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मुट्ठी में आया महामनोरंजन

दर्शकों के लिए सहज उपलब्‍ध वेब सीरीज ने बदल दी मनोरंजन की दुनिया, सिनेमा और टीवी उद्योग के सामने पेश की बड़ी चुनौती
दरबार में बॉलीवुड हाजिरीः अमेजन के संस्‍थापक, दुनिया के एक बड़े अमीर जेफ बेजोस की अागवानी में जुटी समूची मायानगरी

हाल ही में बॉलीवुड की नामचीन हस्तियों की एक बड़ी फौज मुंबई के एक मशहूर सात-सितारा होटल में किसी के इंतजार में पलकें बिछाए खड़ी थी। मौका था अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की अगवानी का, जो भारत के दौरे पर थे। ऐसा बिरले ही देखा जाता है जब भारतीय फिल्म उद्योग के मशहूर कलाकार और फिल्मकार इतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य क्षेत्र के सेलेब्रिटी के साथ तस्वीरें खिंचवाने को इतने आतुर हों, लेकिन आज के दौर में बेजोस यहां की फिल्म इंडस्ट्री के लिए आम नहीं, एक बेहद खास शख्सियत हैं। छप्पन वर्षीय अमेरिकी उद्योगपति इस वक्त दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी भारत के मनोरंजन जगत में दिलचस्पी के साथ-साथ उनकी कंपनी के निवेश की असीम संभावनाओं ने उन्हें यहां की फिल्म इंडस्ट्री की आंखों का तारा बना दिया है। मायानगरी की उस रंगीन शाम को सब यह जानने को बेताब थे कि बेजोस की उनके लिए भावी योजनाएं क्या हैं?

बेजोस ने उन्हें निराश नहीं किया। सुपरस्टार शाहरुख खान और चर्चित निर्देशिका जोया अख्तर के साथ बातचीत करने के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि अमेजन प्राइम वीडियो (उनकी विश्वप्रसिद्ध ई-कॉमर्स कंपनी का वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म) भारत में दुनिया के किसी अन्य देश से बेहतर प्रदर्शन कर रही है और वे भविष्य में यहां दोगुने जोश के साथ और निवेश की योजना बना रहे हैं। उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, “भारत में अमेजन प्राइम वीडियो बेहतरीन ढंग से काम कर रही है। पिछले दो वर्षों में इसे देखने वालों की संख्या में छह गुना वृद्धि हुई है।” बेजोस ने यह भी घोषणा की कि वह इस प्लेटफार्म को दुनिया भर में प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वाला सबसे बड़ा स्टूडियो बनाने की चाहत रखते हैं।

देश में बाकी उद्योगों की तरह मंदी की मार झेल रहे बॉलीवुड के लिए यह किसी बेशकीमती उपहार से कम न था। इस अवसर पर अमेजन प्राइम वीडियो से आने वाले सात ओरिजिनल (मौलिक) सीरीज दिल्ली, बंदिश बैंडिट्स, पाताललोक, गोरमिंट, मुंबई डायरीज:26/11, द लास्ट ऑवर और संस ऑफ सॉईल: जयपुर पिंक पैंथर्स की भी घोषणा की गई, जिसमें सैफ अली खान और अभिषेक बच्चन सहित कई लोकप्रिय बॉलीवुड सितारे काम कर रहे हैं। चार वर्ष पूर्व अपने आगमन के बाद अमेजन प्राइम वीडियो ने भारत में ओरिजिनल सीरीज बनाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। तब से लेकर अब तक इसने तकरीबन 15 से अधिक सीरीज बनाए हैं, जिनमें मनोज बाजपेयी अभिनीत द फैमिली मैन, पंकज त्रिपाठी की मिर्जापुर, विवेक ओबेरॉय की इनसाइड एज और निर्देशक कबीर खान की द फॉरगॉटन आर्मी जैसे हिट्स शामिल हैं। इनमें अधिकतर बड़े बजट की वैसी वेब सीरीज हैं जिनके निर्माण की गुणवत्ता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया गया है।

