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“अब्दुल्लाओं को पता है क्या होने वाला है”

अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद मौजूदा नाकेबंदी के दौर में कश्मीरियों ने अपनी नाराजगी पूरी गरिमा के साथ जाहिर की
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उदारवादी नेता 80 साल के प्रो. अब्दुल गनी बट

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उदारवादी नेता 80 साल के प्रो. अब्दुल गनी बट के श्रीनगर के अपेक्षाकृत शांत इलाके सिविल लाइन्स के घर के बाहर कोई सुरक्षा नहीं है। सरकार ने हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली है। अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र के फैसले और गिरफ्तारियों, कर्फ्यू और नाकेबंदी के माहौल में प्रो. भट इस शर्त पर बातचीत को तैयार हुए कि “इस वक्त अनुच्छेद 370 पर बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं इस पर बोलूंगा मगर अभी नहीं।”

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक और उमर अब्दुल्ला की पार्टियों के भविष्य के बारे में प्रो. भट ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “अब्दुल्लाओं और मुफ्तीओं को पता है कि क्या होने वाला है। मुझे नहीं मालूम, वे आगे क्या करेंगे।”

वे कहते हैं कि अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद मौजूदा नाकेबंदी के दौर में कश्मीरियों ने अपनी नाराजगी पूरी गरिमा के साथ जाहिर की। “कश्मीरियों ने पुख्ता और व्यावहारिक रणनीति अपनाई और पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और दूसरी तमाम ताकतों ने विवाद हल करने पर जोर दिया है।”

“जिन लोगों ने कश्मीरियों की सामूहिक राजनीतिक धारणा के बारे में गलतफहमी पाल रखी है, वे हमेशा गलत साबित होंगे। मौजूदा वक्त में रूस ने भी भारत से कश्मीर पर बात करने को कहा है, जो कुछ दशक पहले कश्मीर के हर मामले में वीटो लगा दिया करता था। यह कश्मीरियों की पराजय नहीं है। हमने अहिंसक तरीकों से कश्मीर में संभावित खतरे की ओर दुनिया का ध्यान खींचा।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने कहा, “आपको इस क्षेत्र के बारे में समझना होगा। चीन पाकिस्तान में मौजूद है, अमेरिका अफगानिस्तान में है और वह वहां से शांति से निकलना चाहता है। दुनिया आर्थिक कारणों से भी इस क्षेत्र में शांति चाहती है।”

उनका कहना है कि चीन, भारत और पाकिस्तान के पड़ोस में है। आने वाले महीनों में चीन की क्या प्रतिक्रिया होगी, “यह सवाल हमें चीन के नेतृत्व पर ही छोड़ देना चाहिए।”

अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने के असर के बारे में जोर देकर पूछने पर वे कहते हैं, “क्या आप भूल गए, जम्मू-कश्मीर में वजीरेआजम होता था। हमारे यहां सदर-ए-रियासत होता था। अनुच्छेद 370 ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव भी थे। अनुच्छेद 370 होने के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच में तीन जंग हुए।” थोड़ा रुक कर कहते हैं, “कभी-कभी आप जानबूझकर धूल उड़ाते हैं, इसके बाद हालात साफ हो जाते हैं। अंधकार छंटता है, रोशनी आती है। मुझे उम्मीद है सद्बुद्धि लौटेगी। मेरी ख्वाहिश है, दोनों परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच बातचीत हो। परमाणु शक्ति संपन्न देश युद्ध नहीं लड़ते हैं।”

वे कहते हैं, “बेहतर कल के लिए वार्ता ही एकमात्र रास्ता है, कुछ और नहीं। भारतीय जानते हैं कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान भी इससे वाकिफ है। युद्ध होने पर सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।”

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