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फिर सिर उठाने लगे आतंकी मंसूबे

ककरतारपुर कॉरीडोर से सौहार्द की पहल क्या आतंकी आग फिर धधकाने के मंसूबों पर भारी पड़ेगी? निरंकारी समागम पर हमले से उभरे अपशकुनी संकेत
नापाक मंसूबेः निरंकारी भवन पर हमले में गिरफ्तार एक आरोपी

इस गुरुपरब 23 नवंबर को गुरु नानक देव के 550वीं शताब्दी वर्ष की शुरुआत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करतारपुर साहिब कॉरीडोर के निर्माण के ऐलान के बाद कहा, “यह बर्लिन की दीवार ढहने जैसा है।” ले‌किन उसी दिन लाहौर में ननकाना साहिब में खालिस्तानी बैनर-नारों के खुले इजहार और अमृतसर के पास निरंकारी समागम पर 18 नवंबर को हमले तो प्रतिकूल हालात के अपशकुनी संकेत पेश कर रहे हैं। इसलिए ये सवाल मौजूं हो गए हैं कि इन  डरावने संकेतों के शमन के लिए हमारी क्या तैयारी है और पाकिस्तान की असली मंशाएं क्या हैं? शायद यही सोचकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अपनी ओर कॉरीडोर के शिलान्यास के वक्त बुलावे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इनकार कर दिया। यह कॉरीडोर अपने पंजाब के गुरुदासपुर जिले में बाबा डेरा नानक से उस पार पंजाब के नारनौल जिले में करतारपुर साहिब तक श्रद्धालुओं की आवाजाही आसान करेगा, जहां गुरु नानक देव ने अपने आखिरी 18 साल बिताए थे।

सुरक्षा विशेषज्ञों को आशंका है कि करतारपुर कॉरीडोर का दुरुपयोग हो सकता है। पाकिस्तानी में बैठे खालिस्तानियों का खुला समर्थन करने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ कॉरीडोर के रास्ते खालिस्तान समर्थक पंजाब के युवाओं को उग्रवाद के लिए उकसा सकती है। गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर ननकाना साहिब में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गोपाल सिंह चावला ने खुले मंच से पंजाब रेफरेंडम 2020 को समर्थन देने की घोषणा की और कहा कि खालिस्तान अवश्य आजाद होगा। ननकाना साहिब में खालिस्तान समर्थक पोस्टर लहराए गए। पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम पंजाब रेफरेंडम 2020 और खालिस्तान के झंडे लहरा कर 'खालिस्तान' जिंदाबाद के नारे लगाए गए। अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन स्थित अलगाववादी गुट सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) अलग खालिस्तान के लिए पंजाब और आप्रवासी सिख समुदाय में रेफरेंडम 2020 का अभियान चला रहा है, ता‌कि उसे संयुक्त राष्ट्र में उठाया जा सके। इसका मौजूदा मुखिया न्यूयॉर्क स्थित वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू है।

तकरीबन 13 साल (1980-1993) तक आतंक का दंश झेलने वाले पंजाब में पिछले तीन साल से आतंकी गतिविधियां फिर तेजी से बढ़ी हैं। 2015 में गुरदासपुर जिले में दीनानगर और 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद धार्मिक नेताओं की हत्या और धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं ने सूबे में आतंकी माहौल बढ़ाया है। 1993 में आतंक के खात्मे के साथ खालिस्तान की मांग करने वाले ज्यादातर उग्रपंथी भले पंजाब छोड़कर पाकिस्तान, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में पनाह ले चुके हों, लेकिन समय-समय पर होने वाली आतंकी घटनाओं से साफ है कि उनके नापाक मंसूबे अभी जिंदा हैं।