भारत में वीडियो स्ट्रीमिंग चैनल्स, जिसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म के नाम से भी जाना जाता है, के लिए 2016 ऐसा महत्वपूर्ण साल था जिसने मनोरंजन की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया। इसी वर्ष जुलाई में अमेजन प्राइम वीडियो के पदार्पण के छह माह पूर्व जनवरी में एक अन्य प्रमुख विश्वस्तरीय ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स ने भी भारतीय बाजार में प्रवेश किया था। उसके बाद नेटफ्लिक्स ने देश में ओरिजिनल कंटेंट बनाने के लिए 600 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। फिर भी यह कहना अनुचित होगा कि इन्हीं दो बड़ी अमेरिकी कंपनियों के पदार्पण के बाद भारत में वेब सीरीज बनाने के प्रति जागरूकता आई।

दरअसल, देश में पहला ओटीटी प्लेटफार्म रिलायंस एंटरटेनमेंट का बिगफ्लिक्स था, जो 2008 में ही आ चुका था। 2014-15 में टीवीएफ द्वारा निर्मित परमानेंट रूममेट्स और पिचर्स जैसी सीरीज ने काफी सफलता पाई। पिछले वर्ष इसी प्लेटफार्म पर बनी श्वेत-श्याम सीरीज कोटा फैक्ट्री काफी चर्चा में रही। बीच के वर्षों में हॉटस्टार, सोनी-लिव और ऑल्ट बालाजी जैसे कई अन्य कई प्लेटफार्म क्षितिज पर उभर कर आए लेकिन अमेजन प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स के आते ही बाजार एक झटके में समृद्ध हो गया। आज बॉलीवुड का बड़े से बड़ा फिल्मकार भी ओटीटी प्लेटफार्म के लिए वेब सीरीज बनाना चाहता है। पिछले 24 जनवरी से अमेजन प्राइम वीडियो पर एक था टाइगर (2012) और बजरंगी भाईजान (2015) जैसे सुपरहिट फिल्मों के निर्माता कबीर खान की महत्वाकांक्षी वेब सीरीज द फॉरगॉटन आर्मी का प्रसारण आरंभ हो चुका है। अमेजन प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफार्मों की भारतीय मनोरंजन उद्योग में उपस्थिति के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि कबीर पिछले 20 वर्षों से अधिक से नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद फौज के गुमनाम सिपाहियों के बलिदान पर एक फीचर फिल्म बनाना चाह रहे थे, लेकिन कोई भी बड़ा निर्माता या स्टूडियो इतने बड़े स्तर की फिल्म में निवेश करने को इच्छुक न था। आखिरकार अमेजन प्राइम वीडियो के आगमन से उनकी चिरप्रतीक्षित मुराद पूरी हुई। अमेजन प्राइम वीडियो की तरह नेटफ्लिक्स ने भी जोरशोर से भारत में मौलिक वेब सीरीज बनाना प्रारंभ किया, जिसकी बदौलत सेक्रेड गेम्स, डेल्ही क्राइम, सेलक्शन डे, लीला, टाइपराइटर, जामताड़ा: सबका नंबर आएगा जैसी सीरीज सामने आईं। आने वाले दिनों में इस कड़ी में मसाबा मसाबा, बॉम्बे बेगम्स, मेस्सी और ताजमहल 1989 जैसी वेब सीरीज प्रमुख हैं। आज लगभग सभी वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों में वेब सीरीज बनाने की होड़ मची हुई है।

