एक और अखंड भारत के निर्माण में सरदार साहब का योगदान पीढ़ियों तक अमर रहेगा: उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन:-
- एकता पदयात्रा भारत की अमर आत्मा का उत्सव, जिसमें एकता, कर्तव्य और राष्ट्र निर्माण की भावना का समन्वय हुआ
- देश की 65 फीसदी आबादी युवा : ‘यूथ पावर’ देश की ऊर्जा, प्रतिभा और आकांक्षाओं का अद्वितीय स्रोत
- एकता पदयात्रा देश के जन और मन को जोड़ने का माध्यम बनी
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सशक्त भारत’ की भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने का आह्वान किया
बारडोली सत्याग्रह ने सरदार साहब को देश भर में मजबूत और कद्दावर जननेता के रूप में स्थापित किया: राज्यपाल आचार्य देवव्रत
प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर देश को एक और अखंड करने के संकल्प को साकार किया है: मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल
‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा सच्चे अर्थ में ‘विचार की यात्रा’ बनी: केंद्रीय खेल एवं युवा मामले मंत्री डॉ. मनसुखभाई मांडविया
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में करमसद से एकता नगर तक चले यूनिटी मार्च का समापन समारोह आयोजित
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केंद्रीय मंत्री श्री मनसुखभाई मांडविया सहित मंत्रियों की विशेष उपस्थिति
लौह पुरुष, देश के प्रथम गृह मंत्री, भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में उन्हें स्मरणांजलि देने के लिए करमसद से शुरू हुई ‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा 11 दिनों के परिभ्रमण के बाद शनिवार को एकता नगर स्थित सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परिसर में समाप्त हुई। एकता पदयात्रा के समापन समारोह में उपस्थित उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने इस पदयात्रा को भारत की अमर आत्मा का उत्सव करार दिया। उन्होंने गर्व से कहा कि एकता पदयात्रा देश के जन एवं मन को जोड़ने का माध्यम बनी है, जिसमें एकता, कर्तव्य और राष्ट्र निर्माण की भावना का समन्वय देखने को मिला।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि सरदार पटेल हमारे श्रेष्ठ राष्ट्रीय नायक थे, जिन्होंने कुशल नेतृत्व प्रदान कर 560 से अधिक रियासतों को एकीकृत किया। एक और अखंड भारत के निर्माण में सरदार साहब का योगदान पीढ़ियों तक अमर रहेगा।
उन्होंने गौरव से कहा कि देश भर में 1300 से अधिक पदयात्राओं में 14 लाख से अधिक युवाओं की भागीदारी यह सिद्ध करती है कि सरदार पटेल द्वारा प्रज्वलित की गई एकता की ज्योति आज भी जल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरदार साहब से जुड़ी इस पदयात्रा ने पूरे देश में एकता, भाईचारे और एक भारत, श्रेष्ठ भारत, आत्मनिर्भर भारत का संदेश फैलाया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरदार साहब ने अपने सादगीभरे व्यक्तित्व से दुनिया को संदेश दिया था कि “एग्रीकल्चर इज अवर कल्चर” यानी कृषि ही हमारी संस्कृति का मूल है, और यही हमारी पहचान है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोकर भारत को एक, अखंड और मजबूत बनाया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात दुनिया को अहिंसा और सत्य का मार्ग बताने वाले महात्मा गांधी जी, देश को एकता के सूत्र में बांधने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल और विकास को राष्ट्रीय आंदोलन बनाने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की जन्मभूमि है। देश के किसी भी कोने में ‘केम छो?’ कहने पर, प्रत्युत्तर में ‘मजा मां!’ सुनने को मिलता है, यह भावना गुजरात की प्रगतिशील विचारधारा और प्रधानमंत्री के लोकप्रिय नेतृत्व का प्रतिबिंब है।
