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कोविड-19 के बाद बदलेगी इमारतों की प्लानिंग

लोगों के रहन-सहन और काम की शैली के अनुरूप शहरों और इमारतों में बदलाव जरूरी
नया नियमः अब सार्वनिक परिवहन में भी दूरी रखनी होगी

 

दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में मार्च से सड़कों का ट्रैफिक, शॉपिंग मॉल और रेस्तरां में  ग्राहकों, थिएटरों में दर्शकों की भीड़ और लाइनें गायब हो गई हैं। व्यापारिक और सामाजिक गतिविधियां थम गई हैं, स्कूल-कॉलेज बंद हो गए हैं। क्या यह युद्धकाल है? ऐसा तो नहीं है। कोई बम नहीं गिरा है, कोई बिल्डिंग नहीं गिरी है। कोई शहर बाढ़ में नष्ट नहीं हुआ है और न ही किसी जंगल में आग लगी है। इसके विपरीत आसमान साफ है, तारों को आसानी से देखा जा सकता है, प्रदूषण का स्तर घट गया है। नदियां साफ हो गई हैं। पक्षियों की चहचहाहट पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट है। दरअसल, कोविड-19 ने इंसान को एक झटके में रोक दिया है। आधुनिक युग ने शायद ही ऐसी किसी प्राकृतिक आपदा का सामना किया, जिसने पूरी दुनिया में जीवन को इस कदर रोक दिया हो और कम समय में पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया हो। यह एक ‘साइलेंट अटैक’ जैसा है। यह हमला कहां तक चलेगा, अभी पता नहीं है। लेकिन एक बात तय है कि अब हम पहले की तरह कभी नहीं रह पाएंगे। फिजिकल डिस्टेंसिंग और चेहरा ढंकने के लिए मास्क सबसे अहम बन गए हैं। ये सारे उपाय इसलिए किए जा रहे हैं ताकि वायरस का संक्रमण स्टेज-3 में जाने से रोका जा सके।

इतिहास गवाह है कि महामारियों ने शहरों में बहुत बदलाव किए। उदाहरण के लिए, 18वीं सदी में हैजा महामारी से लड़ने के लिए नए प्लंबिंग और सीवर सिस्टम का निर्माण हुआ और नए जोनिंग कानून लागू हुए। हमें भविष्य की महामारियों से लड़ने के लिए अपनी जीवन शैली बदलने के साथ ही शहरों और इमारतों को नया स्वरूप देना पड़ेगा। हमें अपने रहन-सहन और कार्य करने के तरीके बदलने पड़ेंगे। जिन इमारतों में हम रहते हैं और काम करते हैं, उन्हें भी नए तरीकों से ढालना होगा। अगले कुछ महीनों में शहरों के डिजाइन के बारे में सोचने के तरीके मौलिक रूप से बदल जाएंगे। वर्तमान महामारी संक्रमण रोकने और स्वस्थ रहने की ओर ध्यान खींच रही है। हमें ऐसे अहम बिंदुओं पर चर्चा करनी चाहिए, जो कोरोना के बाद लोगों के रहने और काम करने की जीवनशैली के अनुरूप शहरों और इमारतों में बदलावों के मूल आधार बनेंगे।

थर्मल स्क्रीनिंग और हैंड वाश

कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान के लिए इमारतों में आने वालों के तापमान की जांच की जा रही है। थर्मल इमेजिंग का उपयोग कर बिल्डिंग में प्रवेश करने से पहले तापमान मापा जाएगा। भवन में आने वालों के लिए हाथ धोना अनिवार्य होगा। सार्वजनिक स्थानों में इस प्रकार का बुनियादी बदलाव स्थायी हो सकता है। आने वाले वक्त में हमारा स्वागत और एंट्री सीधे वाशरूम में हो सकती है।

