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“शायद मुझे अब दूसरा मौका न मिले”

शाहरुख खान-नेटफ्लिक्स प्रोडक्शन, से 51 वर्षीय बॉबी क्लास ऑफ 83 के जरिए अपना डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं
बॉबी देओल

बॉबी देओल ने 1995 में बरसात के साथ बॉलीवुड में धमाकेदार तरीके से प्रवेश किया और इसके बाद गुप्त (1997) और सोल्जर (1998) जैसी बड़ी हिट फिल्में दीं। धर्मेंद्र के सबसे छोटे बेटे हालांकि अपनी शुरुआती सफलता को बनाए रखने में असफल रहे और नई सदी में तीन साल बिना काम के घर बैठे रहे। शाहरुख खान-नेटफ्लिक्स प्रोडक्शन, से 51 वर्षीय बॉबी क्लास ऑफ 83 के जरिए अपना डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं। यह फिल्म 21 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित होगी। उन्होंने गिरिधर झा से अपनी नई फिल्म, 25 साल की फिल्मी यात्रा और अपनी नाकामियों के मुश्किल दौर की बात की। प्रमुख अंश:

 

क्लास ऑफ 83 में आपने पुलिस ट्रेनिंग अकादमी में डीन का चरित्र निभाया है। यह भूमिका आपके द्वारा निभाई गई किसी और भूमिका से बिलकुल अलग है, इस बारे में बताइए?

मैं हमेशा से इस तरह के दिलचस्प किरदार की तलाश में रहता हूं लेकिन मुझे अपनी छवि के कारण इस तरह की भूमिकाएं निभाने को नहीं मिली। मेरे पास जो भी प्रतिभा है, उसे दिखाने के लिए मैंने लंबा इंतजार किया है। शाहरुख खान का प्रोडक्शन हाउस (रेड चिलीज) और नेटफ्लिक्स मेरे पास इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव लेकर आए। स्क्रिप्ट सुनकर, मुझे लगा, आखिरकार मुझे वह रोल मिल ही गया, जिसकी मुझे तलाश थी। मैं एक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहा हूं, जो समाज की भलाई और अपने पेशेवर कर्तव्यों के लिए अपने पारिवारिक जीवन की उपेक्षा करता है। यह लार्जर-दैन-लाइफ भूमिका नहीं है।

आपको ग्लैमरस भूमिकाएं करने के लिए जाना जाता है। इस भूमिका को निभाने के लिए क्या कोई अतिरिक्त प्रयास करना पड़ा?

अपना यह पक्ष दिखाने के लिए मैं मौके का इंतजार कर रहा था। अपना काम आप तभी साबित कर सकते हैं, जब आपको ऐसा करने का मौका मिले। जब मुझे मौका मिला, तो मैंने इसे निभाने में जी-जान लगा दिया। मुझे लगा, शायद मुझे दूसरा मौका न मिले।

आप बॉलीवुड में 1995 में आए थे। करिअर के रजत जयंती वर्ष में डिजिटल शुरुआत कर रहे हैं। तब और अब में क्या अंतर है?

कोई खास अंतर नहीं है। अभिनेता के तौर पर माध्यम की परवाह किए बिना ऐसा विषय चुनने की कोशिश होती है, जो पहले न किया हो। मुझे लगता है, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रचनात्मक लोगों को दिलचस्प चीजें बनाने की बहुत स्वतंत्रता है। यह केवल व्यावसायिक नहीं है। यह मनोरंजन और कहानी कहने के बारे में ज्यादा है, वरना सामान्य दिनों में ऐसा देखने को नहीं मिलता। नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों के आने के बाद, इस तरह की कहानियों को दिलचस्प तरीके से बना सकते हैं। मैंने नहीं सोचा था कि यह फिल्म टीवी पर या बड़े परदे पर दिखाई जाएगी। एक अभिनेता सिर्फ काम करना चाहता है, जिससे उसे संतुष्टि मिले।

पिछले 25 वर्षों की आपकी यात्रा कैसी रही? आपको लगता है, आपको अलग तरह से कुछ करना चाहिए था?

