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23 जनवरी 2023 · JAN 23 , 2023

‘बिकनी किलर’ : फिर खुले जेल दरवाजे

कुख्यात ठग, सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को बुढ़ापे और जेल में अच्छे व्यवहार के चलते नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किया
चार्ल्स शोभराज

उसके लिए जेल के दरवाजे खुल गए। फर्क बस यह कि इस बार टूटे नहीं। कई किताबों, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों का पसंदीदा विषय रहा, ‘बिकिनी किलर’ और ‘सर्पेंट’ जैसी उपाधियों से चर्चित कुख्यात अपराधी हतचंद भाओनानी गुरुमुख चार्ल्स शोभराज नेपाल की जेल से 19 साल बाद आजाद हो चुका है और अपने कथित देश फ्रांस में बीमारी की हालत में बुजुर्गियत काट रहा है। एक वक्त दहशत का पर्याय रहा, सिलसिलेवार वारदात को अंजाम देने वाला, चकमा देकर कई बार जेल से फरार हुए 78 वर्षीय शातिर चार्ल्स शोभराज की उम्र और जेल में अच्छे व्यवहार को देखते हुए 21 दिसंबर को नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया। 1975 में दो पर्यटकों की हत्या के आरोप में चार्ल्स शोभराज सलाखों के पीछे था। भारतीय-वियतनामी मूल के फ्रांसीसी नागरिक शोभराज के साथ 1972 और 1982 के बीच हुई 20 से ज्यादा हत्याओं का लिंक भी जुड़ता है। फ्रांसीसी पर्यटकों को जहर देने के आरोप में वह भारत की एक जेल में भी 20 साल की कैद काट चुका है। अब उम्र के इस पड़ाव पर भले ही वह बीमारी से जूझ रहा है, लेकिन एक दौर ऐसा था जब भारत, फ्रांस, ग्रीस, थाईलैंड, मलेशिया समेत कई मुल्कों की एजेंसियां उसे पकड़ने के लिए अपना जोर लगा रही थीं।

नेपाली सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सपना प्रधान मल्ला और तिल प्रसाद श्रेष्ठ की संयुक्त पीठ ने शोभराज की एक याचिका पर उसे रिहा करने फैसला सुनाया जिसमें उसने दावा किया था कि वह अपने लिए निर्धारित अवधि से ज्यादा वक्त जेल में बिता चुका है। नेपाल में उन कैदियों को रिहा करने का कानूनी प्रावधान है, जो कारावास के दौरान अच्छे चाल-चलन के साथ सजा का 75 प्रतिशत हिस्सा जेल में काट चुके हों।

मोस्ट वॉन्टेडः किताबों, फिल्मों की कहानियों का पसंदीदा नायक चार्ल्स शोभराज

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शोभराज 1975 में नेपाल में अमेरिकी महिला कॉनी जो ब्रोंजिक की हत्या के सिलसिले में 2003 से काठमांडू की जेल में बंद था। नेपाल में उसे गिरफ्तार कर कई मुकदमे चलाए गए थे और 2004 के अगस्त में चार्ल्स शोभराज को आजीवन कारावास की सजा दी गई। नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने भी 30 जुलाई, 2010 को उसकी इस सजा को बरकरार रखा था। उसे 2014 में कनाडाई पर्यटक लॉरेंट कैरियर की हत्या का भी दोषी ठहराया गया और दूसरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। नेपाल में उम्रकैद की सजा का अर्थ 20 साल की कैद होता है।

अपने जीवन का ज्यादातर समय जेल में बिताने वाला शोभराज कई किताबों, फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों के लिए मुफीद विषय रहा है। उसके कारनामों और आकर्षक व्यक्तित्व की वजह से लोगों की उसमें गहरी दिलचस्पी रही है। चार्ल्स के वकील का कहना है कि पहली नजर में कोई नहीं कह सकता कि वह इतना बड़ा सीरियल किलर है। वह 19 साल काठमांडू में रहा मगर उसे हमेशा लिखते-पढ़ते देखा गया। वह अपराधी नहीं बल्कि बुद्धिजीवी जैसा व्यवहार करता था, हालांकि शोभराज ने अपने व्यक्तित्व के खतरनाक पहलू को लेकर एक बार खुद स्वीकार किया था, “मैं अपनी मर्जी से जेल से भाग सकता हूं। मैं अपनी मर्जी से लूट सकता हूं। मैं जैसे चाहता हूं, वैसे जी सकता हूं।”

शोभराज का शिकार बनी कई महिलाएं हत्या के वक्त बिकिनी पहने मिली थीं, इसलिए उसे ‘बिकिनी किलर’ और कई बार जेल से भागने में कामयाब रहने की वजह से ‘सर्पेंट’उपनाम दिया गया। वह इतनी सफाई से अपराधों को अंजाम देता था कि किसी को उसकी भनक लगे, इससे पहले ही वह अपराध कर के निकल जाता था। इस तरह उसने अलग-अलग देशों में कई लोगों की हत्या की।