आज वेब सीरीज क्या है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है लेकिन यह समझना जरूरी है कि वर्तमान परिस्थितियों में मनोरंजन जगत में इसके पदार्पण के मायने क्या हैं? भारत का मनोरंजन उद्योग हाल के वर्षों तक मुख्य रूप से सिनेमा और टेलीविजन पर आश्रित रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट की पैठ सुदूर गावों तक होने और मोबाइल डाटा की निरंतर गिरती कीमतों ने दर्शकों के समक्ष एक नए और सस्ते विकल्प को पेश किया है। इस दौरान टीवी और सिनेमा के प्रचलित माध्यम से इतर ऐसे मनोरंजक कार्यक्रम बनने लगे हैं जिन्हें यू-ट्यूब जैसे चैनलों पर या स्वतंत्र ओटीटी प्लेटफार्मों पर दिखाए जाने की बहुत संभावनाएं हैं। इन कार्यक्रमों की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इन्हें देखने के लिए किसी थिएटर के बड़े परदे या टेलीविजन सेट की, यहां तक कि लैपटॉप या आई-पैड की भी जरूरत नहीं है। जरूरत है तो महज एक मोबाइल फोन की। मनोरंजन की 70 एमएम की दुनिया अब सात इंच से भी कम स्क्रीन में समाने लगी है। इसमें एक और बड़ी सहूलियत यह भी है कि यह चलते-फिरते कहीं भी, कभी भी, चलती मेट्रो, बस या ट्रेन में देखी जा सकती है। अब अपने मनोरंजन के लिए किसी मल्टीप्लेक्स में सिनेमा के महंगे टिकट खरीदने की जरूरत नहीं है, न ही घर में टेलीविजन सेट के सामने घंटों समय बिताने की। वेब सीरीज के कारण धीरे-धीरे मनोरंजन का सारा संसार सामूहिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में हस्तांतरित होकर आम लोगों की हथेलियों में सिमटने लगा है। यह आसानी से उपलब्ध होने वाला ऐसे नशे की तरह उभर रहा है जिसने दर्शकों, खासकर युवाओं को शीघ्र ही अपनी गिरफ्त में ले लिया है। जाहिर है, इसकी दिनोदिन बढ़ती मांग ने मनोरंजन जगत में एक क्रांति-सी लाकर अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, ज़ी5, ऑल्ट बालाजी, वूट, एरोस नाउ, एम-एक्स प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों के पदार्पण और प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। आज देश में लगभग 35 ओटीटी प्लेटफार्म हैं, जिनमें बांग्ला की मशहूर होइचोय जैसी प्रादेशिक भाषाओं के चैनल भी शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में दर्शकों का अधिकतर समय अब भी हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के कार्यक्रम देखने में बीतता है। इसीलिए ऐसे प्लेटफार्मों पर अधिकतर कंटेंट छह भारतीय भाषाओं में डब किए जाते हैं। तीन वर्ष पूर्व के एक अनुमान के अनुसार 2020 के अंत तक देश में आधे से अधिक टीवी और वीडियो देखने वाले लोग अपने मोबाइल फोन या टेबलेट, लैपटॉप वगैरह पर ही सारे कार्यक्रम देखेंगे। यह 2010 में ऐसे दर्शकों की अनुमानित संख्या से 85 प्रतिशत अधिक है।

मनोरंजन व्यवसाय से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाला समय वेब सीरीज का ही है। एक सर्वे के अनुसार, इस वर्ष के अंत तक लगभग 5,595 करोड़ रुपये के व्यवसाय के साथ भारत दुनिया के शीर्ष ओटीटी बाजारों में से एक होगा। यह भी उम्मीद की जा रही है कि 2023 तक भारत में यह बाजार बढ़कर 13,800 करोड़ रुपये का हो सकता है। अर्न्स्ट एंड यंग जैसी वैश्विक एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि इस वर्ष के अंत तक भारत में इसके प्रयोग करने वालों की संख्या 50 करोड़ हो सकती है और यह देश अमेरिका के बाद इस क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन सकता है।

जानकारों का मानना है कि इसकी बढ़ती लोकप्रियता का कारण सिर्फ इसकी सुलभता नहीं है। अन्य देशों की तुलना में ओटीटी के मंच पर वेब सीरीज और अन्य कार्यक्रमों को देखने की कीमत भारत में अभी भी कम है। जहां अमेजन प्राइम वीडियो ने सदस्यता का वार्षिक शुल्क 999 रुपये रखा है, नेटफ्लिक्स के कार्यक्रमों को मोबाइल पर देखने का मासिक शुल्क मात्र 199 रुपये है। ऑल्ट बालाजी के कार्यक्रम तो महज 300 रुपये में पूरे साल भर के लिए देखे जा सकते हैं। इन प्लेटफार्मों पर दिखाए जा रहे कंटेंट के लिए यह लाजिमी है कि वह यूनिवर्सल अर्थात वैश्विक हों। इन पर दिखाए गए सारे कार्यक्रम 190 देशों के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं जिसके कारण इनके कथानक आम तौर पर न सिर्फ यूनिवर्सल होते हैं बल्कि उनमें नवीनता अधिक होती है।

