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देश की टॉप यूनिवर्सिटी

देश की टॉप यूनिवर्सिटी आउटलुक-आइ-केयर रैंकिंग 2020
कोविड से लाखों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है

विश्व स्वास्‍थ्य संगठन ने 11 मार्च 2020 को कोविड-19 को महामारी घोषित किया। अब तक यह रहस्यमय वायरस 45 लाख लोगों को अपना शिकार बना चुका है। यूनेस्को के अनुमान के मुताबिक, इस महामारी से दुनिया की 68 फीसदी छात्र आबादी प्रभावित हुई है। दुनिया भर में उच्च शिक्षा को अस्थिर करने वाला ऐसा दौर पहले कभी नहीं देखा गया है। दुनिया काफी बदल गई है। अब हम नई दुनिया में जी और पढ़-लिख रहे हैं।

हमारे बहुत-से प्राध्यापकों-प्रोफेसरों का कहना है कि अब वे पहले की तरह कभी पढ़ा नहीं पाएंगे। यूं तो हो सकता है कि हर विश्वविद्यालय में टेक्नोलॉजी आधारित पढ़ाई-लिखाई की ओर कदम बढ़ाए जा रहे होंगे मगर कोविड-19 ने इस प्रक्रिया में तेजी ला दी है। दुनिया के हर शिक्षा संस्‍थान ने इंटरनेट वगैरह के जरिए पढ़ाई का कार्यक्रम शुरू किया है। पहले की पीढ़ियां भले इतिहास के कालखंड को बीसी (ईसा पूर्व) और एडी (ईस्वी सन) के रूप में जानती रही हों लेकिन अगली पीढ़ियां शायद बीसी (कोविड पूर्व) और एसी (कोविड बाद) की तरह समझें। नए दौर में दुनिया भर में शिक्षा संस्‍थान इसी उधेड़बुन में जुटे हैं कि पढ़ाई-लिखाई, शोध वगैरह कैसे हों और अपने छात्रों, स्टाफ और पूर्व छात्रों की कैसे मदद करें।

भारत में भी पढ़ाई-लिखाई बदलाव के दौर से गुजर रही है। सैकड़ों की तादाद में छात्रों वाले अडरग्रेजुएट क्लास की जगह अब पहले से रिकॉर्ड किए लेक्चर छात्रों को मुहैया कराए जा सकते हैं। उन लेक्चरों पर छात्रों की टिप्पणियां और उनके जवाब से शायद उसकी व्यापकता और प्रासंगिकता बढ़ जाए। सभी छात्रों के लिए एक ही तरह के पाठ के बदले हर छात्र के लिए अलग डिजिटल कंटेंट का दौर भी शुरू हो सकता है। छात्रों को ऑनलाइन जोड़ने के तरीके और प्रोग्राम समय के साथ लगातार बेहतर होते जाएंगे। फैकल्टी भी इन प्रोग्राम और तरीकों से बेहतर डिजिटल अध्यापन के लिए लगातार अपने तौर-तरीकों में सुधार करती जाएगी। पढ़ाई-लिखाई बदलाव और इनोवेशन के जरिए ही दोबारा पटरी पर आ सकती है। कॉलेज और विश्वविद्यालयों को इस संकट को ऐसे मौके की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि एक मजबूत ढांचा तैयार हो सके और छात्रों को सुरक्षित करिअर की गारंटी दी जा सके।

रैंकिंग का तरीका

देश भर के शिक्षा संस्‍थानों को एक विस्तृत प्रश्नावली का जवाब देने के लिए आमंत्रित किया गया और उनके जवाब की जांच-परख और सत्यापन की कड़ी प्रक्रिया अपनाई गई। अंक देने की अगले दौर की प्रणाली के पहले सभी डेटा के सत्यापन के लिए डेस्क आधारित शोध किए गए। जहां भी जरूरी हुआ, डेटा स्वतंत्र स्रोत से लिए गए। इन हजारों डेटा अंकों का विश्लेषण किया गया। डेटा की पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्षता आश्वस्त करने के लिए संस्‍थानों से सैकड़ों बार ईमेल से संपर्क किया गया और सभी प्रासंगिक डेटा अपलोड करने का आग्रह किया गया। पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्षता के तीन मानक ही आउटलुक-आइ-केयर इंडिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2020 का आधार हैं।

(श्रीधर आइ-केयर के वाइस प्रेसिडेंट और मुजाहिद डायरेक्टर रेटिंग हैं)    

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