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नवमिलन के सुख-दुख

ऑनलाइन दुनिया में यह ‘खुद की तलाश’ जैसा है, इस दौरान दिलों के टूटने, सेक्स के खट्टे-मीठे अनुभवों, अहं पालने-पुचकारने, रसीली बातों, दिलचस्प मुलाकातों और पक्की दोस्ती के सिलसिले चलते रहते हैं
ऑनलाइन डेटिंग के अफसानों में सब कुछ रोमांटिक ही नहीं

मुंबई में रहने वाली 34 साल की अनुराधा कामयाब मार्केटिंग प्रोफेशनल है। उसने साथियों और सहयोगियों के जोर देने पर एक चर्चित डेटिंग ऐप पर दस्तक दी। वह अविवाहित है और कुछ दिलचस्प लोगों से मिलना चाहती थी ताकि एक रिश्ते की शुरुआत कर सके। वह बताती है, “शुरुआत में यह रोमांचकारी लग रहा था। थोड़ी घबराहट थी लेकिन किसी से मैच होने और डेट को लेकर उत्साहित भी थी। पर, जल्द ही मेरा भ्रम दूर हो गया। बमुश्किल 10 लाइनों की चैट के बाद ही सामने वाला शख्स मेरे बॉडी ‘साइज’ के बारे में जानना चाहता था। ऐसा ही एक दूसरा मुझसे फोन नंबर मांगने लगा और फोटो भेजने की जिद करने लगा। इन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शोहरत मेरे इन अनुभवों से खास अलग नहीं है। फिर भी मैं नजरअंदाज करने के बजाय इन्हें आजमाना चाहती थी।” कुछ लोगों से चैट के बाद अनुराधा को समझ में आ गया कि जिन मर्दों को उसने स्वाइप किया है, वे ऐप पर केवल सेक्स की तलाश में थे।

कई महिलाएं इस बात की गवाही दे सकती हैं कि डेटिंग ऐप पर योग्य अविवाहित पुरुषों के मुकाबले शादीशुदा मर्दों की तादाद कहीं ज्यादा है। संभवत: ऑनलाइन डेटिंग की संभावनाएं उनकी उम्मीदें जगा देती हैं। लेकिन जिस तेजी से शादीशुदा लोग डेटिंग ऐप का रुख कर रहे हैं, वह भारतीय लोगों के शादीशुदा जीवन की चुनौतियों के बारे में काफी कुछ बताता है।

मुंबई की एक आइटी कंपनी में काम करने वाली 27 साल की जायरा ने कुछ दिनों चैट करने के बाद एक लड़के से मिलने का फैसला किया। लेकिन उसके फोन नंबर को ट्रूकॉलर पर देखा तो उसका नाम कुछ और निकला। बाद में पता चला कि वह शादीशुदा है जबकि उसने जायरा को बताया था कि वह अविवाहित और अकेला है। आमना-सामना होने पर उसने कहा कि यह कोई खास मसला नहीं है। यह सुनकर पहले तो उसे गुस्सा आया लेकिन फिर लगा कि उसने गलत जगह जाकर, गलत व्यक्ति का चुनाव किया है, इसलिए तुरंत अनमैच कर दिया।

ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में सबसे अनुभव कटु ही हो, ऐसा नहीं है। आम जीवन की तरह वहां भी अच्छे-बुरे सभी तरह के लोग मिलते हैं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि नए लोगों से मिलना और उन्हें अपनी पसंद-नापसंद के बारे में बता पाना आसान होता है। इस आभासी दुनिया की एक अलग दुनियादारी है।

अनुराधा और जायरा की तरह महिमा भी मुंबई में नौकरीपेशा महिला और अविवाहित हैं। वे बताती हैं कि उन्हें टिंडर पर कुछ अच्छे दोस्त भी मिले। कुछ के साथ उसने यादगार समय बिताया तो कुछ के साथ बात डिनर डेट पर ही खत्म हो गई। दिन-भर की भागदौड़ के बीच कभी-कभार लड़कों की तस्वीरें स्वाइप करना, उसके लिए तनावमुक्त होने में मदद करता है। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि वह किसी के साथ संबंध बनाने को तैयार हो जाएगी।

गरिमा और सुनैना भी इससे इत्तेफाक रखती हैं। एक 12 साल से शादीशुदा है, जबकि दूसरी तलाकशुदा। दोनों यह देखना चाहती थीं कि उनकी इच्छाएं पूरी  करने वाला कोई दिलचस्प इंसान मिलता भी है या नहीं। दोनों जीवन में रोमांस की कमी महसूस कर रही थीं। नए लोगों से मिलकर दोनों खुश हैं कि किसी को इसके बारे में मालूम नहीं है।

