Advertisement

अब गाय अभयारण्य

भाजपा की जयराम सरकार शराब पर गाय सेस से जुटाए गए पैसे पर सवाल उठे तो नई योजना आई सामने
ऊना जिले में स्थित गौशाला

राज्य में जयराम ठाकुर सरकार ने दो साल पहले शराब की हर बोतल पर ‘गौ वंश’ के नाम पर सेस लगाया तो ऐलान किया कि इस फंड को खासकर आवारा गायों के संरक्षण, संवर्धन और पुनर्वास पर खर्च किया जाएगा। लेकिन राज्य के पशुपालन विभाग के मुताबिक 7.97 करोड़ रुपये जुटने के बावजूद अभी घोषित उद्देश्य की दिशा में कदम उठाया जाना बाकी है। उधर, उत्साहित सरकार ने इस वर्ष सेस 1 रुपये प्रति बोतल से बढ़ाकर 1.50 रुपये कर दिया, जिससे चालू वित्त वर्ष में 13.5 करोड़ रुपये जुटने की उम्मीद है। इसी से विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए तो गाय अभयारण्य योजना वजूद में आ गई।

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कहते हैं, “इस प्राप्त राशि का उपयोग  गाय आश्रयों, गौशालाओं और गाय अभयारण्यों के रख- रखाब पर किया जाएगा।” सरकार ने सभी मंदिरों और न्यासों की प्रतिवर्ष आमदनी की कुल राशि में से 15 प्रतिशत राशि गौसदन और गौशालाओं को देने के लिए कानून में भी बदलाव किया। लेकिन विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री कहते हैं, “भाजपा सिर्फ गोवंश की सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपायों पर विज्ञापन दे रही है। जमीनी हकीकत बहुत अलग है। जो भी गैर-सरकारी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता गौशालाएं चला रहे थे, वे संसाधनों की कमी से गौशाला बंद करने को मजबूर है। सरकार केवल उन्हीं लोगों को धन दे रही है जो भाजपा की विचारधारा के हैं। गौशालाओं की स्थिति दयनीय है। सैकड़ों गायें अभी भी सड़कों पर हैं।”

कुछ साल पहले हिमाचल हाइकोर्ट के आदेश पर कुछ गौशालाएं स्थापित की गई थीं, जिन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली और वे दान पर निर्भर हैं। मुकेश अग्निहोत्री कहते हैं, “भाजपा का अपना वोट बैंक और एजेंडा चला रही है। मंत्री अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में गौशाला और केंद्रों की देखभाल कर रहे हैं। बाकी जिलों में कोई काम नहीं हो रहा है।”

दरअसल जनभावना के मद्देनजर कांग्रेस ने कभी सरकार के इन कदमों का विरोध नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के एक विधायक अनिरुद्ध सिंह ने कुछ समय पहले विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था कि गाय को “गोमाता” का दर्जा दिया जाना चाहिए। लेकिन पिछले हफ्ते फिर भाजपा सरकार हिमाचल प्रदेश में गाय संरक्षण की  नई योजना लेकर आई। मुख्यमंत्री ने घोषणा की, “हिमाचल प्रदेश 2021 तक आवारा पशु मुक्त राज्य बन जाएगा।”

नई योजना के तहत गैर-सरकारी संगठनों, ट्रस्टों और सामाजिक संगठनों के सभी गौसदन और गौशाला की सहायता के लिए हर महीने प्रति गाय 500 रुपये, सभी गाय आश्रयों और अभयारण्यों को दिया जाएगा, जिनके पास 30 या इससे अधिक मवेशी होंगे। लोग पशुपालन विभाग सभी मवेशियों का एक डिजिटल डेटा तैयार करेगा, जिसे टैग किया जाएगा।

ऊना जिला के बहादुर सिंह, जो धार्मिक ट्रस्ट के साथ -साथ 70 से 72 पशुओं की गौशाला चला रहे है, का कहना है, “500 रुपया प्रति माह प्रति मवेशी दिए जाने का फैसला अच्छा कदम है।” हिमाचल प्रदेश में कुल 182 गौ सदन और गौशालाएं हैं, जिनमें 108 पंजीकृत हैं। मोटे आकलन से कुल पशु-मवेशी 13,000 से 14,000 हैं। ज्यादातर गौ सदन की स्थिति बहुत ही दयनीय है। लॉकडाउन के दौरान तो अधिकांश गौशालाओं और गौ सदनों में चारे का अभाव काफी रहा। सिरमौर जिले में हरिओम गौशाला के संचालक कपिल ठाकुर का कहना है कि मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद उपायुक्त और अन्य अधिकारियों ने गौशालाओं की मदद को हाथ बढ़ाया।

कृषि और पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में 11 गौ अभयारण्य बनाने की योजना है। हर जिले में कम से कम 400 से 500 जानवरों का अभयारण्य बनाकर एक प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग सफल होने पर एक जिले में दो अभयारण्य बनाए जा सकते हैं। अभयारण्य  सिरमौर जिले के राजगढ़ के पास कोटला बरोग में स्थापित किया गया है। अभयारण्य की अवधारणा लगभग वन्यजीव अभयारण्य जैसी ही है।

हाल ही में राज्य सरकार ने देसी नस्ल की हिमाचली पहाड़ी गाय के संवर्धन के लिए राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन पंजीकृत करवाया है। राज्य में पहाड़ी गाय की संख्या 5,88,283 बताई जाती है। हरियाणा की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी एक गौ सेवा आयोग की स्थापना की है। बहरहाल, ये उपाय कितने कारगर होते हैं, यह तो आगे दिखेगा।

Advertisement
Advertisement
Advertisement