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“केंद्र सरकार से पर्याप्त मदद का अभी इंतजार”

आपदा के समय किसी देश से मदद लेने में बुराई क्या है। मुझे समझ में नहीं आता कि केंद्र सरकार इसे लेने से क्यों मना कर रही है?
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केरल को जल प्रलय की त्रासदी से उबरने के लिए करीब 25 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। इतनी बड़ी राशि जुटाना अकेले राज्य सरकार के बस में नहीं है। ऐसे में उसे केंद्र सरकार से हर तरह की मदद की आवश्यकता है। यही नहीं, अगर कोई दूसरा देश भी मदद को आगे आ रहा है, तो उसे जरूर लेना चाहिए। ये बातें केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने आउटलुक के साथ बातचीत में कही हैं। पेश हैं आउटलुक के एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव के साथ उनकी बातचीत के प्रमुख अंश ः

केरल को सामान्य जीवन पर आने के लिए कितने पैसों की जरूरत है?

केरल जिस भीषण त्रासदी से गुजर रहा है, उसमें उसे बड़े पैमाने पर सपोर्ट की जरूरत है। हमारा अनुमान है कि उसे कम से कम 25 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। इसके लिए हमने केंद्र सरकार को कई तरह के प्रस्ताव भेजे हैं। हमें उनके जवाब का इंतजार है।

पैसे जुटाने के लिए किस तरह के प्रस्ताव आपने केंद्र के पास भेजे हैं?

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को प्रमुख रूप से तीन तरह के प्रस्ताव भेजे हैं। इसके तहत हमने मांग की है कि राज्य की उधार लेने की सीमा को बढ़ाया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोन लिया जा सके। इसके अलावा केंद्र द्वारा प्रायोजित स्कीम में आवंटन बढ़ाया जाय। मसलन मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि में ज्यादा राशि मिले, ताकि राज्य के पुनर्वास कार्यों में मदद मिल सके। तीसरा हमें स्टेट जीएसटी के जरिए सेस लगाने की अनुमति मिले।

सेस लगाने की मंजूरी तो अब केवल जीएसटी काउंसिल दे सकती है, ऐसा करना क्या आसान होगा?

देखिए, जीएसटी आने के बाद यह सही है कि सेस लगाने का अधिकार जीएसटी काउंसिल के पास है। लेकिन उसकी मंजूरी में सबसे बड़ी स्टेकहोल्डर केंद्र सरकार ही है। इसलिए हमने उसके पास प्रस्ताव भेजा है। अगर वह चाहेगी तो ऐसा हो जाएगा। जहां तक उस पर सवाल उठाने की बात है तो उसकी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि जो सेस लिया जाएगा, वह किसी और राज्य को नहीं चुकाना होगा। ऐसे में किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है।

क्या आपको लगता है कि केंद्र सरकार मदद देने के नाम पर भेदभाव कर रही है?

अभी हमें ऐसा महसूस हो रहा है कि दूसरे राज्यों की तुलना में मदद मिलने में थोड़ी कोताही बरती जा रही है। उन्हें जितनी राशि मदद के रूप में मिली उतनी हमें अभी नहीं मिली है। लेकिन मैं कोई राजनीतिक दोषारोपण नहीं करना चाहता हूं। हमने केंद्र सरकार को मदद के लिए प्रमुख रूप से तीन प्रपोजल भेजे हैं, जिस पर उनके कदम का इंतजार है। उसके बाद ही हम कुछ कह सकते हैं।

यूएई से केरल को मदद मिलने के नाम पर नए तरह का विवाद खड़ा हो गया है, इस पर आपका क्या कहना है?

इस मुद्दे पर विवाद की कोई जरूरत नहीं है। आपदा के समय किसी देश से मदद लेने में बुराई  क्या है। मुझे समझ में नहीं आता कि केंद्र सरकार इसे लेने से क्यों मना कर रही है? केरल के यूएई से काफी गहरे रिश्ते हैं। ऐसे में अगर वहां की सरकार हमें मदद करना चाहती है तो उसे लेने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए। इस विवाद की कोई जरूरत नहीं है।

यूएई ने अभी तक 700 करोड़ रुपये के मदद की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है?

देखिए उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर यूएई संकट की स्थिति में केरल की मदद करना चाहता है तो वह मदद हमें मिलनी चाहिए। उसे केंद्र सरकार को रोकने की कोई जरूरत नहीं है। 

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