हर अभिनेता जब पीछे मुड़ कर देखता है, तो सोचता है कि उसे चीजों को अलग ढंग से करना चाहिए था, ज्यादा कड़ी मेहनत करनी चाहिए थी और ज्यादा फोकस्ड रहना चाहिए था। मुझे भी लगता है, यदि मैं ज्यादा फोकस्ड और अनुशासित रहता तो चीजें अलग हो सकती थीं। मेरा मतलब यह नहीं है कि यह मुझे स्टारडम की बुलंदियों तक ले जाता, लेकिन मेरा काम बेहतर हो सकता था। यह किसी किरदार को निभाते हुए आपके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में है। मैं अपने जीवन के नए दौर को लेकर खुश हूं। तीन साल तक जब मैंने काम नहीं किया था, तब मैंने हार मान ली थी लेकिन अब मैं समझ गया हूं कि हौसला न छोड़ते हुए कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए। उन दिनों, प्रशंसक पूछते थे, “आपको दोबारा स्क्रीन पर कब देखेंगे?” मैं कहता था, “बहुत जल्द।” उन्हें कैसे बताता, मेरे पास काम नहीं है।

उस दौर में बड़ी सफलता मिलने के बाद आप असफलता से कैसे जूझे?

जब आप किसी संकट का सामना करते हैं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता आप कितने बड़े परिवार से हैं। दर्द छुपाने के लिए आप सहारा ढूंढते हैं। शराब में मुझे वह सहारा मिला और मैंने खुद की परवाह नहीं की।

किस बात ने वापसी के लिए प्रेरित किया?

परिवार मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा था। मैं उनकी आंखों में अपने लिए चिंता देख सकता था। वे मुझे आश्वस्त करते थे कि सब ठीक हो जाएगा। मेरे बेटे मुझे घर में बेकार बैठे हुए देखते थे और अपनी मां से पूछते थे कि मैं काम के लिए बाहर क्यों नहीं जाता? मुझे लगा यदि मैं ऐसा ही रहा तो मैं अपने बेटों के लिए रोल मॉडल नहीं बन पाऊंगा। बस इसलिए मैंने इससे बाहर निकलकर खुद को संभालने और कड़ी मेहनत का संकल्प लिया।

आप धर्मेंद्र के स्टार बेटे और सनी देओल के स्टार भाई हैं, दोनों ही बड़े कलाकार है। क्या इस बात ने आपको कभी अतिरिक्त दबाव में रखा?

मुझे कभी ऐसा नहीं लगा। बेशक, आज के समय में, युवा पीढ़ी को इस बात को बोझ की तरह महसूस कराया जाता है। हर व्यक्ति अलग है। जब मेरा करिअर नीचे गिरा, तो मुझे महसूस हुआ कि कुछ लोग मेरे बारे में इसी तरह सोचते हैं। लेकिन मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरे पिता और भाई बड़े सितारे हैं। मैं भी एक बड़ा स्टार था। स्टारडम आपको सब कुछ नहीं दे सकता। इसलिए किसी को भी इसे बहुत अधिक महत्व नहीं देना चाहिए। किसी अभिनेता के लिए सबसे अच्छा इनाम है कि जब वह सुबह उठे तो काम पर जा सके। मैंने अपने पिता और भाई को भी देखा है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

असफलता का विश्लेषण कैसे करते हैं? क्या यह बुरी किस्मत थी या कोई दूसरे कारण जैसे बुरी स्क्रिप्ट का चुनाव?

करिअर में बिना विचार के कुछ कदम उठाते हैं। तब पता नहीं होता कि ये अच्छे होंगे या खराब। मैं अभी भी नहीं सोच सकता कि मैंने कौन सा निर्णय गलत लिया। हो सकता है मैं लक्ष्य से भटक गया था, हो सकता है मैंने अवसरों की कीमत नहीं समझी। कारण चाहे जो हो, मैंने अच्छे अवसर जाने दिए। बेरोजगारी के दिनों में मैं खुद पर तरस खाता था लेकिन फिर मैंने बीत गई बातों पर सोचना बंद कर दिया। अब मैं नई शुरूआत पर ध्यान लगा रहा हूं। अब मैं अपने लक्ष्य पर ध्यान रखना चाहता हूं, अनुशासित रहना चाहता हूं। किसी भी अभिनेता के करिअर के लिए अनुशासन सबसे जरूरी है।

आपके पिता अक्सर कहते हैं, कि सभी देओल बहुत ही सरल और भावनात्मक लोग हैं और फिल्म उद्योग के तौर-तरीकों से वाकिफ नहीं हैं। आप भी बॉलीवुड की किसी लॉबी का हिस्सा नहीं रहे हैं। इससे नुकसान हुआ?