शहरों में भीड़ कम करना

वायरस का संक्रमण रोकने के कई प्रयासों ने स्पष्ट रूप से डी-डेंसिफिकेशन की रणनीतियों पर जोर दिया है। हालांकि इसे कच्ची बस्तियों सहित बेहद घने शहरों के अंत के रूप में नहीं माना जा सकता। हमें शहर के बाहर कुछ जगहों जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट, सरकारी कार्यालय, मॉल वगैरह को शिफ्ट कर जनसंख्या का घनत्व कम करने की आवश्यकता है। हमें ऐसे घने क्षेत्रों को एक-दूसरे से अलग करने की आवश्यकता होने पर सील करने की रणनीति पर भी काम करना होगा। समय की मांग है कि वाहनों से हटकर पैदल चलने, साइकिल और सार्वजनिक परिवहन से आवागमन को प्राथमिकता दी जाए। नए विकास में मिश्रित उपयोग के मॉडल की जरूरत है, जिसमें सभी जरूरतें कम दूरी में ही पूरी हो जाएं। हमें डिजाइनिंग के नियमों को भुलाकर नए सिरे से सोचना होगा। भीड़ वाले स्थान जैसे सिनेमाघर, शॉपिंग मॉल, सार्वजनिक पार्क वगैरह फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों के साथ ही खोले जा सकते हैं। वहां सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति होगी।

डिजिटल इंटरफेस तेज होगा

हमें डिजिटल इंटरफेस की उपयुक्त तकनीकों का विकास करना होगा, जो केवल आपके मोबाइल फोन को सेंस करें और अन्य सभी नियंत्रण इशारे या आवाज से सक्रिय हों- कुछ भी छुए बगैर स्वचालित सेंसर गेट ऑपरेट हों और बिना टच किए भुगतान वगैरह-वगैरह। सरकार के सभी कामकाज डिजिटल मोड में शुरू होने की संभावना है। हमारे वॉश बेसिन के टैप सेंसर या फिर पैर से ऑपरेट होंगे। हम अनेक सुरक्षा एप्लीकेशन का उपयोग करेंगे, जैसे आरोग्य सेतु एप सभी के लिए जरूरी होगा। घर से बाहर निकलने पर एप्लीकेशन सुरक्षा स्थिति पर लगातार अपडेट देंगे। इस तरह के डिजिटल इंटरफेस के कारण बिल्डिंग की लागत में काफी इजाफा होगा।

वर्क फ्रॉम होम बढ़ेगा

हम अब ओपन प्लान कंसेप्ट वाले ऑफिस में, घने वातावरण में साथ काम नहीं करना चाहेंगे। लॉकडाउन के दौरान अधिकांश लोग घर से काम करने को बाध्य हो गए। दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीय मूल के श्रीधर ने बताया कि उन्हें घर से ही काम करने का आदेश मिला है। घर में कार्यस्थल जैसी व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।

वायरस फ्री यात्रा

शहर के परिवहन नेटवर्क के लिए हमें खाली सीटें छोड़ते हुए कम लोगों के साथ अधिक संख्या और कम अंतराल में बस और ट्रेन चलाने की आवश्यकता पड़ सकती है। अधिक संख्या में बसें चलने से भागकर भीड़ में सफर करने की मानसिकता और आदत को कम करने में मदद मिलेगी। सभी बसों और ट्रेनों में ऑटो स्प्रे के लिए प्रावधान करने होंगे। परिवहन नेटवर्क को इस तरह लचीला बनाना होगा, ताकि सामान्य यात्रा सेवाएं देने के साथ ही अनायास आवश्यकता पड़ने पर बड़ी संख्या में मरीजों को भी ले जाया जा सके। हवाई अड्डों पर सुरक्षा स्क्रीनिंग लेन बड़ी करनी होगी। स्पर्श रहित स्क्रीनिंग में इस तरह बदलाव हो सकता है कि प्रतीक्षा समय, भीड़ और व्यक्तिगत संपर्क की आवश्यकता को कम किया जा सके। हमें इसके लिए हवाई अड्डों पर दोगुने से भी ज्यादा एरिया की जरूरत होगी और सफर करने का किराया भी बढ़ेगा।

