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झारखंड: नोटों की गड्डियों में छुपी राजनीति

तकरीबन 14-15 साल के एक मामले में ईडी के खान सचिव के ठिकानों पर छापे से गरमाई सियासत
आइएएस पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार को अपने साथ ले जाते ईडी अधिकारी

अचानक टीवी खबरों में लोग बिस्तर पर नोटों की गड्डियों का ढेर देख हैरान रह गए। गिनने के लिए कई मशीने लगाई गईं तो इसमें करीब 19 करोड़ रुपये की रकम निकली। यह झारखंड की वरिष्ठ आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार सिंह का आवास था। करीब 14-15 साल पुराने मनरेगा घोटाला-मनी लॉड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सिंघल और उनके करीबी लोगों के  ठिकानों पर देशभर में छापा मारा था। उनके रांची स्थिति सरकारी आवास, पति अभिषेक के पल्स अस्पताल, मुजफ्फरपुर स्थित उनके पैतृक आवास, सीए के आवास और दफ्तर सहित खूंटी, जयपुर, कोलकाता, दिल्ली में उनके करीबी लोगों के ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईडी को पूजा सिंघल से जुड़े करीब तीन सौ करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तोवेज मिले हैं। अभी और तथ्य सामने आने वाले हैं।

यह मामला तब का है, जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और रघुवर दास मुख्यमंत्री थे। लेकिन विडंबना देखिए कि गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुबह करीब पौने आठ बजे ट्वीट कर ईडी के छापे की सूचना सार्वजनिक की। उन्होंने लिखा, “झारखंड सरकार यानी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की नाक की बाल पूजा सिंघल जी जिन्होंने मुख्यमंत्री, उनके भाई, गुर्गों और दलालों को कौड़ी के भाव खान आवंटित की। आखिरकार 20 जगहों पर उनके यहां ईडी के छापे की कार्रवाई चल रही है। रांची, दिल्ली, मुंबई में यह काम जारी है।” लेकिन इस पर रघुवर दास मौन हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा कि सिंघल को क्लीन चिट दिए जाने की जांच होनी चाहिए। रघुवर सरकार में इन्हीं मामलों में सिंघल को क्लीन चिट दी गई थी।

आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के सीए के घर से बरामद नोटों की गड्डियां

आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के सीए के घर से बरामद नोटों की गड्डियां

हांलाकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा, “नैतिकता के आधार पर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश करें। मुख्यमंत्री के बयान से साफ लगता है कि वे भ्रष्टाचारियों के साथ हैं।” मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी की छापामरी को गीदड़ भभकी बताया था। उन्होंने कहा कि भाजपा मैदान में राजनैतिक लड़ाई नहीं जीत पाती है तो अपनी मशीनरी का इस्तेमाल करती है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर सधे अंदाज में कहते हैं, “ईडी की कार्रवाई गैर-भाजपा शासित प्रदेशों में हो रही है। ईडी भाजपा की राजनीति का मुखौटा बन गया है। पिछले 15 दिनों से सरकार को अस्थिर करने की साजिश चल रही है। कहीं उसी के तहत यह कार्रवाई तो नहीं है?” सिंघल पर मामले

खूंटी में मनरेगा के तहत 18.60 करोड़ का घोटाला हुआ। झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर ईडी इसकी जांच कर रही है। ईडी ने शपथ पत्र देकर बताया कि घोटाला के समय पूजा सिंघल वहां उपायुक्त थीं। गिरफ्तार कर जेल भेजे गए इंजीनियर रामविनोद प्रसाद सिन्हा ने स्वीकार किया था कि कमीशन की राशि डीसी कार्यालय तक जाती है।

पलामू में 2003 में डीसी रहने के दौरान उन पर जंगल की 83 एकड़ जमीन निजी माइनिंग कंपनी को सौंपने का आरोप है। प्रमंडल आयुक्त ने अनियमितता पकड़ी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

चतरा में 2007-08 डीसी के पद पर तैनाती के दौरान दो एनजीओ को मनरेगा योजना के तहत छह करोड़ रुपये एडवांस में दिया था, काम में भारी अनियमितता रही। खूंटी और चतरा के मनरेगा घोटाले की विभागीय जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गया था।

सरकार किसी की हो, पूजा सिंघल के रिश्ते सबसे बेहतर रहे। भाजपा के अर्जुन मुंडा का शासन हो या रघुवर दास का या फिर झामुमो के हेमंत सोरेन का, वे हमेशा महत्वापूर्ण पदों पर रहीं। रांची से दिल्ली तक बड़े आयोजनों में शामिल रहीं। हेमंत सरकार में भी बड़े समारोहों को लीड करती रहीं।

