेनदेन और इस साजिश में रमन सिंह, अजीत जोगी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, अमित जोगी और अन्य लोगों के शामिल होने की बात कहकर राज्य की राजनीति में उफान ला दिया। यह घटना जब हुई थी, तब अजीत जोगी कांग्रेस में थे और राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। उस वक्त भूपेश बघेल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे और फिलहाल राज्य के मुख्यमंत्री हैं। मंतूराम के बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “अंतागढ़ चुनाव धांधली के बारे में हमारे आरोप सही साबित हुए, लोकतंत्र की हत्या का षडयंत्र हमारी आशंका से ज्यादा गहरा निकला। मैं इसे राजनीति मानने से इनकार करता हूं और इन सभी षड्यंत्रकारियों को राजनेता कहना ठीक नहीं समझता। शर्मनाक!!! कानून अपना काम करेगा।” रमन सिंह कहते हैं कि चुनाव जीतने के लिए सीडी बनाने और लहराने वाले षड्यंत्रकारी हैं।

पांच साल बाद अंतागढ़ के जिन्न ने जोगी पिता-पुत्र के साथ रमन सिंह और उनके कुनबे को लपेटे में ले लिया है। कहा जाता है कि अजीत जोगी और उनके पुत्र अमित जोगी तब भूपेश बघेल को पटखनी देना चाहते थे। अंतागढ़ में मंतूराम के जरिए दांव खेला। चुनाव मैदान से कांग्रेस प्रत्याशी के हटने से पार्टी की किरकिरी हो गई और भाजपा को वाकओवर मिल गया। 2015 में अंतागढ़ मामले का एक ऑडियो टेप आया, जिसके आधार पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अमित जोगी को पार्टी से निकाल दिया। इसके बाद अजीत जोगी को भी मजबूरन पार्टी छोड़नी पड़ी। 2016 में अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी के नाम से अलग पार्टी बना ली और मंतूराम भाजपा में चले गए। सत्ता संभालते ही भूपेश बघेल ने इस कांड की जांच के लिए एसआइटी बना दी। कांग्रेस की सत्ता में नौ महीने तक तो मंतूराम भाजपा नेताओं के साथ दिखे, लेकिन अब पलटी मार गए। इससे जोगी परिवार के साथ भाजपा नेता भी मुसीबत में दिख रहे हैं। उन पर कोर्ट के साथ आयकर और ईडी की नजर टेढ़ी होने लगी है।

अंतागढ़ टेप कांड में रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता पर भी आरोप हैं। वे डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गड़बड़ी में भी उलझे हैं। ऊंची अदालतों से राहत के कारण बचे हैं। रमन सिंह के पुत्र और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह पर एक चिटफंड कंपनी के कार्यक्रम में जाने के मसले पर एफआइआर दर्ज है। वे भी जमानत पर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आउटलुक से बातचीत में कहा कि प्रदेश में न विकास है, न ही वित्तीय प्रबंधन। सरकार अपनी असफलता को छिपाने के लिए लोगों का भयादोहन कर रही है। यह सरकार एसआइटी बनाकर आरोपियों के साथ मिलकर ही साजिश रच रही है। अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी जेल में हैं। छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने जमानत याचिका खरिज कर दी। अमेरिका के टेक्सास में जन्मे अमित जोगी पर चुनावी हलफनामे में जन्म स्थान, जन्म तिथि और जाति को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप है। अजीत जोगी का कहना है कि भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में जंगलराज कायम कर दिया है। अमित के पक्ष में हाइकोर्ट का फैसला पहले ही आ चुका है। अगर भूपेश बघेल की पुलिस उस फैसले के खिलाफ जाकर अमित की गिरफ्तारी कर रही है, तो यह अदालत की अवमानना है।

सरकार की कमान संभालते ही भूपेश बघेल ने भाजपा राज की फाइलें खंगालनी शुरू कर दी। कुछ जांच नए सिरे से कराने के साथ कुछ मामलों में कोर्ट में नया हलफनामा भी दिया गया। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के मुखिया रहते जमीन मामले में भूपेश बघेल के खिलाफ कार्रवाई करने वाले आइपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता को निलंबित कर दिया गया। मुकेश गुप्ता के दूसरे मामले भी खोले गए। वे भी कोर्ट की शरण से बचे हैं। मंतूराम के नए बयान से आइपीएस आर.पी. दास संकट में आ गए हैं। छत्तीसगढ़ में ऑडियो और सीडी का खेल पुराना है। भाजपा नेता स्व. दिलीपसिंह जूदेव से यह खेल शुरू हुआ। भूपेश बघेल भी एक सीडी कांड में उलझे। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें जेल भी जाना पड़ा। ऑडियो और सीडी के खेल में कौन हारा और कौन जीता, यह अलग बात है, लेकिन यहां की राजनीतिक समरसता छिन्न-भिन्न हो गई है। खनिज संपदा से भरपूर राज्य के विकास और लोगों के सपनों पर बदला और षड्यंत्र भारी पड़ता दिख रहा है। अंतागढ़ कांड के हीरो मंतूराम पवार ने ऐसे समय में पलटी खाई है, जब बस्तर के घोर नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है। इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। दंतेवाड़ा उपचुनाव में प्रत्याशी की खरीद-फरोख्त और धमकी के दो ऑडियो बाजार में आ चुके हैं। जोगी की पार्टी के कई लोगों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कहा तो जा रहा है कि पार्टी प्रत्याशी ही बच गया है। पांच विधायकों के साथ जोगी की पार्टी राज्य की तीसरी ताकत है, लेकिन जोगी  पिता-पुत्र के दुर्दिन से पार्टी संकट में पड़ती दिख रही है। अजीत जोगी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अमित प्रदेश अध्यक्ष हैं, ऐसे में बात यह भी उठ रही है कि पार्टी की कमान अमित की पत्नी ऋचा को सौंपी जाए या फिर परिवार के बाहर के व्यक्ति को।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हैं, लेकिन राज्य का बड़ा चेहरा रमन सिंह ही हैं। 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, लेकिन उनके साथ पूरी पार्टी एकजुट नहीं दिखाई दे रही है। लोकसभा में राज्य की 11 में से 9 सीटें जीत कर भाजपा दोबारा ताल ठोकने लगी है, लेकिन अंतागढ़ मसले में पार्टी की आक्रामकता दिखाई नहीं दे रही है। सरकार रहते रमन के साथ साये की तरह रहने वाले अफसर भी दुबक गए हैं। अब लगता है कि दंतेवाड़ा उपचुनाव के नतीजे से राज्य की राजनीति पलटी खाएगी। पर एक बात साफ है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राज में जिस तरह जोगी और रमन सिंह का परिवार उलझा है, उससे निकल पाना दोनों के लिए कठिन चुनौती है।

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