इसी 18 नवंबर को अमृतसर से सटे गांव अदलीवाल में निरंकारी सत्संग भवन पर हमले के तार भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ प्रायोजित केएलएफ (खालिस्तान लिबरेशन फोर्स) से जुड़े बताए जाते हैं। उस सुबह मोटरसाइकिल सवार दो युवकों के हथगोला फेंकने से दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पंजाब पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने आउटलुक को बताया कि निरंकारी सत्संग भवन पर हमले के आरोप में गिरफ्तार बिक्रमजीत सिंह ने अपना गुनाह कबूला और माना कि धमाके की साजिश अवतार सिंह ने रची। उसके कहने पर ही वह इस साजिश में शामिल हुआ। 13 नवंबर को दोनों ने अदलीवाल की रेकी की थी। दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अमृतसर के चक मिश्री खान गांव के अवतार सिंह के फौजी पिता ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में सेना से भगोड़े हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले एक रिश्तेदार के जरिए अवतार केएलएफ प्रमुख हरमीत सिंह हैप्पी 'पीएचडी' के संपर्क में आया। हमले में इस्तेमाल हथगोला भी पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्टरी में बना था। पंजाब पुलिस को पहले ही संकेत मिल गया था कि दो दशक से पाकिस्तान में बैठा हरमीत सिंह हैप्पी अमृतसर के आसपास बम धमाके की साजिश रच रहा है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी पंजाब में दोबारा खालिस्तानी आतंक के उभरने की आशंका जताई थी। खुफिया एजेंसियों ने कश्मीर के आतंकी जाकिर मूसा के अमृतसर में देखे जाने की खबर भी दी थी। जैश-ए-मोहम्मद के सात आतंकियों के फिरोजपुर में घुसपैठ करने की सूचनाएं भी सामने आती रही हैं। खुफिया एजेंसियों को इस बात की जानकारी भी मिली है कि पंजाब आने से पहले अंसार गजवत-उल-हिंद के कमांडर जाकिर मूसा और हरमीत की अक्टूबर में पाकिस्तान में मुलाकात भी हुई है। इसके बावजूद पंजाब पुलिस ने हाई अलर्ट की औपचारिकता निभाई।

हरमीत की तलाश राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को भी है, जो पंजाब में 2016-17 में हुई आरएसएस, हिंदू और नामधारी नेताओं की टार्गेट किलिंग के मामलों की जांच कर रही है। हरमीत अमृतसर जिले का है। खुफिया अधिकारियों का मानना है कि हरमीत ने पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया के जरिए पंजाब के नौजवानों को गुमराह करने की मुहिम चलाई हुई है। पंजाब पुलिस खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर राज्य में आतंकियों के 17 मॉड्यूल का पता लगाने में सफल हुई है, लेकिन यह जानना अभी बाकी है कि पंजाब में हथियारों की सप्लाई कैसे हो रही है?

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पंजाब में अशांति फैलाने के लिए खालिस्तानी आतंकी आइएसआइ के इशारे पर काम कर रहे हैं। इनमें हरमीत के अलावा खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का मुखिया रंजीत सिंह नीटा, लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहे खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के प्रमुख लखबीर सिंह रोडे शामिल है। चारों पंजाब में वारदातों के लिए नेटवर्क तैयार करने के साथ बड़े स्तर पर माहौल खराब करने की साजिशें रच रहे हैं। इन चारों को पाकिस्तान में बैठे दूसरे बड़े आतंकी बब्बर खालसा के प्रमुख वधावा सिंह बब्बर और खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह पंजवड़ का भी सहयोग मिल रहा है।

पंजाब में आतंकी मॉड्यूल

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पंजाब में मार्च 2017 से अक्टूबर 2018 तक 17 मॉड्यूल तोड़े जा चुके हैं। अभी भी एक दर्जन और मॉड्यूल होने की आशंका जताई जा रही है। यही कारण है कि ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत पंजाब और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर अक्टूबर में जालंधर के दो शिक्षण संस्थानों पर छापेमारी कर खतरनाक हथियारों की बरामदगी की।

इससे थाना मकसूदां पर हमले का मामला भी सुलझा। पाकिस्तान के पूर्व आर्मी इंटेलीजेंस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर के आइएसआइ प्रमुख बनने के बाद पंजाब में आतंकी गतिविधियां बढ़ने और आतंकी घुसपैठ के लिए पंजाब के साथ लगती भारत-पाक सीमा का इस्तेमाल करने की आशंका बढ़ गई है। आसिम मुनीर ने आइएसआइ प्रमुख का पद लेफ्टिनेंट जनरल नावेद मुख्तार की 25 अक्तूबर को सेवानिवृत्ति के बाद संभाला है। आम तौर पर आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, लेकिन पहली बार आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने नियुक्ति की है। आसिम मुनीर पाक के आर्मी चीफ बाजवा के खास सिपहसालारों में हैं। इस नियुक्ति के पीछे एक और बड़ा कारण मुनीर का पंजाब और कश्मीर की सीमावर्ती भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होना बताया जाता है। खुफिया एजेंसियों को ऐसी सूचना मिली है कि चार नवंबर को आइएसआइ प्रमुख आसिम मुनीर ने पाकिस्तान में बैठे खालिस्तानी आतंकियों वधावा सिंह बब्बर, परमजीत सिंह पंजवड़, रणजीत सिंह नीटा और हरमीत के साथ मीटिंग की। इन चारों से कहा गया है कि एसएफजे की पूरी मदद करें।

