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इन 5 वजहों से मर रही है नैनीताल की नैनीझील, सबसे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार

हर बढ़ते दिन के साथ नैनीताल की नैनीझील का जलस्तर कम होता जा रहा है। अब सवाल उठ रहा है, क्या एक दिन यह खबसूरत झील मैदान में तब्दील हो जाएगी। घूमा फिर कर ये पांच वजह हैं, जिनके कारण नैनी झील संकट में है।
इन 5 वजहों से मर रही है नैनीताल की नैनीझील, सबसे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार

सूखा ताल को सुखाया

नैनीताल के लिए नैनी झील प्राण वायु की तरह है। लेकिन यही बात शायद यह शहर समझ नहीं पाया। जिस सूखा ताल से नैनी झील को पानी मिलता रहा है, अब वह भी कंक्रीट कें जंगल की चपेट में है। नैनीझील का 50 फीसदी पानी इसी सूखा ताल से आता है। यह जानते हुए भी स्थानीय प्रशासन ने सूखाताल के आसपास हो रहे निर्माण कार्यों की तरफ से जैसे आंखें ही बंद कर ली है।

पानी की खपत बढ़ी तीन गुणा

नैनीझील से पहले के मुकाबले अब तीन गुना पानी लिया जा रहा है। पहले के सालों में नैनीताल शहर के लिए झील से 5-6 एमएलडी (मिलियन लिटर पर डे) पानी लिया जाता था। लेकिन अब यह करीब तीन गुणा बढ़कर 15-16 एमएलडी हो गई है। जाहिर है झील इतना दबाव कैसे सहन कर सकती है।  

चेक  डैम

इसके अलावा नैनीझील में गिरने वाला मलबा चैक डैम से नहीं रोका जा रहा है। नतीजा नैनीझील की गहराई कम होती जा रही है। मलबा और गंदगी सीधे नैनीझील में जा रही है। इससे झील अपना इकोलॉजिकल संतुलन खतरे में पड़ता है।

भ्रष्टाचार

ऐसा नहीं कि नैनी झील के संरक्षण के लिए कायदे कानून नहीं है, लेकिन इसके बावजूद झील से लगे इलाके मे अवैध निर्माण रुक नहीं रहा है। जहां-जहां नैनी झील को प्राण वायु मिलती है, अवैध निर्माण से उसका गला घोटा जा रहा है। कुकरमुत्तों की तरह रातों रात उग रहे इस निर्माण की वजह है भ्रष्टाचार। शक्ति से नियम कायदों को पालन नहीं हो रहा है। अगर ऐसा होता तो फिर यह नौबत न आती।

पर्यटन व्यवसाय का फल-फूलना

लोगों की आय बढ़ने के साथ-साथ पर्यटन व्यवसाय ने रफ्तार पकड़ी है। नैनीताल आने वाले पर्यटकों की तादाद हर साल बढ़ती ही जा रही है। पर्यटकों की बढ़ती भीड़ की जरूरतें पूरी करने में नैनीताल शहर कम पड़ता जा रहा है। इसके अलावा झील और झील के आसपास भी पर्यटकों की गतिविधियां झील पर बोझ बनती जा रही है।

इस साल अच्छी बारिश के बावजूद नैनीझील का सूखना चिंता का विषय है। उम्मीद की जानी चाहिए झील को बचाने के लिए आम जन के साथ-साथ स्थनीय प्रशासन और सरकार एक जुट होकर काम करेंगे। 3 जून को झील के संरक्षण के लिए नैनीताल में नंगे पांव वॉक करना संभवत: इस दिशा में एक रचनात्क कदम साबित होगा।  

 

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