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पैकेज में काम का खास नहीं

छोटे-मझोले उद्यमियों ने बिना कोलेटरल वाले महंगे कर्ज को नकारा, पुराने कर्ज पर चाहते हैं ब्याज माफी
लागत निकालना मुश्किल ः पंजाब की स्टील इकाइयों में 20 से 30 फीसदी क्षमता पर काम

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की घोषणा की है, जो एक जून से लागू होगी। कोलेटरल फ्री यानी बगैर गिरवी या गारंटी वाली इस लोन स्कीम को ज्यादातर एमएसएमई ने सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि दो महीने से अधिक के लॉकडाउन में ठप कारोबार के चलते उनके पास श्रमिकों को अप्रैल और मई का वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। वे किसी भी सूरत में कोलेटरल फ्री कर्ज से वेतन नहीं देंगे। पहले ही 29 लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबे एमएसएमई आशंकित हैं कि लॉकडाउन में उनका धंधा जितनी बुरी तरह तबाह हुआ है, अगले एक साल में भी सामान्य हो पाएगा या नहीं। इसलिए उद्ममी नए कर्ज का जोखिम लेना नहीं चाहते। इनका कहना है कि कारोबार को पटरी पर लाने के लिए उन्हें बैंकों से 9.25 फीसदी ब्याज पर नया महंगा कर्ज नहीं, बल्कि पुराने कर्ज पर ब्याज माफी चाहिए।

उद्यमी कर्ज पैकेज को छलावा बता रहे हैं। उनका कहना है कि वर्किंग कैपिटल पर ब्याज माफी जैसा राहत का कोई ठोस कदम सरकार ने नहीं उठाया है। वे इस पसोपेश में हैं कि सरकार की गारंटी वाला तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज कितना फायदेमंद होगा। 23 मई को बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्देश दिए कि वे 3सी यानी सीबीआई, सीवीसी और सीएजी से घबराए बगैर एमएसएमई को कर्ज दें। वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोलेटरल फ्री कर्ज के फैसले से लोन एनपीए हुआ तो किसी भी बैंक अधिकारी या बैंक को दोषी नहीं ठहराया जाएगा।

दरअसल, एमएसएमई सेक्टर में पहले से ही बढ़े एनपीए से घबराए बैंकों ने पिछले एक साल से इनके कर्ज में सिर्फ 0.7 फीसदी की बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक, मार्च 2020 तक एमएसएमई सेक्टर में 29 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में से 10 फीसदी एनपीए है। बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी एवं सीईओ संजीव चड्ढा का कहना है, “सरकारी लोन गारंटी योजना तहत हमारा बैंक एमएसएमई को इस वित्त वर्ष में 12,000 करोड़ रुपये के कर्ज दे सकता है।”

कोलेटरल फ्री लोन पैकेज पर आउटलुक से बातचीत में एमएमएमई मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि अगले एक हफ्ते में बैंकों को कोलेटरल फ्री लोन के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे। दरअसल, 2006 से बैंकों और एनबीएफसी ने क्रेडिट गारंटी फंड्स ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) स्कीम के तहत प्लांट और मशीनरी गिरवी रखे बगैर कर्ज नहीं दिया है। जोखिम को ध्यान में रखते हुए बैंक और एनबीएफसी, एमएसएमई सेक्टर को 9.5 फीसदी से 14 फीसदी तक ब्याज पर कर्ज देती हैं।

देश के 6.34 करोड़ एमएसएमई 11 करोड़ लोगों को रोजगार देने के अलावा जीडीपी में 28 फीसदी और निर्यात में 40 फीसदी योगदान करते हैं। पैकेज की घोषणा करते वक्त वित्त मंत्री ने कहा कि तीन लाख करोड़ रुपये की कर्ज स्कीम से 45 लाख एमएसएमई को लाभ मिलेगा। चार साल की अवधि के इस कर्ज का भुगतान एक साल बाद शुरू होगा। स्कीम के लिए 31 अक्टूबर 2020 तक आवेदन किया जा सकता है।

एमएसएमई सेक्टर की गतिविधियों को फिर से गति देने के लिए लॉकडाउन-4 में सरकार ने कई ढील दी हैं, पर प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी, घरेलू बाजार में तैयार माल की कम मांग और निर्यात ठप होने से टेक्सटाइल, गारमेंट्स, ऑटो पार्ट्स, स्टील, इंजीनियरिंग गुड्स और खेल का सामान बनाने वाले ज्यादातर एमएसएमई क्षमता का 30 फीसदी तक ही उत्पादन कर पा रहे हैं। उनका सवाह है कि यदि एक साल तक उनका कारोबार पटरी पर नहीं लौटा तो वे नए कर्ज का जोखिम क्यों उठाएं। कर्ज पर 9.25 फीसदी ब्याज दर को भी वे महंगा मानते हैं। अधिकतर एमएसएमई का कहना है कि वर्किंग कैपिटल पर छह महीने के लिए ब्याज माफ हो और होम लोन की तर्ज पर 7.50 फीसदी ब्याज लागू हों। क्रिसिल के डायरेक्टर हेतल गांधी का कहना है, “हालांकि आरबीआई एमएसएमई क्षेत्र को ज्यादा कर्ज देने की कोशिश कर रहा है, पर इससे सीमित सुधार हो सकता है। संकट की इस घड़ी में एमएसएमई को नए कर्ज की बजाय टैक्स में राहत, जीएसटी रिफंड और उनके उत्पादों की मांग बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए था।”