बब्बर खालसा प्रमुख वधावा सिंह का कनाडा और ब्रिटेन में बड़ा नेटवर्क है। उससे साफ तौर पर कहा गया है कि वह अपने नेटवर्क से सिख फॉर जस्टिस की रैलियों में पूरा सहयोग करे। इन चारों को यह भी कहा गया है कि कश्मीरी आतंकी संगठनों हिज्बुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के लिए पंजाब में नेटवर्क कायम करे और अपने स्लीपिंग सेल को इनकी मदद के लिए कहे, ताकि किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दिया जा सके। पंजाब में पिछले दो साल में हुई हिंदू नेताओं की हत्या के पीछे भी लाहौर में आइएसआइ के साए में रहने वाले मास्टरमाइंड हरमीत सिंह 'पीएचडी' को माना जा रहा है। इसे लेकर एनआइए कोर्ट ने अगस्त 2018 में हरमीत सिंह पीएचडी, गुरजंट सिंह और गुरशरण सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किए थे। बीएसएफ ने भी इसी साल 21 मई को सीमा के पास इंटरनेशनल सिख स्टूडेंट फेडरेशन के दो आतंकियों को हथियारों के साथ पकड़ा था, जिनके लखबीर सिंह रोडे और हरमीत सिंह पीएचडी से संबंधों का खुलासा हुआ। इसी आतंकी मॉड्यूल के तीन आतंकी गुरदयाल सिंह, जगरूप सिंह और सतविन्द्र सिंह हथियारों के साथ दबोचे गए। इन आतंकवादियों को 'पीएचडी' ने ही तैयार कर पंजाब में धार्मिक माहौल खराब करने के लिए भेजा था।

सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार

खालिस्तान लहर दोबारा शुरू करने के लिए कई सोशल साइट्स भी सक्रिय हैं, जो धार्मिक भावनाएं भड़का रही हैं। खुफिया एजेंसियों के पास ऐसी कई साइट्स का ब्यौरा है। इन साइट्स को चलाने वाले संगठन धार्मिक भावनाएं भड़काने के साथ-साथ फंड इकट्ठा करवाने में विशेष भूमिका निभा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों की जानकारी के अनुसार, पंजाब में अशांति फैलाने के लिए बड़े स्तर पर अलगाववादियों में गठजोड़ हुआ है।

अक्टूबर में इंग्लैंड में हुई रेफरेंडम-2020 की रैली से पहले इन अलगाववादियों का एक मंच पर आना भी खुफिया एजेंसियों का ध्यान इस तरफ खींच रहा है कि पंजाब में कोई बड़ी आतंकी घटना घट सकती है। बरगाड़ी और बहबलकलां कांड को लेकर पैदा हो रहा माहौल आतंकवाद के लिए जमीन तैयार कर रह है। पिछले दिनों पंजाब में अल कायदा के कश्मीरी आतंकी संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद (ए.जी.एच.) और खालिस्तान गदर फोर्स आतंकी संगठन का खुलासा पुलिस कर चुकी है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की हत्या की साजिश का भी पर्दाफाश हुआ है।

दूसरी तरफ, पंजाब में आतंक के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने के बजाय सियासत हो रही है। अमृतसर हमले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजनीतिक फायदा लेने के लिए कांग्रेसी नेता समाज के खिलाफ उग्र शक्तियों को बढ़ावा देकर पंजाब को फिर काले दिनों की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने अमृतसर धमाके का जिम्मेदार सीधे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ठहराया है। पलटवार में अमरिंदर सिंह ने कहा कि अमृतसर हमले को लेकर उन पर राजनीति से प्रेरित होकर आरोप लगाने के बजाय सुखबीर आतंकवाद का सफाया करने में सरकार का सहयोग करें। सुखबीर ने बलजीत सिंह दादूवाल का भी नाम लिया, तो दादूवाल ने कहा कि अमृतसर बम धमाके में सुखबीर बादल, डेरा सिरसा प्रमुख और बिक्रम मजीठिया का सीधे तौर पर हाथ है।

आउटलुक से दादूवाल ने कहा कि बादल पंथक राजनीति से बाहर हो गए हैं और वापसी के लिए इनकी तरफ से पंजाब का माहौल खराब किया जा रहा है। इधर सेना प्रमुख के खिलाफ दिए विवादित बयान को लेकर कांग्रेस के विधायक राजकुमार वेरका ने आम आदमी पार्टी के नेता हरविंदर सिंह फुलका के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई है। फुलका ने अमृतसर हमले में सेना प्रमुख का हाथ होने का अंदेशा जाहिर किया था। फुलका ने कहा कि बीते दिनों सेना प्रमुख ने पंजाब में आतंकवादी हमला होने का अंदेशा जाहिर किया था और हो सकता है कि यह हमला अपने बयान को सही ठहराने के लिए खुद सेना प्रमुख ने ही करवाया हो। हालांकि बाद में फुलका ने अपने विवादित बयान के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी।

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