जब मैंने अपना करिअर शुरू किया, फिल्ममेकर्स मेरे पास आते थे। बाद में कलाकारों ने उनसे काम मांगने के दूसरे रास्ते अख्तियार कर लिए। मैंने ऐसा किया ही नहीं। मुझे लगता है, हमारा परिवार ऐसे किसी भी जोड़तोड़ में विश्वास नहीं करता है। हम साधारण लोग हैं। हालांकि, मैं यह नहीं कहूंगा कि यह एकमात्र कारण है, लेकिन हमने वह सब नहीं किया। हम चाहते हैं कि सबको काम मिले और सब खुश रहें। सबकी अपनी जगह हो।

आपके दोनों बेटे आर्यमान और धरम देओल आज नहीं तो कल फिल्म उद्योग में शामिल होंगे ही। पिता के रूप में क्या सलाह देना चाहेंगे?

मेरा अनुभव है कि अभिनेता को केवल अभिनय पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उसके पास व्यावसायिक दृष्टिकोण भी होनी चाहिए। पिता के रूप में, मैं चाहूंगा कि मेरे बेटे पहले पढ़ाई खत्म करें। इसके बाद वे उद्योग में आना चाहें, तो मैं उनका समर्थन करूंगा।

अपने पिता के करिअर से आपने क्या सीखा?

घर पर जब हम साथ होते हैं, तो वे सिर्फ पापा होते हैं। हम यह नहीं देखते कि उन्हें अपने करिअर में किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा होगा। जब हम कठिनाइयों का सामना करते हैं, तब हमें एहसास होता है कि वे भी इस दौर से गुजरे होंगे। अब मुझे लगता है कि काश इसके बारे में मुझे पहले से पता होता। मैं अपने बच्चों से कहता हूं कि जीवन आसान नहीं है और आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें खुद को तैयार करना होगा।

नेटफ्लिक्स जैसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से कोई खास अंतर आएगा, विशेष तौर पर आप जैसे अभिनेताओं के लिए?

इससे अभिनेताओं को बहुत फायदा होगा क्योंकि शो बिजनेस जैसा कोई बिजनेस नहीं है। बड़े या छोटे शहर के लगभग हर घर में, आपको अभिनेता बनने की चाहत लिए एक बच्चा मिलेगा। लेकिन हर किसी को काम नहीं मिल सकता। ओटीटी प्लेटफार्मों के आने से सभी के लिए अवसर के दरवाजे खुल गए हैं। ओटीटी और थिएटर साथ-साथ मौजूद रहेंगे। सिनेमा वह नींव है जिस पर ओटीटी बनाया गया है। अगर सिनेमा नहीं होता, तो ओटीटी नहीं होता। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की तरह है, जिसने युवा प्रतिभाओं को भारत के लिए खेलने के कई अवसर दिए हैं।

फिल्म उद्योग को लेकर कोई अधूरी इच्छाएं? फिल्म निर्देशित करने के बारे में क्या विचार है?

अभी मैं सिर्फ अच्छा काम करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। एक बार मैं अपने काम की वजह से पहचान बना लूं और ईश्वर मुझे ताकत देंगे तो मैं निर्देशन करना चाहूंगा। लेकिन जानता हूं, मेरे पास न इस बारे में जानकारी है और न ही इसका विचार कर रहा हूं। मुझे पता है, ऐसा कभी नहीं हो सकता है।

पिता और भाई की तरह भविष्य में राजनीति में जाने के बारे में क्या विचार है?

मेरे पिता और भाई राजनीति में शामिल हो गए, जबकि उन्होंने इस बारे में कभी सोचा नहीं था। मुझे नहीं पता भविष्य में क्या होगा। अब तक, मैंने इस बारे में सोचा नहीं है।

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