बहुत साल पहले, उस्ताद शायर निदा फाजली कह गए हैं, ‘‘दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए।’’ लेकिन लगता है, भारत-पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के कप्तानों या उनके हुक्मरानों को शायद यह शेर याद नहीं या फिर वे इससे इत्तेफाक नहीं रखते। इस बार एशिया कप 2025 में भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबले में जो हुआ वह दोनों ही मुल्कों के लिए बद हो रहे रिश्तों के बदतर हो जाने की ओर इशारा करता है। खेल पर तो इसका असर हुआ ही, राजनीति को भी इसमें घुसने का बिना मांगा मौका मिल गया।
भारत और पाकिस्तान का बच्चा-बच्चा जानता है कि पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर नाम से हुई भारतीय सेना की कार्रवाई से दोनों देशों के बीच रिश्तों में चली आ रही कड़वाहट कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। इसका असर खींचकर क्रिकेट के मैदान तक ले जाया गया और यह साफ दिखाई भी दिया। एशिया कप टूर्नामेंट के दौरान ‘हैंडशेक विवाद’ इतना बड़ा हो गया कि इससे खेल भावना तो आहत हुई ही, प्रशासनिक दृष्टि से भी दोनों देशों के खेल रिश्तों पर तनाव की मोटी सतह छा गई। यह विवाद केवल मैदान तक सीमित रहता तब भी कोई बात नहीं होती, लेकिन यह मैदान से निकल कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद तक पहुंच गया।
हारिस रऊफ के साथ विवाद
हुआ यूं कि 14 सिंतबर को दुबई में खेले गए भारत-पाकिस्तान मुकाबले से माहौल पहले ही तनावपूर्ण था। भारत की तरफ से पहले ही तय कर लिया गया था कि टीम औपचारिक रूप से किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी से हाथ नहीं मिलाएगी। इस बारे में मैच रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट को टॉस से पहले ही सूचित किया गया था। तय रणनीति के तहत टॉस के बाद सूर्य कुमार पाकिस्तानी कप्तान से हाथ मिलाए बिना आगे बढ़ गए। फिर भी मैच हुआ और भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को सात विकेट से हराया। मैच में युवा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास और गेंदबाजों की धार स्पष्ट दिखी। पाकिस्तान की पारी में लगातार विकेट गिरते रहे और भारत ने लक्ष्य आसानी से हासिल किया। तीन विकेट लेकर कुलदीप यादव इस मुकाबले के हीरो बने।
जीत के बाद जब भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान की टीम से हाथ मिलाए बगैर मैदान से सीधे ड्रेसिंग रूम चले गए तब पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया दी और टीम मैच के बाद होने वाले प्रेजेंटेशन समारोह में शामिल नहीं हुई। उनसे जब हाथ न मिलाने पर सवाल किया गया, तब उन्होंने कहा कि जीवन में कुछ चीजें खेल भावना से बड़ी होती हैं। पाकिस्तान बोर्ड ने इस हरकत पर भारतीय टीम को आड़े हाथों लिया और कहा कि भारतीय कप्तान और टीम का व्यवहार अस्वीकार्य है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एशियन क्रिकेट काउंसिल और आइसीसी से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। पीसीबी ने रेफरी पाइक्रॉफ्ट को भी इस मसले में घसीटा और कहा कि उन्होंने मामले को ‘‘गंभीरता’’ से नहीं लिया और ‘‘परंपरा’’ की रक्षा के लिए कोशिश नहीं की। उन्होंने मांग की कि पाइक्रॉफ्ट को टूर्नामेंट से हटाया जाए। पाकिस्तान ने संकेत दिया कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो वे एशिया कप से हट सकते हैं।