आत्मनिर्भर इमारतें

अर्बन हाउसिंग में शहरी आवास हाइराइज अपार्टमेंट के स्थान पर कम ऊंचाई वाले अपार्टमेंट और व्यक्तिगत घरों का चलन बढ़ेगा। ऊंची इमारतों में लिफ्ट, उसके बटन, दरवाजे के हैंडल, सतह वाली हर वस्तु से स्पर्श कम से कम करना होगा। वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए, आत्मनिर्भर और मिश्रित उपयोग के क्षेत्र विकसित करने होंगे। हमें आत्मनिर्भर इमारतों का निर्माण करना होगा, जिससे भोजन, ऊर्जा, पानी और घरेलू सामान जुटाने के लिए आवागमन में कम से कम दूरी तय करनी पड़े। शहर के स्तर पर स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग और आत्मनिर्भरता के लिए लोकल सप्लाई चेन तैयार करनी होगी, ताकि विकास कार्य वर्तमान परिस्थितियों में प्रभावित न हों और घर से ही ऑफिस का काम किया जाए।

घरों की प्लानिंग

हम हाल के वर्षों में नए रुझानों की ओर बढ़े हैं। इनमें एक है कि हम ओपन प्लानिंग कंसेप्ट को अलविदा कर रहे हैं। प्रवेश द्वार, लिविंग रूम, डाइनिंग स्पेस और किचन को एक ही ओपन स्पेस में बनाने का ट्रेंड खत्म होने वाला है। बड़ी व्यक्तिगत बालकनी और शहरों के पुराने घरों की तरह आकर्षक डिजाइन वाले चौक का चलन बढ़ जाएगा। स्वास्थ्य की चिंता डिजाइन का अभिन्न हिस्सा होगी। इसका आशय है कि घर में ही जॉगिंग और एक्सरसाइज के लिए पर्याप्त जगह होगी। यह माना जाने लगा है कि घर को आत्मनिर्भर होना चाहिए। बहुमंजिला इमारतों में भी सब्जियां उगाने के लिए जगह देनी होगी। हमें घर के अंदर या मेन गेट के पास ऐसी व्यवस्था करनी होगी, जिसमें बाहर से मंगाए गए सामान को 8 से 12 घंटे तक रखा जा सके। फल, सब्जी और डेयरी उत्पादों को भी धोकर ही इस्तेमाल किया जाएगा।

बहुपयोगी इमारतें

नई इमारतों की अचानक आवश्यकता को देखते हुए हमें जल्दी निर्माण के लिए उपयुक्त तकनीकें विकसित करनी होंगी। बाद में इन इमारतों की आपातकालीन आवश्यकता पूरी हो जाए, तो उनका इस्तेमाल दूसरे कार्यों के लिए हो सकेगा। इसका अर्थ है कि डिजाइन की गई इमारत का उपयोग सिर्फ एक उद्देश्य के लिए नहीं होगा। इन इमारतों का इस्तेमाल कई उद्देश्यों से किया जाएगा। इसलिए इमारतें बदलाव योग्य होनी चाहिए। वर्तमान इमारतों में भी नवीकरण की आवश्यकता होगी। आज स्कूल-कॉलेजों, यहां तक कि ट्रेनों को भी अस्पताल में तब्दील कर दिया गया। वास्तुकला संरक्षण को गंभीरता से लेना होगा, ताकि इमारतों का जीवन बढ़ाया जा सके। आर्किटेक्ट के लिए यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय है। आर्किटेक्ट और बिल्डिंग डिजाइनर यह जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं। मौजूदा आपातकाल के बाद बिल्डिंग बनाने के लिए हम जो भी तरीका चुनेंगे, उसी से भविष्य के किसी भी संकट से बचने के लिए हमारी क्षमता निर्धारित होगी।

(लेखक एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर के आर्किटेक्ट विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। लेख में विचार निजी हैं)

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आने वाले समय में सार्वजनिक इमारतों के स्वागत कक्ष में वाशरूम अनिवार्य होगा। जनसंख्या घनत्व कम करने के लिए बस अड्डे, रेलवे स्टेशन बाहर बनेंगे

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घरों में ओपन कॉमन स्पेस के स्थान पर व्यक्तिगत बालकनी और आकर्षक चौक का चलन बढ़ेगा। डिजाइन में स्वास्थ्य की चिंता को ज्यादा अहमियत मिलेगी

 

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