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खेल: बैडमिंटन का नया ‘लक्ष्य’

इस समय दुनिया में नौवीं रैंकिंग प्राप्त लक्ष्य सेन ने अगले ओलंपिक में भारत के लिए पदक की संभावनाएं बढ़ाईं
लक्ष्य सेन

अल्मोड़ा के 20 साल के लक्ष्य सेन के लिए बीते चार महीने किसी सपने से कम नहीं रहे। उन्होंने दिसंबर 2021 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और उसके बाद मार्च में ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे। यूथ ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले इस युवा के लिए बीते दिन सचमुच उड़ान भरने वाले रहे हैं। बीसेक बरस के अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ियों में, जो अपनी फिटनेस, स्किल और दृढ़ता की लगातार नई सीमाएं बना रहे हैं, उनमें लक्ष्य सेन ने भारत का झंडा लगातार बुलंद कर रखा है। उन्होंने पेरिस में 2024 में होने वाले ओलंपिक में पुरुष एकल में भारत के लिए पहला पदक जीतने की संभावना बढ़ा दी है। भारतीय बैडमिंटन के गुरु माने जाने वाले पुलेला गोपीचंद कहते हैं, “लक्ष्य का गेम शानदार है। उनसे पेरिस में निश्चित ही मेडल की संभावना है, बशर्ते वे निरंतरता बनाए रखें और उन्हें चोट न लगे।”

48 साल के गोपीचंद, जो प्रकाश पादुकोण के बाद 2001 में ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने, जानते हैं कि लगातार अच्छा प्रदर्शन और चोट न लगने का मतलब क्या है। ऑल इंग्लैंड को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बैडमिंटन टूर्नामेंट में से एक माना जाता है। इसे टेनिस में विंबलडन के समकक्ष भी कहा जाता है। ओलंपिक में पदक जीतना किसी भी एथलीट का सबसे बड़ा सपना होता है, लेकिन ऑल इंग्लैंड में सफलता भी खिलाड़ी की क्षमता को बताता है। चोट के कारण गोपीचंद का करिअर ज्यादा लंबा नहीं चल सका था।

2021-22 में लगातार मिली सफलता के बाद लक्ष्य सेन अचानक दुनिया के शीर्ष 10 खिलाड़ियों में शुमार हो गए हैं। नवीनतम रैंकिंग के अनुसार वे नौवें नंबर पर थे। वे वरिष्ठ भारतीय खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत से भी आगे निकल गए हैं। पूर्व नंबर 1 किदांबी अभी 12वें नंबर पर हैं। शीर्ष 10 में शुमार होना खिलाड़ियों के लिए बड़ी बात होती है। वे दुनिया भर में होने वाले बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं जिनमें उन्हें रैंकिंग प्वाइंट मिलते हैं। इन प्वाइंट के आधार पर वे ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप और वर्ल्ड टूर फाइनल में क्वालिफाई करते हैं।

लक्ष्य सेन

वर्ल्ड रैंकिंग के कारण लक्ष्य को क्वार्टर फाइनल तक किसी सीडेड यानी शीर्ष क्रम के खिलाड़ी के साथ नहीं खेलना पड़ेगा। इससे टूर्नामेंट में उनके आगे बढ़ने और प्वाइंट तथा पुरस्कार जीतने की संभावना बढ़ जाती है। ऑल इंग्लैंड के दूसरे राउंड में लक्ष्य का मुकाबला नंबर 3 रैंक के एंडर्स एंटॉनसन से हुआ। लक्ष्य इन सब बाधाओं को पार करते हुए ऑल इंग्लैंड के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय बने। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से 21-10, 21-5 से हार लक्ष्य के लिए एक सबक थी। पूर्व चैंपियन मलेशिया के जिल जिया ली से कड़े संघर्ष में 21-13, 12-21, 21-19 से जीतने के बाद लक्ष्य थक गए थे, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर दिखा।