चार्ल्स शोभराज का जन्म साल में सागोन (वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी) में हुआ था। चार्ल्स के पिता भारतीय मूल के थे और मां वियतनाम की थीं। माता-पिता के तलाक के बाद उसकी मां ने फ्रेंच लेफ्टिनेंट के साथ मिलकर चार्ल्स का पालन-पोषण किया था। माना जाता है कि अपने सौतेले भाई-बहनों के कारण माता-पिता की बेरुखी झेलने वाला शोभराज बचपन से ही कई छोटे-मोटे अपराधों को अंजाम देने लगा था। 1960 के दशक में चोरी और लूट जैसे अपराधों के लिए जब वह पेरिस में जेल में बंद था, उसी दौरान उसने एक धनी पारसी लड़की सी कोम्पैगनोन से विवाह करने का फैसला किया। यह उसकी पहली शादी थी। कई साल बाद उसने 2008 में नेपाल की जेल में अपने से 44 साल छोटी महिला तथा अपने नेपाली वकील की बेटी निहिता बिस्वास से शादी की।

1963 में पहली बार शोभराज को पेरिस में चोरी के अपराध के लिए सजा मिली थी। जेल से छूटने के बाद उसने कई आपराधिक कृत्यों को अंजाम दिया। 1973 में उसे अलग-अलग अपराधों- होटल अशोका में जूलरी स्टोर डकैती के असफल प्रयास, पर्यटकों को लूटने, नशीला पदार्थ देकर हत्या आदि के लिए गिरफ्तार किया गया। वह अलग-अलग देश काबुल, ईरान, फ्रांस में घूमकर वारदातों को अंजाम देता रहा। चार्ल्स कई भाषाएं बोल सकता है। बताया जाता है कि शोभराज अपने आकर्षक व्यक्तित्व से विशेष तौर पर महिलाओं से दोस्ती करने में माहिर था। 1970 के दशक में उसने विदेशी पर्यटकों को अपना निशाना बनाना शुरू किया। वह उनका दोस्त बनकर उन्हें नशीली दवाएं देता और फिर उनकी हत्या कर देता था। विदेशी महिलाएं उसका मुख्य शिकार बनती थीं। उसकी शिकार अधिकतर महिलाओं ने ड्रग्स या नशीली दवाओं का सेवन किया था और मौत से पहले उसके साथ निजी पल भी बिताए थे। सबसे पहले उसने अमेरिका की टेरेसा नोलटन का कत्ल किया था। उसके बाद उस पर दो अमेरिकी पर्यटकों की हत्या समेत 20 से ज्यादा हत्या, चोरी, डकैती वगैरह की कई धाराओं में मामले दर्ज किए गए थे।

शोभराज भारत की जेल में भी लंबा वक्त गुजार चुका है। उसे 1976 में अपने एक साथी के साथ मिलकर नई दिल्ली के एक होटल में इंजीनियरिंग के 30 से ज्यादा छात्रों को जहर देने के प्रयास करते समय गिरफ्तार किया गया था। बाद में पता चला कि उसने एक फ्रांसीसी पर्यटक की भी हत्या की है। कई अपराधों के लिए उसे तिहाड़ जेल में 12 साल कैद की सजा सुनाई गई, मगर 1986 में वह तिहाड़ जेल तोड़कर भाग गया। एक महीने के भीतर ही गोवा के ओ कोकेरियो रेस्तरां से उसे फिर गिरफ्तार कर लिया गया और फिर वह 1997 तक कैद में रहा। माना जाता है कि शोभराज थाईलैंड को प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए जेल से भाग निकला था। दरअसल, उसे थाईलैंड के पटाया में एक समुद्र तट पर छह महिलाओं को नशीला पदार्थ देने और उनकी हत्या के मामले में मौत की सजा दी गई थी। दोबारा उसे पकड़े जाने के बाद वापस उसे थाईलैंड भेजा जाता उससे पहले ही तिहाड़ में रहते हुए उसकी गिरफ्तारी के वारंट की अवधि खत्म हो गई थी।

वह ऐसा दौर था, जब किसी भी अपराध का नाम लो, उस गुनाह में चार्ल्स शोभराज का नाम लिपटा मिल जाता था। एक तरफ जहां वह जहर देकर हत्याओं को अंजाम देता था, वहीं पकड़े जाने के बाद जेल तोड़कर भागने में भी उसे महारत हासिल थी। भारत में तिहाड़ तोड़कर भागने की उसकी कहानी मशहूर तो है ही लेकिन दुनिया भर में सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली जेलों से भी वह यूं ही बाहर आ जाता था। 1971 में चार्ल्स शोभराज ग्रीस की रोड्स पुलिस स्टेशन की छत से कूद कर भाग निकला था। वहां से भागकर वह भारत आ गया। उसी साल चार्ल्स शोभराज को मुंबई में लूट और चोरी के आरोप में पुलिस ने धर दबोचा लेकिन उसने एपेंडिसाइटिस के दर्द का बहाना बनाया और अस्पताल में भर्ती हो गया। फिर वहां से पुलिस को चकमा देकर निकल भागा। वैसे ही 1972 में उसने अफगानिस्तान के काबुल की जेल में पहरेदार को नशीली चीज खिलाकर बेहोश कर दिया और वहां से भाग निकला। 1975 में ग्रीस की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली एजिना टापू की जेल से भी शोभराज आसानी से भाग निकला था।

फिलहाल दिल की बीमारी से जूझ रहा शोभराज फ्रांस में रह रहा है। बीते 24 दिसंबर को उसे यहां प्रत्यर्पित किया गया। शोभराज ने फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि वह ब्रोंज़िच और कैरीयर की हत्या का दोषी नहीं था। उसने कहा, “मुझे बहुत कुछ करना है। मुझे बहुत से लोगों पर मुकदमा करना है।” अब शोभराज का अगला कदम क्या होगा, इस पर लोगों की निगाहें हैं।

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