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हाइवे का ड्रोनमैन

सड़क निर्माण के हर पहलू के 3डी विश्लेषण के बेमिसाल डाटा से किया कमाल
इंडसाइन एनर्जी के संस्‍थापक हिमांशु नागरथ

रिस्क का ही रिटर्न मिलता है। इसलिए नौकरी नहीं की और स्टार्टअप शुरू किया। यह कहना है बीएचयू आइआइटी से पढ़े हिमांशु नागरथ का। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने तय कर लिया था कि नई राह बनाएंगे। एक बड़ी कंपनी में प्लेसमेंट के बावजूद 2016 में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके एक सहपाठी के साथ इंडसाइन एनर्जी की शुरुआत की।

दोनों दोस्तों ने दो लाख रुपये और एक कमरे से कंपनी की शुरुआत की। आज 15 इंजीनियर कंपनी में काम कर रहे हैं। पहला बड़ा प्रोजेक्ट करीब एक करोड़ 40 लाख रुपये का एनएचएआइ (नेशनल हाइवेज़ अॅथारिटी ऑफ इंडिया) से मिला। मोहाली के एसटीपीआइ (सॉफ्टवेयर टेक्‍नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया) के इनक्यूबेशन सेंटर के एक स्टूडियो से कंपनी आज एनएचएआइ समेत इन्‍फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कई प्राइवेट कंपनियों को तकनीकी सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे रही है। हिमांशु ने बताया कि पहले ही साल उनकी कंपनी ने एक करोड़ रुपये से ज्‍यादा का कारोबार किया।

नई और पुरानी सड़कों की गुणवत्ता जांचने के लिए हिमांशु की टीम के एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर द्वारा विकसित किए गए ड्रोन से सड़क के चार किलोमीटर तक के टुकड़े की फोटो का 3-डी फोटोक्रोमेटरी सर्वे एनएचएआइ को भेजा गया। फोटोक्रोमेटरी सर्वे में सड़क की प्रति किलोमीटर लागत और उसकी प्रतिदिन वाहन आवाजाही सहने की क्षमता भी बताई गई। बस क्या था दनादन प्रोजेक्ट मिलने शुरू हो गए।

इंडसाइन डाटा का विश्‍लेषण करके एनएचएआइ को बताती है कि देश भर में प्रतिदिन 41 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का लक्ष्य पूरा हो रहा है या नहीं, लागत और गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से है या नहीं, बन रही सड़कें प्रतिदिन कितने वाहनों का बोझ सह सकती हैं। कंपनी यह भी बताती है कि री-कार्पेट होने वाली पुरानी सड़कों पर असल में कितने गड्ढों की भराई हुई और ठेकेदार ने बिल कितने के थमाए। इसी तरह हिमांशु की कंपनी सड़कों का जाल बिछाने और पुरानी सड़कों के रखरखाव से जुड़ी तमाम समस्याओं के हल के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग प्लेटफॉर्म मुहैया कराती है।

हिमांशु ने बताया कि सड़क बनाने का काम शुरू होने से पहले उनकी कंपनी द्वारा क्लाउड आधारित डाटा सर्वेयर से लेकर एनएचएआइ, ठेकेदार और इन्‍वेस्टर तक को एक साथ उपलब्ध कराया जाता है। इससे प्रोजेक्ट को लेकर फैसला करने में आसानी होती है। अगस्त 2017 में संसद में पेश की गई पब्लिक अंडरटेकिंग कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 1995 में एनएचएआइ के अस्तित्व में आने से लेकर जून 2016 तक की कुल 388 सड़क परियोजनाओं में से सिर्फ 55 ही तय समय पर या कुछ पहले पूरी हो पाई थीं। इससे यह अंदाजा लगता है कि इंडसाइन का डाटा विश्लेषण कितने काम का है।

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