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“एफएसएसएआइ अपना जिम्मा निभाने में नाकाम”

देश में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर एक तरफ लोगों में जागरूकता की कमी है तो दूसरी तरफ संबंधित निकाय और अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहे। ऐसे में लोगों तक घटिया गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ पहुंच रहे हैं और इस पर लगाम लगाने के तमाम सरकारी प्रयास बेहद नाकाफी हैं। फूड सेफ्टी और मिलावट से जुड़े तमाम मुद्दों पर कट्स (कंज्यूमर यूनिटी ऐंड ट्रस्ट सोसायटी)-इंटरनेशनल के डायरेक्टर जॉर्ज चेरियन से चंदन कुमार की बातचीतः
कट्स इंटरनेशनल के डायरेक्टर जॉर्ज चेरियन

-बाजार में उपलब्‍ध खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता से आप कितने संतुष्‍ट हैं?

बिलकुल नहीं, मैं इनकी गुणवत्ता से बिलकुल संतुष्ट नहीं हूं। पैकेटबंद से लेकर हर तरह के खाद्य पदार्थों में मिलावट है। कई तरह के केमिकल या कीटनाशक के अधिक इस्तेमाल वाले अनाज, फल, सब्जी ही मिल रहे हैं।

-अगर इतने व्यापक स्तर पर मिलावट का कारोबार चल रहा है तो आपके हिसाब से इनकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए क्या होना चाहिए?

सबसे बड़ी समस्या है कि कई राज्यों में फूड सेफ्टी कमिश्नर ही नहीं हैं। मेरे हिसाब से इसके लिए जिम्मेदार लोगों की एक अच्छी टीम होनी चाहिए, जो खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को लेकर सही तरीके से काम कर सकें। देश में खाद्य पदार्थों के मानकों को तय करने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय संस्था एफएसएसएआइ कभी जयपुर, कानपुर, लखनऊ जाकर जांच नहीं कर सकती। इसके लिए राज्य सरकार की मशीनरी को ही सक्रिय रूप से काम करना होगा।

-एफएसएसएआइ बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की सेफ्टी के लिए जो कार्रवाई करती है या कदम उठा रही है, उससे कितना संतुष्ट हैं?

इसके लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। हमारे पास अच्छे कानून हैं। एफएसएसएआइ भी इनकी गुणवत्ता को लेकर काम करती है। हमने कई तरह की पहल की है, लेकिन अभी तक उस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए हैं। पहली बात तो यह कि सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर रजिस्टर्ड होने चाहिए। अगर आपका टर्नओवर 12 लाख रुपये से अधिक है तो लाइसेंस की जरूरत पड़ती है। इस पर 2012 में चर्चा की गई थी और दो साल के भीतर लक्ष्य हासिल कर लेना था, लेकिन आज 2018 तक हम 50 फीसदी काम ही कर सके हैं। अगर ये रजिस्टर्ड नहीं होंगे तो खाद्य पदार्थों में मिलावट या खराबी है तो उसे कहां बनाया गया, कहां पैकेजिंग हुई, इसका पता लगाना मुश्किल हो जाएगा।

-बाजार में उपलब्ध अनसेफ फूड की मुख्य वजहें क्या हैं?

अनसेफ कुछ भी हो सकता है। विभिन्न इलाकों में अवैध तरीके से पानी की बोतल बनाने वाली तीन हजार से अधिक बॉटलिंग यूनिट काम कर रही हैं। ये मानक निर्धारण करने वाली आइएसआइ के लोगो का गलत इस्तेमाल कर पानी या सामान बेच रहे हैं। अगर कोई आइएसआइ लोगो का दुरुपयोग कर रहा है तो इसके लिए कहां कोई कदम उठा रहा है। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यहां तक कि गलत विज्ञापनों के जरिए भी एफएसएसएआइ को धोखा दिया जा रहा है।

-एफएसएसएआइ से आप किस तरह की जवाबदेही की उम्मीद करते हैं?

मुझे नहीं लगता कि मौजूदा कानून के हिसाब से एफएसएसएआइ कुछ कर सकती है। उसे और मजबूत करने की जरूरत है। फिर भी एफएसएसएआइ एक रेगुलेटर के तौर पर कार्रवाई करे तो उसके पास पर्याप्त अधिकार होने चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय इसके लिए जिम्मेदार है और उसे राज्यों को कदम उठाने के लिए कहना चाहिए।

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