गौरतलब है कि वेब सीरीज का प्रादुर्भाव उस दौर में हुआ जब भारतीय टीवी का विकास ठहर-सा गया लगता है। आज आमतौर पर दर्शक सास-बहू और नागिन जैसे सीरियल से ऊब चुके लगते हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय दर्शकों को सेक्रेड गेम्स, मिर्जापुर, डेल्ही क्राइम, मेड इन हैवन और द फैमिली मैन जैसे अलग-अलग विषय-वस्तु पर आधारित सीरीज ने काफी आकर्षित किया है। इन वेब सीरीज की कहानियों में न सिर्फ नयापन है, बल्कि इनके फिल्मांकन में भी फिल्मकारों को सेंसरशिप जैसी किसी भी तरह की अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता है। यह सही है कि इस माध्यम में फिल्मकारों को जरूरत से ज्यादा मिली स्वतंत्रता के कारण वेब की दुनिया में परोसे गए कंटेंट में सेक्स, हिंसा और गाली-गलौज वाले दृश्यों की भरमार हो गई है। सेक्रेड गेम्स और लस्ट स्टोरीज सहित कई वेब सीरीज में नग्नता के साथ ग्राफिक सेक्स के दृश्य दिखाए गए, जिन पर शुरुआत में कुछ विवाद हुए, पर इससे उनके दर्शकों की संख्या में तनिक भी कमी नहीं आई। लेकिन ऐसे भी अनेक उदाहरण हैं जब सिर्फ सेक्स और गाली-गलौज से भरपूर वेब सीरीज को अपेक्षित दर्शक नहीं मिले हैं। वेब सीरीज की एक और बड़ी विशेषता इसकी वैश्विक स्तर तक पहुंच है। ऐसे फिल्मकारों की कृतियां अब एक साथ 190 देशों में दिखाई जानी लगी हैं, जिन्हें पहले अपनी फिल्मों के प्रदर्शन के लिए देश में थिएटर नहीं मिलते थे। सेक्रेड गेम्स और मिर्जापुर जैसी सफल सीरीज में काम कर चुके चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी का कहना है कि वेब सीरीज की पहुंच देखकर वे चकित हैं, “मेरी किसी वेब सीरीज की स्ट्रीमिंग शुरू होने के 24 घंटे के अंदर मुझे स्कॉटलैंड, मोरक्को, इजरायल और अन्य सुदूर देशों से फोन और संदेश आने लगते हैं। दर्शक बहुत जागरूक भी हैं। अगर वह आपके अभिनय को पसंद करते हैं तो सोशल मीडिया या किसी और माध्यम से ढूंढ़कर संपर्क भी कर लेते हैं। लेकिन अगर उन्होंने वेब सीरीज की पहली दो कड़ी को पसंद नहीं किया, तो उन्हें रिमोट से चैनल बदलने में देर भी नहीं लगती है। आज दर्शकों के पास विकल्प का अभाव नहीं है। अगर आप उन्हें आकर्षित नहीं करेंगे, तो तुरंत देखना बंद कर देंगे।”

पंकज का कहना है कि उनकी तीन वेब सीरीज सेक्रेड गेम्स, मिर्जापुर और क्रिमिनल जस्टिस ने उन्हें इतना लोकप्रिय बना बना दिया कि इंटरनेट की दुनिया उन पर बने मीम से पट गई। वे कहते हैं, “हाल ही में मुझे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने फोन पर मिर्जापुर में मेरे अभिनय पर दाद दी। उसी दिन मुझे मुंबई में बसे जौनपुर के एक पान विक्रेता से भी प्रशंसा मिली। इससे मुझे एहसास हुआ कि वेब सीरीज की पैठ हर तबके में हो गई है।”