कौन है पूजा सिंघल

झारखंड काडर की 2000 बैच की आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल मात्र 21 साल की उम्र में आइएएस अधिकारी बन गई थीं। 31 जुलाई 2038 तक उनका कार्यकाल है। फिलहाल वे उद्योग सचिव के साथ खान सचिव का भी काम संभाल रही हैं। उन्हेंं खनिज विकास निगम के चेयरमैन का भी जिम्मा मिला हुआ है। 1999 बैच के झारखंड काडर के आइएएस राहुल पुरवार से उनकी शादी हुई थी। मगर जल्द ही संबंधों में खटास आ गई और 2010 में उन्होंने बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे कामेश्वर झा के बेटे अभिषेक झा से शादी कर ली। शादी के बाद अभिषेक भी दिन-दूनी तरक्की करते रहे। पल्स डायग्नास्टिक सेंटर से बहुमंजिला पल्स अस्पताल खड़ा हो गया और पल्स अस्पताल से पल्स मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल। यह रांची के आधुनिकतम अस्पतालों में एक है। इस अस्पताल का बड़ा हिस्सा आदिवासी भुईंहरी जमीन पर है। फरवरी 2020 में बड़गाई के सीओ ने जमीन के दावे को खारिज कर दिया था। शिकायत पहुंची तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के उपायुक्त को  जांच कर रिपोर्ट देने को कहा मगर बात फिर आगे नहीं बढ़ी और सबने मौन साध लिया।

2000 बैच की झारखंड काडर की आएएस अधिकारी पूजा सिंघल

लेकिन झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विधायक सुदिव्या सोनू कहते हैं कि भाजपा और मीडिया वाले ऐसा दिखा रहे कि हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ छापा पड़ा है। जब रघुवर दास मुख्यमंत्री थे तो 2017 में पेयजल एवं स्वच्छता के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह को पूजा सिंघल के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया गया था। उन्होंने जांच रिपोर्ट में यह कहकर क्लीन चिट दे दी कि सिंघल के खिलाफ गठित आरोप प्रमाणित नहीं पाया गया है। झामुमो विधायकों की मांग है कि रघुवर दास और तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को भी अभियुक्त बनाया जाए।

इसके पहले भाजपा हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के नाम खान लीज पर लेने की शिकायत और उसी आधार पर उनकी विधायकी समाप्त करने की मांग कर चुकी है। अब चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधि कानून की धारा 9 ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर 10 मई तक जवाब मांगा है। बसंत सोरेन से 12 मई तक जवाब मांगा गया है। लेकिन खान सचिव पूजा सिंघल के ठिकानों पर रेड पड़ने के बाद राजनीति तेज हो गई है। अपनी बीमार मां की चिकित्सा के सिलसिले में हेमंत सोरेन हैदराबाद गए हुए थे, उन्होंने वहीं से दिल्ली में आयोग के नोटिस के मद्देनजर वकीलों से राय ली। ईडी की छापेमारी की पूर्व संध्या पर हेमंत हैदराबाद से रांची लौट आए।

उधर, हेमंत की माइनिंग लीज का मामला हाइकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की पीठ में लंबित है। हेमंत की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया है कि याचिका दायर होने के पहले 4 फरवरी को ही लीज सरेंडर कर दी गई थी और इससे उन्होंने एक पैसे का भी लाभ नहीं उठाया है। चुनाव आयोग की सक्रियता के बीच झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने भी लंबे समय से लंबित भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल से जुड़े मामले की सुनवाई तेज कर दी है। दलबदल मामले में बाबूलाल मरांडी की विधानसभा की सदस्यता जा सकती है। उधर राजभवन भी सक्रिय है। केंद्र ने राज्य के दागी पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की सूची मांगी थी। कोई एक माह पूर्व राज्य सरकार ने चार अधिकारियों के नाम दिए। सूत्रों के अनुसार, राजभवन ने इसमें सात और नाम जोड़कर 11 अधिकारियों की सूची केंद्र को भेजी है, जिसमें पूजा सिंघल का नाम सबसे ऊपर था।

यह मामला क्या मोड़ लेता है, यह तो आगे दिखेगा। लेकिन इससे यही साबित होता है कि हर राज में भ्रष्टाचार का खुला खेल चलता रहता है और राजनैतिक नफा-नुकसान देखकर उसे छुपाया या उजागर किया जाता है।

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