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शान में गुस्ताखी

एक लाइसेंस पर तीन की जगह अब दो हथियार ही रखे जा सकेंगे, संशोधित कानून के विरोध में राजसी और सियासी लोग
अब नहीं इजाजतः पटियाला के किला मुबारक में दशकों पुराने हथियार रखे हैं। इसे कभी-कभार ही लोगों के देखने के लिए खोला जाता है। नए कानून के बाद इन हथियारों को जमा करना पड़ सकता है

एक पंजाबी गीत के बोल हैं- ‘मित्रां नूं शौंक हथियारां दा।’ यह अकेला ऐसा गीत नहीं, बल्कि दर्जनों ऐसे गीत हैं जिनमें हथियारों (बंदूक, पिस्तौल) का बखान बड़ी शान से होता है। राइफल, बंदूक, पिस्तौल को शानो-शौकत का प्रतीक मानने वाले कई राज घरानों के और, सियासी या ऐसे ही लोग इन दिनों उखड़े हुए हैं। पिछले साल 9 दिसंबर को लोकसभा में और अगले दिन राज्यसभा में पारित हुआ संशोधित आर्म्स एक्ट 2019 के तहत हर लाइसेंस पर हथियारों की संख्या तीन से घटाकर दो कर दी गई। इसके अलावा अवैध हथियार रखने और उनको बनाने या बिक्री पर सात साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके तहत सार्वजनिक समारोह, शादी-ब्याह, धार्मिक जुलूसों, त्योहारों और दूसरे मौकों पर शानो-शौकत दिखाने के लिए फायरिंग करने वालों को एक लाख रुपये जुर्माना और दो साल तक जेल की सजा हो सकती है।

दरअसल, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में आग्नेयास्‍त्रों से 3,775 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इनमें से 322 की मौत लाइसेंसी और 3,453 की गैर-लाइसेंसी यानी अवैध हथियारों से हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने 29 नवंबर को आर्म्स एक्ट में संशोधन का विधेयक लोकसभा में रखा, तो उसके मजमून में हर लाइसेंस पर तीन की जगह सिर्फ एक हथियार रखने का प्रावधान किया गया था। लेकिन 15 सांसदों का दल कानून में नरमी के लिए दिसंबर के पहले हफ्ते में गृह मंत्री से मिला, तो उसमें एक की जगह दो हथियारों का प्रावधान कर दिया गया। फिर भी नए कानून के खिलाफ नाराजगी बरकरार है।

नाराजगी जताने वालों में वे लोग अधिक हैं जो विरासत में मिले हथियारों को अपनी धरोहर समझते हैं। विधेयक पर बहस के दौरान होलकर राजसी घराने से संबंध रखने वाले, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने कहा, “अपराधों में लाइसेंसी हथियारों का इस्तेमाल नाममात्र है। इस संशोधन से कानून का पालन करने वाले लाइसेंसधारकों को परेशानी होगी। राजघरानों के पास विरासत में मिले हथियार हैं और इन परिवारों के लिए उनका भावनात्मक महत्व भी है।”

इसी तरह पटियाला राजघराने से ताल्लुक रखने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एक लाइसेंस पर तीन हथियार का प्रावधान बनाए रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि 13 साल तक आतंक का संताप झेलने वाले पंजाब के लोगों ने आत्मरक्षा के लिए हथियार जुटाए हैं, इसलिए उन्हें अधिक हथियार रखने की छूट हो। पटियाला से सांसद और कैप्टन अमरिंदर की पत्नी परनीत कौर ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने भी पंजाब को संशोधित आर्म्स एक्ट से बाहर रखने की मांग की। इनका तर्क था कि पाकिस्तान से लगते सीमाई इलाकों की ढाणियों में रहने वालों को अपनी और फसलों की हिफाजत के लिए ज्यादा हथियारों की जरूरत पड़ती है।

संशोधित आर्म्स एक्ट के विरोध में नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रणिंदर सिंह (पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुत्र) का कहना है, “दसवें गुरु गुरुगोबिंद सिंह जी ने सम्मान स्वरूप पटियाला के राजसी परिवार को बहुत से हथियार दिए थे। ऐसे हथियारों का ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्व समझते हुए कुछ समुदायों के लिए सरकार को हथियारों की संख्या सीमित करने से पहले विचार करना चाहिए था। जैसे ब्रिटिश काल के समय से ही कोडागु (कुर्ग) के नागरिकों को बिना लाइसेंस हथियार रखने का अधिकार है, जिसकी अवधि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 अक्टूबर 2029 तक बढ़ा दी है।” नेशनल एसोसिएशन फॉर गन राइट्स इंडिया के सचिव अभिजीत सिंह का कहना है कि पुराने कानून के तहत अधिकतर लाइसेंस पर रखे जा रहे तीन हथियार विरासत में मिले ऐसे हथियार हैं जो सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं। संशोधित शस्‍त्र विधेयक पर गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने आउटलुक से कहा कि राजसी परिवार विरासत में मिले दो से अधिक हथियार घर में रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें निष्क्रिय करना होगा ताकि उनसे फायरिंग न हो सके। साथ ही उन्हें इन हथियारों को लाइसेंस से भी हटवाना पड़ेगा।