आइसीसी ने इसका संज्ञान लेकर जांच शुरू की और पाया कि पाइक्रॉफ्ट पर कोई आरोप साबित नहीं होता। उन्होंने वही किया जिसकी उन्हें सूचना मिली थी। इसलिए नियम का उल्लंघन नहीं हुआ और उन्हें हटाने का सवाल ही नहीं उठता। आइसीसी ने किसी भी प्रकार के दबाव में झुकने से साफ इनकार कर दिया। अगले दिन पाकिस्तान-यूएई के मुकाबले से पहले स्थिति और जटिल हो गई। पाकिस्तान टीम मैदान पर निर्धारित समय से बहुत देर से पहुंची, जिससे मैच लगभग एक घंटे देरी से शुरू हुआ। पाकिस्तानी टीम मैनेजमेंट ने रेफरी एंडी पाइक्रॉफ्ट से सीधे चर्चा हुई। पाइक्रॉफ्ट ने स्पष्ट किया कि जो हुआ उसमें केवल संवाद की कमी रही और किसी प्रकार के नियम का उल्लंघन नहीं हुआ। पाकिस्तान की टीम ने इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड तो किया लेकिन इसमें ऑडियो यानी आवाज नहीं थी। इस वीडियो के बारे में पाकिस्तानी टीम ने बताया कि पाइक्रॉफ्ट ने माफी मांगी है। आइसीसी ने इस पर भी आपत्ति जताई और स्पष्ट किया कि नियमों का उल्लंघन न होने पर किसी को हटाने का सवाल ही नहीं उठता। गतिरोध टूटा और मैच शुरू हुआ लेकिन विवाद की छाया बनी रही।
जोडीदार बने शुभमन और अभिषेक
पाकिस्तान मुकाबला जीतकर टूर्नामेंट के अगले चरण में प्रवेश कर गया। लेकिन, आइसीसी ने सुपर 4 के मुकाबले के लिए भी पाइक्रॉफ्ट को ही रेफरी नियुक्त किया। इस बार भारत और पाकिस्तान जब आमने-सामने आए तो एक बार फिर वही दृश्य दोहराया गया। टॉस के समय हाथ नहीं मिलाया गया। पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान की टीम इस बार सकारात्मक दिखी लेकिन मैच में 10 ओवर के बाद भारत की वापसी ने यह सुनिश्चित किया कि वे 20 ओवर में 171 रन ही बना सकें। भारत की ओर से शिवम दुबे ने 4 ओवर में 33 रन देकर 2 विकेट झटके। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने दमदार शुरुआत की। शुभमन गिल (28 गेंदों पर 47 रन) और अभिषेक शर्मा (39 गेंदों पर 74 रन) ने पहले विकेट के लिए धुआंधार साझेदारी (105 रन) की। भले ही बीच में कुछ विकेट गिरे लेकिन लक्ष्य कभी मुश्किल नहीं लगा। भारत ने 7 गेंद शेष रहते मुकाबला 6 विकेट से जीत लिया। अभिषेक शर्मा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। हालांकि इस मुकाबले में पाकिस्तानी खिलाड़ी कई मौकों पर टीम इंडिया के खिलाड़ियों से उलझते दिखे। पाकिस्तान के लिए यह हार और भी भारी रही क्योंकि विवाद और तनाव के बीच उनकी टीम का मनोबल प्रभावित होता दिखा।
सूर्यकुमार यादव ने बाद में कहा कि भारत पाकिस्तान का मुकाबला अब पहले जैसा प्रतिद्वंद्विता भरा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि हमारी टीम केवल क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित कर रही है और और उन लोगों ने बाहरी माहौल से दूरी बनाए रखने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे विवाद के दौरान खिलाड़ियों ने फोन बंद रखे और शोरगुल से बचने की कोशिश की ताकि ध्यान केवल खेल पर बना रहे। पाकिस्तान ने इस घटना को क्रिकेट की परंपराओं और आपसी सम्मान पर चोट बताया। मीडिया और सोशल मीडिया पर इस विवाद ने बड़ा स्थान लिया। भारतीय और पाकिस्तानी दर्शकों के बीच बहस चली। कुछ ने कहा कि खेल भावना की अनदेखी हुई है जबकि कुछ ने माना कि राजनीतिक परिस्थितियों में यह कदम उचित था।
विवाद ने यह भी दिखाया कि अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाएं किस तरह दबाव में आती हैं और कैसे अपने फैसले पर कायम रहना पड़ता है। आइसीसी ने अगर पाइक्रॉफ्ट को हटाया होता तो यह संस्था की साख पर प्रश्नचिन्ह होता। विशेषज्ञों ने आइसीसी के इस कदम को उसकी मजबूती के तौर पर देखा।
पूरा घटनाक्रम बताता है कि क्रिकेट केवल रन और विकेट का खेल नहीं है। यह परंपराओं, भावनाओं और देशों के रिश्तों से जुड़ा हुआ है। हाथ न मिलाने की साधारण घटना इतना बड़ा विवाद खड़ा कर सकती है कि टूर्नामेंट की दिशा बदल जाए। कई लोगों ने इसे पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के प्रतीक के रूप में देखा। एशिया कप 2025 का यह अध्याय लंबे समय तक याद किया जाएगा। इससे लगता है कि खेल और राजनीति को पूरी तरह अलग करना आसान नहीं है। खिलाड़ियों और अधिकारियों को ऐसे संवेदनशील हालात में संतुलन बनाए रखने के लिए और सतर्क रहना पड़ता है। क्रिकेट केवल मैदान पर नहीं खेला जाता यह लोगों के दिलों में भी चलता है।