श्री राधाकृष्णन ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में आर्थिक, सामाजिक, सैन्य और विदेश नीति तथा रणनीति जैसे अनेक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। नारी शक्ति वंदन कानून ने स्त्री सशक्तिकरण से आगे बढ़कर वुमन-लेड डेवलपमेंट यानी महिलाओं के नेतृत्व में विकास का युग शुरू किया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में चार नई श्रम संहिताएं (लेबर कोड्स) लागू की हैं, जो न्यायपूर्ण, सर्वसमावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण के संकल्प को मजबूत आधार देती हैं। ये श्रम संहिताएं देश के श्रमिक वर्ग के लिए समानता और सम्मान का पथ प्रशस्त करेंगी।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जी का मजबूत, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में तेजी से साकार हो रहा है। सरदार साहब के आदर्श विचारों की विरासत आज आत्मनिर्भर भारत और ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प में नजर आती है।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं को ड्रग्स के शिकंजे में कभी न फंसने की सीख देते हुए कहा कि युवा शक्ति देश का भविष्य है। देश की 65 फीसदी आबादी युवा है और ‘यूथ पावर’ देश की ऊर्जा, प्रतिभा और आकांक्षाओं का अद्वितीय स्रोत है, ऐसे में उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे खेल, सामाजिक दायित्व और संस्कारपूर्ण व्यवहार के माध्यम से बदलते समय में अपनी क्षमताओं को विकास की दिशा में मोड़ें।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत, सशक्त भारत’ की भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि बारडोली सत्याग्रह ने सरदार साहब को देश भर में मजबूत और कद्दावर जननेता के रूप में स्थापित किया। वल्लभभाई पटेल ने अंग्रेजों की अन्यायपूर्ण कर वृद्धि (लगान वृद्धि) के खिलाफ आंदोलन का आगे बढ़कर नेतृत्व किया। उस समय वे एक सफल वकील थे और आरामदायक जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने देश सेवा के लिए अपनी वकालत छोड़ दी।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल जी ने बारडोली के गांव-गांव में घूमकर किसानों को इकट्ठा किया, उनमें आत्मविश्वास जगाया और उन्हें एकता के सूत्र में बांधने का भगीरथ कार्य किया था। ऐसे मुश्किल वक्त में सरदार पटेल ने सफल सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया। किसानों की इस जीत और उनके नेतृत्व के कारण ही वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ का सम्मानित नाम मिला।
राज्यपाल ने कहा कि एकता नगर में सरदार साहब की दुनिया की सबसे विराट प्रतिमा का निर्माण करवाकर उन्हें देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बनाया है। देश भर में आयोजित पदयात्राएं सरदार साहब के जीवन आदर्शों और सत्कार्यों से नई ऊर्जा प्राप्त करेंगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के शिल्पी लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के समारोह का वर्ष पूरे देश में राष्ट्र गौरव को उजागर करने वाला एक ऐतिहासिक वर्ष बन गया है। यह वर्ष राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ, भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती तथा सरदार साहब की विचारधारा के वैश्विक प्रचार-प्रसार का प्रेरणास्रोत बन रहा है।
उन्होंने देश की एकता के शिल्पी सरदार साहब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत एक सक्षम राष्ट्र के रूप में खड़ा है, यह सरदार पटेल की राजनीति, हिम्मत और मजबूत इच्छाशक्ति का नतीजा है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि डॉ. बाबासाहब अंबेडकर द्वारा दिया गया संविधान हमारे राष्ट्र के बंधुत्व के संकल्प का प्रतीक है। 