लॉकडाउन-4 में आठ घंटे की एक शिफ्ट में उत्पादन शुरू करने वाले इंजीनियरिंग गुड्स निर्यातक एवं फियो (फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन) के पूर्व अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि पिछले कई साल से बैंकों का रिकॉर्ड देखें तो एमएसएमई के कर्ज का प्रवाह घट रहा है। बैंक कोलेटरल फ्री लोन के लिए एमएसएमई को इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके पास कोलेटरल फ्री लोन के लिए कोई निर्देंश नहीं है। जब घरेलू बाजार में तैयार माल की मांग 75 फीसदी तक घट गई है, मार्च में 34.57 फीसदी गिरा निर्यात अप्रैल-मई में पूरी तरह ठप है, तो उद्यमी तीन लाख करोड़ रुपये का नया कर्ज लेकर क्या करेंगे। रल्हन की मानें तो चार-पांच महीने तक निर्यात और घरेलू बाजार में मांग बढ़ने के आसार नहीं हैं। ऑल इंडिया फास्टनर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एएल अग्रवाल के मुताबिक, “अगस्त तक कर्ज वसूली टालने या नए कर्ज से एमएसएमई को राहत मिलने वाली नहीं है। वर्किंग कैपिटल पर लॉकडाउन अवधि का ब्याज माफ करना जरूरी है। लोकल को ग्लोबल का नारा देने वाले प्रधानमंत्री से उम्मीद है कि देश के एमएसएमई को ग्लोबल बनाने के लिए कर्ज पर ब्याज दरें भी ग्लोबल मार्केट के बराबर चार फीसदी से अधिक न हों।”

ऑल इंडिया डीजल इंजन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी कोहली का कहना है कि उत्पादों की मांग बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 200 करोड़ तक की सरकारी खरीद को एमएसएमई के लिए सीमित करते हुए इसके लिए ग्लोबल टेंडर नहीं मंगाए जाने का दावा किया है, लेकिन पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 20 फीसदी उत्पादों की खरीद एमएसएमई के लिए आरक्षित करने का पालन नहीं हो रहा है।

ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदिश जिंदल का कहना है कि पंजाब सरकार भले ही लॉकडाउन-4 में राज्य की 2.59 लाख औद्योगिक इकाइयों में से 54 फीसदी में उत्पादन शुरू होने का दावा कर रही है पर यहां न कच्चा माल है, न श्रमिक। ऑर्डर न होने से उत्पादन नाममात्र है। क्षमता का 20 से 25 फीसदी उत्पादन होने से लागत पूरी नहीं हो पा रही है। पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव विन्नी महाजन का दावा है, राज्य की 1.41 लाख औद्योगिक इकाइयों में शुरू हुए उत्पादन में 20 लाख से अधिक श्रमिक काम पर लौट आए हैं।

एमएसएमई के सामने एक और समस्या भुगतान अटकने की है। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी कई बार कह चुके हैं कि केंद्र और राज्य सरकार के विभागों, सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र की कंपनियों पर एमएसएमई के करीब पांच लाख करोड़ रुपये बकाया हैं।

राज्यों ने अपने स्तर पर उठाए कदम

एमएसएमई के लिए केंद्र के राहत पैकेज को धोखा बताते हुए पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा ने आउटलुक से कहा, “एमएसएमई पुराने कर्ज नहीं उतार पा रहे हैं, ऐसे में नए कर्ज लेकर क्या करेंगे? केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी से मांग की है कि एमएसएमई के पुराने कर्ज पर छह महीने के ब्याज माफ किए जाएं और श्रमिकों के तीन महीने के वेतन का भुगतान ईएसआइ फंड से किया जाए।” उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने लॉकडाउन अवधि में माइक्रो इंडस्ट्री के बिजली बिल का न्यूनतम शुल्क माफ किया है। श्रमिकों को पूरा वेतन देने के नाम पर एक तिमाही के लिए एमएसएमई के वर्किंग कैपिटल के ब्याज की भरपाई का दावा करने वाले हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया, “कोरोना से प्रभावित राज्य के 55 हजार से अधिक एमएसएमई को आर्थिक मजबूती देने के लिए सरकार एमएसएमई विशेष निदेशालय स्थापित करने जा रही है। इसके अलावा 158 गांवों की 500 एकड़ से अधिक शामलात और बंजर भूमि युवाओं को लघु इकाइयां स्थापित करने के लिए कलेक्टर रेट पर दी जाएगी।”

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एमएसएमई पुराने कर्ज नहीं उतार पा रहे हैं तो नए कर्ज लेकर क्या करेंगे? इनके पुराने कर्ज पर छह महीने का ब्याज माफ हो और श्रमिकों का तीन महीने का वेतन ईएसआइ फंड से दिया जाए

सुंदर श्याम अरोड़ा

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, पंजाब

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