वेब सीरीज की एक अच्छी बात यह भी है कि इसने न सिर्फ कलाकारों और फिल्मकारों बल्कि फिल्म निर्माण से जुड़े हर व्यक्ति के लिए अच्छे दिन ला दिए हैं। आज इंडस्ट्री में शायद ही कोई अच्छा अभिनेता है जिसके पास काम की कमी है। पंकज कहते हैं कि आज सभी तरह के कलाकारों के लिए अवसरों की बहुतायत है। वे कहते हैं, “यह माध्यम उन्हें यह अवसर प्रदान करता है कि वे किरदारों को निभाने की प्रक्रिया विस्तारपूर्वक कर सकें। फीचर फिल्म की तरह इसकी विषय-वस्तु को मात्र दो घंटे में दिखाने की विवशता नहीं होती है।” वेब सीरीज के प्रादुर्भाव के कारण न सिर्फ पंकज, बल्कि संजय कपूर, मनीषा कोइराला, शेफाली शाह और टिस्का चोपड़ा जैसे अनेक अनुभवी कलाकारों को अपनी अभिनय क्षमता दिखाने का नया प्लेटफार्म मिला है, बल्कि इससे सुमित व्यास, अमोल पराशर, शोयानी गुप्ता, मानवी गागरू जैसे अनेक नए कलाकरों को भी स्टारडम मिला। कई वेब सीरीज में काम कर चुकी अभिनेत्री राधिका आप्टे कहती हैं, “मुझे इसकी प्रगति पर बहुत खुशी है लेकिन मेरा मानना है कि वेब सीरीज के कंटेंट की कोई सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए। यह व्यर्थ होगा, क्योंकि लोग जिस चीज को देखना चाहते हैं, उसे कहीं न कहीं देख ही लेंगे।” 

आज वेब सीरीज की निरंतर लोकप्रियता बढ़ने से एक बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि क्या यह सिनेमा के भविष्य पर खतरे का संकेत है? क्या एकांत में वेब सीरीज को अपनी सुविधानुसार अपनी हथेली में देखना 300 अनजान लोगों के साथ किसी अंधेरे हॉल में सामूहिक रूप से फिल्म देखने के रोमांच का विकल्प हो सकता है? अभिनेता विक्की कौशल कहते हैं कि नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो के जमाने में जब दुनिया भर के बेहतरीन कंटेंट मोबाइल फोन पर उपलब्ध हैं। कौशल कहते हैं, “सिनेमा से जुड़े हर व्यक्ति को कमर कसनी पड़ेगी। फिल्म हो या वेब सीरीज, कंटेंट की वजह से ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का अच्छा दौर आया है।”

स्पष्ट है, वेब सीरीज के साथ स्पर्धा करने के लिए सिनेमा और टीवी के कंटेंट को भी स्तरीय बनाने की जरूरत है, वरना उनके अप्रासंगिक होने का खतरा बना रहेगा। वेब सीरीज के निर्माताओं को भी गुणवत्ता को लेकर हमेशा चौकस रहना पड़ेगा। सेक्रेड गेम्स के पहले सीजन की अपार सफलता के बाद उन्हीं दर्शकों ने इसकी बहुप्रतीक्षित दूसरे सीजन को नकार दिया, यह इस बात का द्योतक है कि सिनेमा हो या टेलीविजन या वेब सीरीज, दर्शकों को सिर्फ अच्छे कंटेंट से मतलब है।

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दिल्ली में डिंपल कपाड़िया

पाताल लोक में जयदीप अहलावत

रंगबाज फिर से में जिमी शेरगिल

 

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भारत में वीडियो स्ट्रीमिंग चैनल्स या ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म के लिए 2016 महत्वपूर्ण वर्ष था, जिससे मनोरंजन की दुनिया पूरी तरह बदल गई

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वेब सीरीज ने न सिर्फ कलाकारों और फिल्मकारों बल्कि फिल्म निर्माण से जुड़े हर व्यक्ति के लिए अच्छे दिन ला दिए हैं

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