ऑनलाइन डेटिंग का यह रोमांच सामाजिक संबंधों खासकर शादीशुदा जीवन के ताने-बाने में उथल-पुथल मचा सकता है। धीरे-धीरे ही सही मगर डेटिंग ऐप की बढ़ती लोकप्रियता साथी से बेवफाई और एक से ज्यादा लोगों से प्रेम या सेक्स संबंधों को बढ़ावा दे सकती है। भारत जैसे रूढ़िवादी समाज के लिए यह कल्चरल शॉक होगा।

ऐसे मिलन मंचों को लेकर पुरुषों की अपनी दुविधाएं और शौक हैं। यहां पुरुषों की तादाद महिलाओं के मुकाबले कई गुना ज्यादा होने का खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ रहा है। टिंडर ने 30 से ज्यादा उम्र के पुरुषों से प्रीमियम सेवाओं के एवज में तीन गुना ज्यादा पैसा वसूलना शुरू कर दिया था। भारत में 25 साल के नौजवान को टिंडर की गोल्ड सेवाओं के लिए हर महीने 520 रुपये देने पड़ते हैं जबकि 36 साल से ज्यादा उम्र के मर्दों से 1600 रुपये वसूले जा रहे। उम्र के आधार पर इस भेदभाव को लेकर बहुत सवाल उठे। 

टिंडर की नजर में भारत सबसे तेजी से बढ़ रहा और एशिया का सबसे बड़ा बाजार है। कंपनी का मानना है कि यहां करोड़ों  सिंगल युवा और स्मार्टफोन यूजर हैं जो बदलते सांस्कृतिक मूल्यों के कारण अपने साथी के साथ ज्यादा से ज्यादा बतियाना चाहते हैं। सितंबर 2016 में लॉन्च हुए टिंडर पर हर दिन 1.6 अरब से अधिक स्वाइप होते हैं। भारत सहित कई देशों में कमाई के लिहाज से यह टॉप ऐप में शुमार है। दिलचस्प तथ्य है कि भारत के महानगरों के मुकाबले छोटे शहरों में टिंडर की वृद्धि दर दोगुनी है।

टिंडर की भारत प्रमुख तरु कपूर का कहना है कि भारतीय समाज बदलाव के दौर से गुजर रहा है और आज युवाओं का उनके जीवन और फैसलों पर ज्यादा नियंत्रण बढ़ता जा रहा है। महिलाएं विशेष रूप से टिंडर को इसलिए पसंद करती हैं, क्योंकि यह बराबरी, परस्पर सम्मान पर आधारित एक ऐसी जगह है जहां चीजें एकतरफा नहीं होतीं और न ही बेवजह आपके बारे में राय कायम की जाती है।

तो क्या टिंडर जैसे ऐप समाज में हो रही मूक क्रांति हैं जो  विवाह जैसे टिकाऊ और सामाजिक संबंधों को चुनौती देगी?

नॉर्वे की नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी ने हाल में 19 से 29 साल के करीब 640 छात्रों पर तस्वीर आधारित मोबाइल डेटिंग (पीबीएमडी) का एक अध्ययन किया था। इससे पता चला कि महिला खुद के बारे में अच्छा सुनने के लिए डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करती हैं। उनके लिए ये आत्मसम्मान बढ़ाने का प्लेटफॉर्म हैं। मर्द आमतौर पर शॉर्ट टर्म रिलेशनशिप या कैजुअल सेक्स के लिए डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं। यानी सच्चे प्यार और जीवनसाथी की तलाश के निराशा में बदलने की आशंका यहां ज्यादा है। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले क्लिनिकल साइकलॉजिस्ट एर्नस्ट ओलव बोतेन के अनुसार, डेटिंग ऐप कैजुअल सेक्स का एक नया मैदान है, हालांकि इससे सेक्सुअल बिहेवियर में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।

डेटिंग ऐप पर खुद को खरा बनाए रखने के पांच तरीके;

-ईमानदार रहें और सामने वाले को लुभाने के लिए झूठ का सहारा न लें। 

-अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात की जांच करें कि सामने वाला व्यक्ति खुद के बारे में जो दावा कर रहा है वह सच है या नहीं

-किसी तरह का समझौता न करें, निजी तस्वीरें जिनका दुरुपयोग हो सकता हो, पोस्ट न करें

- एक-दूसरे से होने वाली अपेक्षाओं को लेकर स्पष्ट रहें और खुलकर बात करें ताकि मुलाकात के बाद कोई भ्रम न हो

-महफूज रहें- कैजुअल सेक्स के दौरान सुरक्षा का खास ध्यान रखें। यह सुनिश्चित करें लें कि आपके आसपास का कोई व्यक्ति उस शख्स से वाकिफ हो जिससे आप मिल रहे हैं।

 (लेखिका मुंबई में मीडिया कंसल्टेंट हैं)

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