26 नवंबर को संविधान अंगीकार दिवस से शुरू हुए इस राष्ट्रीय यूनिटी मार्च का डॉ. बाबासाहब की पुण्य तिथि-परिनिर्वाण दिवस पर पूर्ण होना अपने आप में एक अनोखा और प्रेरणादायी संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नारे ‘एक देश, एक विधान, एक प्रधान और एक निशान’ को स्थापित करने के संकल्प को जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर साकार किया है। प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए गुजरात के केवड़िया में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण कराया है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि युवा शक्ति विकसित भारत के निर्माण की मजबूत नींव है। इस यूनिटी मार्च में जुड़े युवाओं में अदम्य ऊर्जा और प्रेरणा देखने को मिली है। बिना थके, लगातार चलते रहने वाले युवाओं की इस यात्रा को ‘सकारात्मक कदम’ भी कहा जा सकता है। यात्रा के दौरान सरदार वंदना और राष्ट्रभक्ति के रंगों के साथ-साथ स्वच्छता, एक पेड़ मां के नाम जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा दिए गए आयामों को युवा शक्ति ने हृदय से चरितार्थ किया है। एकता का, समरसता का और सामूहिक विकास का भाव हर क्षण दिखाई दिया है।
समापन अवसर पर मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि हम सभी को सरदार साहब के ‘राष्ट्र प्रथम’ के सिद्धांत को हृदय में रखकर देश के विकास के पथ पर अडिग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत@2047’ के राष्ट्रीय संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिबद्धता, कार्यशीलता और एकता की भावना के साथ आगे बढ़ना मौजूदा दौर की मांग है।
केंद्रीय खेल एवं युवा मामले मंत्री डॉ. मनसुखभाई मांडविया ने कहा कि यह पदयात्रा सरदार साहब के पैतृक गांव करमसद से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (एकता नगर) तक 150 किलोमीटर की इस पदयात्रा के अंतिम चरण में उन्होंने स्वयं चार दिनों तक भाग लिया। उन्होंने कहा कि 150 स्थायी पदयात्रियों के साथ देश भर से असंख्य युवा और महिलाएं तथा गुजरात के कोने-कोने से हजारों युवा अपनी क्षमता के अनुसार एक, दो या तीन दिनों के लिए इस यात्रा में शामिल हुए, जिसके कारण यह पदयात्रा सच्चे अर्थ में ‘विचार की यात्रा’ बन गई है।
श्री मनसुखभाई ने यात्रा के दौरान जनता के उत्साहपूर्ण समर्थन का उल्लेख करते हुए कहा कि पदयात्रा जहां से भी गुजरी, वहां जनता ने जोश-खरोश के साथ स्वागत किया। बड़ी संख्या में लोग पदयात्रा में स्वतःस्फूर्त शामिल हुए हैं। किसानों ने भी इस यात्रा में अनोखा योगदान दिया है। उन्होंने अपने खेतों में पके केले और अमरूद आदि पदयात्रियों को खिलाकर उनका स्वागत किया। इस पदयात्रा के दौरान किसानों ने रास्ते में प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन कर ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश फैलाया। यह पदयात्रा राष्र् को एकता यात्रा के रूप में संदेश दे रही है और प्रधानमंत्री के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के स्वप्न को साकार कर रही है।
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने स्वदेशी अपनाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण की शपथ ली।
उल्लेखनीय है कि ‘सरदार@150’ राष्ट्रीय एकता पदयात्रा 26 नवंबर को सरदार साहब के जन्म स्थान करमसद से शुरू हुई थी। 11 दिनों तक चली यह यात्रा आणंद के अलावा वडोदरा, नर्मदा जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिभ्रमण करने के बाद 6 दिसंबर को नर्मदा जिले के एकता नगर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंची। राष्ट्रीय यूनिटी मार्च में जुड़े ऊर्जावान युवाओं, महानुभावों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्था के लोगों, स्वयंसेवकों और स्थानीय नागरिकों ने आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए जन-जन तक एकता का संदेश पहुंचाया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा खडसे, केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, स्वराज आश्रम-बारडोली की ट्रस्टी निरंजनाबेन कलार्थी, सांसद श्री मनसुखभाई वसावा और जशुभाई राठवा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री भीमसिंहभाई तड़वी, विधायक डॉ. दर्शनाबेन देशमुख सहित जिला प्रशासन के अधिकारी, पदयात्री और बड़ी संख्या में सरदार प्रेमी नागरिक उपस्थित रहे।