Advertisement

एमपी: कोरोना काल में भी राशन घोटाला, इंदौर में खाद्य अधिकारी समेत 31 लोगों पर एफआईआर

कोरोना जैसे संकटकाल में भी अधिकारी घोटाला करना नहीं भूले। इस दौरान उन्होंने गरीबों के राशन पर ही डाका...
एमपी: कोरोना काल में भी राशन घोटाला, इंदौर में खाद्य अधिकारी समेत 31 लोगों पर एफआईआर

कोरोना जैसे संकटकाल में भी अधिकारी घोटाला करना नहीं भूले। इस दौरान उन्होंने गरीबों के राशन पर ही डाका डाल दिया। वो राशन जो कोरोना के समय गरीबों को खाने के लिए वितरित किया जाना था, वह गरीबों तक पहुंचा ही नहीं। खाद्य अधिकारी ने उचित मूल्य की दुकानें चलाने वालों के साथ मिलकर बाजार में बेच दिया। इस मामले में खाद्य अधिकारी सहित 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, वहीं सरगना पुलिस भरत दवे गिरफ्त में है और तीन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई की गई है

जिला प्रशासन के अनुसार भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे जो कि इस पूरे घोटाले के सरगना हैं और मास्टर माइंड भी, उनके सहयोग से उनके परिचितों द्वारा शासकीय उचित मूल्य दुकानों अर्थात राशन दुकानों का संचालन किया जा रहा था, जिसमें सामग्री का वितरण नहीं हुआ और अगर वितरित हुआ भी तो कम मात्रा में इसकी लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इस संबंध में 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया तथा इनकी जांच हेतु अनुविभागीय दंडाधिकारियों के नेतृत्व में दल भी गठित किए गए, इनके द्वारा 12 जनवरी को शासकीय उचित मूल्य दुकानों के मौका मुआयना किया गया। उनके रिकॉर्ड और पीएसओ मशीन ली गईं। साथ ही दुकानों पर उपलब्ध सामग्री का सत्यापन किया गया, इस जांच में कई गड़बड़ियां पाई गई।

जांच में सामने आया कि दो लाख 55 हजार 480 किलो खाद्यान्न जिसका मूल्य लगभग 80 लाख था, उसका गबन किया गया, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता था। यह राशन 51 हजार से ज्यादा हितग्राहियों के हिस्से का था, जिससे उन्हें वंचित रहना पड़ा। मिट्टी का तेल, नमक, शक्कर, चना, साबुत दाल, तुवर दाल इत्यादि का भी गबन किया गया। इस गड़बड़ी के कारण कोरोना जैसी विपत्ति के समय में 51 हजार परिवारों को अनाज जैसी प्राथमिक आवश्यकता से वंचित किया गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad