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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरक उपस्थिति में एकता नगर में राष्ट्रीय एकता दिवस का शानदार समारोह

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में देशभक्ति के जोश के साथ अर्धसैनिक बलों की विभिन्न टुकड़ियों...
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरक उपस्थिति में एकता नगर में राष्ट्रीय एकता दिवस का शानदार समारोह

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में देशभक्ति के जोश के साथ अर्धसैनिक बलों की विभिन्न टुकड़ियों द्वारा दमदार परेड

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी:-

  • यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है, सुरक्षा तथा सम्मान के लिए कभी समाधान नहीं करता है
  • देश की एकता व अखंडता के लिए चार स्तंभों पर आधारित सरकार द्वारा जन-जन को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है
  • जब तक देश नक्सलवाद-माओवाद के आतंक से पूरी तरह मुक्त न हो, तब तक यह सरकार शांत नहीं बैठेगी
  • समग्र देश में करोड़ों लोगों ने आज एकता की शपथ ली है, जो देश की एकता को प्रोत्साहन देने के संकल्प का प्रतीक है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरक उपस्थिति में शुक्रवार को एकता नगर में लौह पुरुष तथा अखंड भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का शानदार समारोह आयोजित हुआ। सरदार साहब की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में देशभक्ति के जोश-उत्साह के साथ अर्धसैनिक बलों की विभिन्न टुकड़ियों द्वारा दमदार परेड आयोजित की गई। प्रधानमंत्री ने भारत माता की भक्ति को देश के प्रत्येक नागरिक की सबसे बड़ी पूजा बताते हुए कहा कि देश की एकता व अखंडता के लिए चार स्तंभों पर आधारित सरकार द्वारा जन-जन को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में पाद-पूजन कर राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह का प्रारंभ कराया।

‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को मजबूत करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एकता राष्ट्र एवं समाज के अस्तित्व की मूल आधार है। जब तक समाज में एकता है, तब तक राष्ट्र की अखंडता सुरक्षित है। विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पहुँचने के लिए एकता तोड़ने वाले हर षड्यंत्र को एकता की शक्ति से विफल बनाना होगा। भारत की एकता के चार मजबूत आधार स्तंभ हैं, जिसमें पहला स्तंभ है सांस्कृतिक एकता, जो हजारों वर्षों से राजनीतिक परिस्थितियों से अलग भारत को एक चेतना राष्ट्र बनाती है।

उन्होंने कहा कि भारत की एकता का दूसरा स्तंभ भाषा की एकता है, जहाँ सैकड़ों भाषाएँ तथा बोलियाँ देश के स्वाभिमान, रचनात्मक विचारधारा और विविधता की जीवंत प्रतीक हैं। किसी समाज, सत्ता या संप्रदाय ने कभी भी भाषा को हथियार बनाकर एक पर थोपने का प्रयास नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता का तीसरा स्तंभ भेदभावमुक्त विकास है। गरीबी तथा भेदभाव सामाजिक ताने-बाने की सबसे बड़ी कमजोरी हैं। सरदार पटेल गरीबी के विरुद्ध दीर्घकालीन योजना पर काम करना चाहते थे और कहते थे कि अगर आजादी 10 वर्ष पहले मिली होती, तो 1947 तक भारत खाद्य समस्या के संकट से मुक्त हो गया होता। सरदार पटेल ने रजवाड़ों के विलय जैसी चुनौती की समस्या को जैसे सुलझाया, वैसे अनाज की किल्लत की चुनौती की समस्या भी हल की होती। इस सरकार ने सरदार साहब के अधूरे संकल्प को पूरा कर एक दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता का चौथा व अंतिम स्तंभ कनेक्टिविटी – दिलों का जुड़ाव है, जो आधुनिक भारत को विश्व के केन्द्र में ला रहा है। रिकॉर्ड हाईवे-एक्सप्रेसवे, वंदे भारत तथा नमो भारत जैसी ट्रेनों द्वारा रेल को ट्रांसफॉर्म कर, छोटे शहरों को एयरपोर्ट्स से जोड़कर उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक की दूरियाँ कमी की गई हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल इतिहास लिखने में समय व्यय करने के स्थान पर इतिहास बनाने पर मेहनत करने के हिमायती थी, जिन्होंने नीतियों एवं निर्णयों द्वारा आजादी के बाद 550 से अधिक रजवाड़ों को एकसूत्र में बांधकर देश को एक बनाया था। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का विचार उनके लिए सर्वोपरि था। श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार की कार्यनीति में भारत की एकता-अखंडता का यह विचार मुख्य स्थान पर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस एकता का महापर्व है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस तथा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में गौरवपूर्वक मनाते हैं, उसी प्रकार यह (एकता) दिवस प्रेरणा, गर्व एवं संकल्प का पवित्र पल है। समग्र देश में करोड़ों लोगों ने आज देश की एकता की शपथ ली है, जो देश की एकता को प्रोत्साहन देने के संकल्प का प्रतीक है।

एकता नगर में एकता मॉल तथा एकता गार्डन जैसे प्रयासों के उल्लेख के साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की एकता को नुकसान पहुंचाएं, ऐसी बातों या विचारों से दूर रहना चाहिए। यह केवल राष्ट्रीय कर्तव्य ही नहीं, बल्कि सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि भी है। भारत माता की भक्ति देश के प्रत्येक नागरिक के लिए सबसे बड़ी पूजा है और आज के युग में देश की यह जरूरत है, जो प्रत्येक भारतीय के लिए संदेश, संकल्प तथा कार्यपथ का मार्गदर्शन करती है।

देश की संप्रभुता को ही अपना एक मात्र लक्ष्य मानने वाले सरदार पटेल की नीतियों की याद दिलाते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरदार पटेल के निधन के बाद के वर्षों में तत्कालीन सरकारों में यह गंभीरता तथा अडिगता कम रही थी। कश्मीर में हुई भूलें, पूर्वोत्तर में उत्पन्न हुई समस्याएँ तथा देशभर में फले-फूले नक्सलवाद, माओवाद व आतंकवाद देश की संप्रभुता के लिए चुनौती समान थे, परंतु तत्कालीन सरकारों ने सरदार पटेल की नीतियों का अनुकरण करने के स्थान पर देश की संप्रभुता के प्रति अनदेखी की, जिसके विपरीत परिणाम हिंसा, रक्तपात तथा देश के विभाजन के रूप में देश ने भोगे।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल अखंड भारत के निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत रहे। कश्मीर समस्या के निराकरण के लिए सरदार साहब द्वारा दिए गए सुझावों पर यदि अमल किया जाता, तो आज संपूर्ण कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होता। लेकिन, तत्कालीन सरकार ने उनकी यह इच्छा पूरी नहीं होने दी।

उन्होंने कहा कि कश्मीर को अलग विधान और अलग निशान देकर विभाजित किया गया, जो तत्कालीन सरकार की कमजोर नीतियों का परिणाम था। इस गलती की आग में देश दशकों तक सुलगता रहा, क्योंकि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया और वहां से राज्य-प्रायोजित आतंकवाद को हवा मिली, जिसकी कीमत देश ने अनेक जानें और संसाधनों के रूप में चुकाई।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सरदार पटेल के एक भारत के विजन को भुला दिया था, लेकिन 2014 के बाद पूरे देश ने उनकी प्रेरणा से अडिग इच्छाशक्ति का अनुभव किया है। अनुच्छेद 370 की बेड़ियों को तोड़कर कश्मीर को पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल किया गया है। इसके कारण पाकिस्तान और आतंक के आकाओं को भारत की असली क्षमता का पता चल गया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि यदि कोई भारत की ओर आंख उठाने की जुर्रत करेगा, तो भारत उसका मुंहतोड़ जवाब देगा। भारत हर बार पहले से कहीं बड़ा और निर्णायक जवाब देता है। यह लौह पुरुष सरदार पटेल का भारत है, जो अपनी सुरक्षा और सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं करता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में पिछले 11 वर्षों में भारत की सबसे बड़ी सफलता नक्सलवाद-माओवाद आतंक की कमर तोड़ना रही है। 2014 से पहले नक्सली देश के अंदर से ही अपनी हुकूमत चलाते थे, संविधान का पालन नहीं होता था, पुलिस-प्रशासन लाचार नजर आता था, सड़कें, स्कूल और अस्पतालों पर हमले होते थे और नए फरमान जारी होते थे। लेकिन, इस सरकार ने उन पर प्रचंड प्रहार किया, अर्बन नक्सलों और उनके समर्थकों को मुंहतोड़ जवाब दिया। वैचारिक लड़ाई जीती और नक्सली इलाकों में जाकर उन्हें मात दी गई।

एकता नगर की धरती से सरदार पटेल के सान्निध्य में प्रधानमंत्री ने दृढ़संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक देश नक्सलवाद-माओवाद के आतंक से पूरी तरह से मुक्त नहीं होगा, तब तक यह सरकार रुकेगी नहीं।

उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को घुसपैठियों से भी बड़ा खतरा है। दशकों से ये विदेशी घुसपैठिये देश में घुसकर देशवासियों के संसाधनों पर कब्जा जमाते हैं, डेमोग्राफी का संतुलन बिगाड़ते हैं और एकता पर प्रहार करते हैं। भूतकाल की सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के लिए आंखें मूंद रखी थीं। लेकिन, अब पहली बार देश ने इस बड़े खतरे के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प किया है और लाल किले से ‘डेमोग्राफी मिशन’ का ऐतिहासिक ऐलान भी किया है।

इस विषय को गंभीरता से उठाते हुए प्रधानमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि कई लोग देशहित पर निजी हित को प्राथमिकता देकर घुसपैठियों को अधिकार दिलाने के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अतीत की तरह देश में फिर से विभाजन हो जाए। लेकिन सच्चाई यह है कि यदि देश की सुरक्षा और पहचान खतरे में पड़ेगी, तो प्रत्येक व्यक्ति खतरे में होगा। इसलिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर फिर से संकल्प लें कि हम भारत में रहने वाले प्रत्येक घुसपैठिये को बाहर निकालकर ही रहेंगे, ताकि राष्ट्र की अखंडता और अस्तित्व को मजबूत कर सकें।

श्री मोदी ने कहा कि अतीत की सरकारों ने देश की विभुतियों को अपमानित किया था। इस सरकार ने उन्हें सम्मान देने का महाकार्य किया है। उनके स्मारक बनाकर यथोचित सम्मान भी दिया है। अंग्रेजों से विरासत में मिली गुलामी की मानसकिता को बदल दिया है।

सरदार पटेल की भावना को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें सबसे अधिक खुशी देश के लिए काम करने में मिलती थी, और आज भी यही आह्वान है – मां भारती की साधना प्रत्येक देशवासी की सबसे बड़ी आराधना है। जब 140 करोड़ भारतवासी एक साथ खड़े होते हैं, तो पहाड़ भी रास्ता दे देते हैं, जब एक स्वर में बोलते हैं, तो वे शब्द भारत की सफलता का उद्घोष बन जाते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि हम बंटेंगे नहीं, कमजोर नहीं पड़ेंगे, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत कर विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करेंगे।

प्रधानमंत्री ने एकता परेड के बाद मार्ग पर निकलकर उपस्थित लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।

इस अवसर पर सांसद, विधायक और मुख्य सचिव सहित कई उच्च अधिकारी और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे।

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