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2024 की चुनौतियां/हरियाणा: दोहरी चुनौती

भाजपा को सहयोगी जजपा से चुनौती, कांग्रेस में हुड्डा को मिली खुली छूट से उत्साह
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा दुष्यंत चौटाला

हरियाणा में 2024 में सियासी दलों के सामने दोहरी चुनौती है। उसी साल की शुरुआत में लोकसभा और आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने से पहले यहां की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत बरकरार रखना इस बार कड़ी चुनौती है। टक्कर में कांग्रेस पहले की तुलना में मजबूती से डटी है। आम आदमी पार्टी भी पैर जमाने की कोशिश कर रही है। भाजपा की असली अग्निपरीक्षा चौटाला परिवार की जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन बनाए रखने की है। बदले हालात में भाजपा के लिए सरकार में गठबंधन सहयोगी जजपा को लंबे समय तक साधना एक कड़ी चुनौती है।

गठबंधन में तीन साल से भाजपा की बी-टीम के रूप में जजपा बहुत सहज नहीं है। राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार के बाद हरियाणा में भी भाजपा की गठबंधन सरकार को झटका लग सकता है। इसके संकेत जजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह के बयानों में भी मिल रहे हैं। आउटलुक से बातचीत में निशान सिंह ने कहा, “हर किसी को आगे बढ़ने का अधिकार है, हर कोई आगे बढ़ना चाहता है। इसमें बुरा क्या है, जो मैंने हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री के लिए दुष्यंत चौटाला का नाम लिया। हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं और प्रदेश के युवाओं की इच्छा है कि युवा नेता दुष्यंत ही अगले मुख्यमंत्री बनें।”

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन छह महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में कुल 90 में से 41 सीटों पर सिमट गई और बहुमत से 6 सीट दूर रह गई। बहुमत के लिए जजपा से गठबंधन में सरकार बनाई गई। अक्टूबर 2019 में सरकार के गठन के तीन साल बाद भी भाजपा-जजपा का ‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ लागू नहीं हो सका। भाजपा अपनी चुनावी घोषणाओं पर बने रहने की कोशिश करती रही लेकिन जजपा की चुनावी घोषणाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। इनमें प्रमुख घोषणा वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ाकर 5000 रुपए प्रति महीना करने की थी जो अब तक 2500 रुपये है। जजपा के कोटे से चार मंत्री भी नहीं बनाए जा सके। इसलिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर दोनों में पेंच फंस सकता है।

तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में भाजपा की निगाह पिछड़ा वर्ग पर है। इसके मद्देनजर केंद्र की तर्ज पर हरियाणा में भी ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग (बीसी-ए) के लोगों को आरक्षण के रास्ते कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। भाजपा के हर पैंतरे की तोड़ में कांग्रेस ने सरकारी नौकरियों की प्रवेश परीक्षाओं के पर्चे लगातार लीक होने के साथ प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाया है। गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस में जान फूंकने के लिए पार्टी आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ कमान पकड़ा दी है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

इससे बाजी पलटने के आसार मजबूत बन गए हैं, हालांकि हुड्डा भी कांग्रेस के अंसतुष्ट दिग्गजों के जी-23 में शामिल रहे हैं लेकिन आलाकमान ने उनकी पसंद के प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करके उन्हें 2024 में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। संगठन में अपनी पसंद की टीम के साथ हुड्डा को पूरी उम्मीद है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी वे अपनी पसंद के उम्मीदवार मैदान में उतारकर बाजी मार सकते हैं।

सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर पर कई दौर की बैठकें और चिंतिन-मंथन शिविर जारी हैं। विनोद तावड़े की जगह त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लब देव को हरियाणा का नया प्रभारी बनाया गया है, लेकिन पार्टी को चुनावों में केंद्र और हरियाणा दोनों में दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी से भी निपटना है। दूसरे, 31 विधायकों के साथ कांग्रेस भी मजबूत विपक्ष की भूमिका में पिछले तीन साल से सरकार को बराबर घेर रही है। यह घेराबंदी हरियाणा में भाजपा का मिशन 2024 पलट सकती है।

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