देश में हथियारों की जब्ती हो या उनसे हत्या, लाइसेंसी हथियारों की तुलना में अवैध हथियारों का आंकड़ा काफी अधिक है। एनसीआरबी के मुताबिक 2018 में आर्म्स एक्ट के तहत 74,877 हथियार जब्त किए गए। इनमें 3,742 लाइसेंसी और 71,135 अवैध थे। इसी तरह, 2016 में आग्नेयास्‍त्रों से 3,775 लोगों की मौत हुई और इनमें से 91 फीसदी से ज्यादा की जान अवैध हथियारों से गई।

सरकारी सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि 2018 में देश में अवैध हथियारों की संख्या करीब 6.20 करोड़ थी। देश में हथियारों के करीब 40 लाख लाइसेंस हैं। इनमें सबसे अधिक 13 लाख उत्तर प्रदेश में हैं। दूसरे नंबर पर पंजाब है जहां 3.60 लाख लोगों के पास हथियारों के लाइसेंस हैं, इनमें करीब 11 हजार लाइसेंस तो महिलाओं के नाम हैं। राज्य में लाइसेंसी हथियारों की संख्या पांच लाख के पार जा चुकी है। यह संख्या 2012 में 3.75 और 2016 में 4.50 लाख थी। पंजाब पुलिस के पास उतने हथियार नहीं हैं जितने आम लोगों के पास हैं। यहां हर 16वें घर में हथियार का लाइसेंस है और प्रत्येक 80वें व्यक्ति के पास लाइसेंसी हथियार है। पंजाब में आतंक का खात्मा हुए दो दशक से अधिक बीत चुके हैं, पर आत्मरक्षा के नाम पर बढ़ता हथियारों का जखीरा आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से किसी खतरे से कम नहीं है। पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक शशिकांत के मुताबिक, नए कानून के तहत लाइसेंसी हथियारों की संख्या कम करने का लक्ष्य है। लाइसेंसी हथियार का उद्देश्य आत्मरक्षा है, लेकिन पंजाब में अपराधों और आत्महत्या के मामलों में लाइसेंसी हथियारों का इस्तेमाल होने के मामले बढ़ रहे हैं। गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी लोकसभा में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विश्व में लाइसेंसी बंदूक से आत्महत्या के जो मामले होते हैं, उनमें भारत तीसरे स्थान पर हैं।

कुछ समुदायों में शादी-ब्याह के मौके पर हवाई फायरिंग की परंपरा है। इसमें कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। एक दिसंबर 2019 को मोगा के धर्मकोट में विवाह समारोह के दौरान डीजे संचालक ने गाना नहीं चलाया तो शराब में धुत लोगों ने लाइसेंसी हथियार से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। बठिंडा में नवंबर 2019 के दौरान दो दिन में ही दो विवाह समारोहों में लाइसेंसी हथियारों से तीन हत्याएं हुईं। तीन साल पहले बठिंडा जिले में विवाह समारोह के दौरान मंच पर डांस कर रही एक डांसर को लाइसेंसी हथियार से गोली मार दी गई। फरीदकोट के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में एक डेरा प्रेमी, मोगा के एक डेरा प्रमुख और हनुमानगढ़ में एक धार्मिक डेरे के बाबा की हत्या में लाइसेंसी हथियार इस्तेमाल हुए। 30 मार्च 2019 को खरड़ में ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शोरी की गोली मारकर एक केमिस्ट ने हत्या कर दी, जिसे वारदात के महज 19 दिन पहले 11 मार्च को रोपड़ जिला मजिस्ट्रेट ने आर्म्स लाइसेंस जारी किया था।

जमा कराने होंगे दो से अधिक हथियार

संशोधित आर्म्स एक्ट 2019 के मुताबिक जिनके पास एक लाइसेंस पर दो से अधिक हथियार हैं, उन्हें बाकी हथियार मार्च 2021 तक नजदीकी पुलिस थाने या लाइसेंसी हथियार डीलर्स के पास जमा कराने होंगे। एक लाइसेंस पर दो से अधिक हथियारों को मार्च 2021 से अवैध माना जाएगा। हथियारों की अवैध खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के लिए बिना लाइसेंस के हथियार बनाने, बेचने, भारत में लाने या देश से बाहर भेजने पर सात साल की जेल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पुराने कानून में तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान था। गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि आने वाले समय में कारतूसों पर भी एक नंबर होगा। नंबर की मदद से पता चलेगा कि किस दुकान से किस व्यक्ति ने कारतूस खरीदा है। इससे हथियारों और कारतूस के प्रयोग पर नजर रखी जा सकेगी। नए कानून की सख्ती से केवल खिला‌िड़यों को राहत है जो निशानेबाजी के लिए राइफल, शॉटगन और हैंडगन तीनों का इस्तेमाल करते हैं।

 

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35% बढ़ गई पांच साल में आर्म्स एक्ट के तहत जब्त हथियारों की संख्या

55,453 हथियार जब्त किए गए थे 2014 के दौरान

74,877 पहुंच गई इनकी संख्या 2018 में

(स्रोतः एनसीआरबी)

 

 

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कार्रवाईः लुधियाना में जब्त हथियारों के साथ पुलिस। (दाएं) 25 बोर की मुगल मैचलॉक पिस्तौल, अभी यह जोधपुर राजघराने के पास है

 

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पंजाब में पुलिस के पास उतने हथियार नहीं हैं, जितने आम लोगों के पास हैं। हर 16वें घर में हथियार का लाइसेंस है और हर 80वें व्यक्ति के पास लाइसेंसी हथियार है

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