जो खिलाड़ी जल्दी सीखते हैं, हार से महत्वपूर्ण सबक लेते हैं और बड़े टूर्नामेंट के जरिए खुद को बेहतर बनाते हैं, वही आगे चलकर श्रेष्ठ होते हैं। बैडमिंटन ऐसा खेल है जिसमें हर मैच में खिलाड़ी सीखते हैं। एक्सेलसन से मिली हार ने लक्ष्य को बताया कि अंततः फिटनेस से तय होगा कि मैच कौन जीतेगा या हारेगा। लक्ष्य ने कहा भी, “बर्मिंघम (ऑल इंग्लैंड) और जर्मन ओपन दोनों में मुझे लंबे सेमीफाइनल खेलने पड़े, जिसका असर मेरे शरीर पर हुआ। लेकिन बड़े टूर्नामेंट में आप कोई बहाना नहीं बना सकते। मुझे परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढालना पड़ेगा।”

मुख्य राष्ट्रीय कोच गोपीचंद कहते हैं कि लक्ष्य के लिए ओलंपिक तक का सफर चुनौती भरा होगा। कई युवा खिलाड़ी लगातार अपना प्रदर्शन सुधार रहे हैं। लक्ष्य को क्वालिटी खिलाड़ियों से निपटने के साथ अपने प्रदर्शन में भी निरंतरता बनाए रखनी पड़ेगी। अगले दो वर्षों में उनका मुकाबला डेनमार्क के एक्सेलसन, एंटॉनसन, जापान के केंटो मोमोता, जी जिया और सिंगापुर के विश्व चैंपियन लोह कीन इउ से होगा। आप इनमें चाइनीज खिलाड़ियों को भी शामिल कर लें तो आपके सामने दमदार खिलाड़ी होंगे। गोपीचंद कहते हैं, “लेकिन अच्छी बात यह है कि लक्ष्य एलीट लीग में हैं और उनका मौजूदा फॉर्म बहुत अच्छा है।”

शीर्ष 10 खिलाड़ियों के स्किल में अंतर बहुत कम होता है और लक्ष्य ऑल इंग्लैंड से ठीक पहले जर्मन ओपन के सेमीफाइनल में एक्सेल्सन को हरा चुके थे। इस तरह डेनिश नंबर 1 खिलाड़ी के साथ उनकी तगड़ी प्रतिद्वंद्विता बन गई है। अनेक शीर्ष खिलाड़ी एक दूसरे के साथ प्रशिक्षण लेते हैं और एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। इससे मुकाबला और कड़ा हो जाता है।

बैडमिंटन लक्ष्य के खून में है। उनके पिता डी.के. सेन कोच हैं, भाई चिराग भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। परिवार को लक्ष्य से काफी उम्मीदें हैं। वे बेंगलूरू स्थित प्रकाश पादुकोण की अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं और पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन विमल कुमार उस सपोर्ट टीम का हिस्सा हैं जो लक्ष्य की टूर्नामेंट प्लानिंग में मुख्य भूमिका निभाती है। गोपीचंद इस बात से खुश हैं कि लक्ष्य उनकी निगरानी में नहीं, बल्कि कहीं और से निकले जो भारतीय बैडमिंटन के लिए बहुत अच्छा संकेत है।

गोपीचंद कहते हैं, “देश में बैडमिंटन का विस्तार पहले से काफी अधिक हो गया है। यह देखकर खुशी होती है कि देश के हर हिस्से से खिलाड़ी आ रहे हैं। लक्ष्य और अनेक भावी खिलाड़ियों को देखकर बहुत खुशी होती है। ये खिलाड़ी विश्व में शीर्ष स्तर पर स्थान बना रहे हैं।”

इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद लक्ष्य अब तय कर सकते हैं कि कौन सा टूर्नामेंट खेलना है और कौन सा नहीं। ऑल इंग्लैंड के बाद उन्होंने दो टूर्नामेंट में न खेलने का फैसला किया। 5 अप्रैल से कोरियन ओपन के साथ उन्होंने नई शुरुआत की है। भारतीय चयनकर्ताओं ने पहले उन्हें थॉमस कप के लिए नहीं चुना था, लेकिन इस बार 5 मई से बैंकॉक में उन्हें इसमें भी खेलने की उम्मीद है। थॉमस कप में भारत पुरुषों के मुकाबले में कभी क्वार्टरफाइनल से आगे नहीं बढ़ सका है।

अगले दो वर्षों में लक्ष्य को अनेक तरह की प्लानिंग की जरूरत होगी। प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों की क्वालिटी और लगातार होने वाले टूर्नामेंट को देखते हुए फिटनेस को बरकरार रखना और प्वॉइंट अर्जित करना महत्वपूर्ण होगा। लक्ष्य कहते हैं, “एक समय था जब केंटो मोमोता ने 2019 में 11 टूर्नामेंट जीते। कोविड-19 के बाद यह मुमकिन नहीं है क्योंकि अनेक युवा खिलाड़ी वरिष्ठ खिलाड़ियों को लगातार चुनौती दे रहे हैं। किसी भी खिलाड़ी के लिए लगातार टूर्नामेंट जीतना आसान नहीं है।”

लक्ष्य की प्रमुख उपलब्धियां

एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण

लक्ष्य फरवरी 2017 में जूनियर विश्व नंबर 1 खिलाड़ी बने। जकार्ता में एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2018 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियन थाइलैंड के कुनलावुत वितिसर्न को 21-19, 21-18 से हराकर पहली बार एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीती। वे 53 साल में यह टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनसे पहले 1965 में गौतम ठक्कर ने यह कारनामा किया था।

यूथ ओलंपिक 2018 में रजत

ब्यूनस आयर्स यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 में लक्ष्य को चौथी रैंकिंग मिली थी। फाइनल में वे चीन के ली शी फेंग से हार गए और उन्हें रजत पदक मिला।

डच ओपन 2019 में पहला बीडब्ल्यूएफ टूर खिताब

दुनिया में कोविड-19 महामारी फैलने से ठीक पहले लक्ष्य सेन का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरा। उन्होंने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर इवेंट में पहली जीत डच ओपन 2019 में दर्ज की। उस टूर्नामेंट में वे बिना किसी रैंकिंग के खेले थे।

बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप 2021 में कांस्य

बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल में तीसरे स्थान पर आने के बाद लक्ष्य सेन ने 2021 में स्पेन के हुएल्वा में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार हिस्सा लेते हुए बिना रैंकिंग वाले लक्ष्य टूर्नामेंट में 15वीं रैंकिंग वाले केंटा निशिमोतो, टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंचने वाले केविन कॉर्डन और एशियाई चैंपियन झाओ जुन पेंग को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचे। हालांकि इस टूर्नामेंट में उनका सफर सेमीफाइनल में ही खत्म हो गया, जब उस समय के विश्व नंबर 1 किदांबी श्रीनाथ के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सेमीफाइनल हारने वाले को भी कांस्य पदक मिलता था, इसलिए लक्ष्य सेन बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक पाने वाले चौथे भारतीय बने।

इंडिया ओपन 2022 में स्वर्ण

लक्ष्य ने इंडिया ओपन 2022 में पुरुषों का सिंगल्स का खिताब जीता। उन्होंने पिछले चैंपियन लोह कीन को 54 मिनट में 24-22, 21-17 से हराया। वह उनका पहला सुपर 500 खिताब था।

ऑल इंग्लैंड ओपन 2022 में रजत

लक्ष्य ने प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप 2022 में दूसरा स्थान हासिल कर एक और पदक अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में वे नंबर 1 भारतीय पुरुष खिलाड़ी के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने विश्व कांस्य पदक विजेता एंडर्स एंटॉनसन और पूर्व चैंपियन ली जिया को हराने के बाद फाइनल में विश्व नंबर 1 और ओलंपिक चैंपियन विक्टर एक्सेलसन को चुनौती दी थी।

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