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पहले सेमीफाइनल में भारत, न्यूजीलैंड आमने-सामने, जानिए कौन किस पर भारी

वर्ल्ड कप के अब तक के अपने सफर में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली है।...
पहले सेमीफाइनल में भारत, न्यूजीलैंड आमने-सामने, जानिए कौन किस पर भारी

वर्ल्ड कप के अब तक के अपने सफर में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली है। टीम इंडिया ने लीग मैचों में महज एक में हार का सामना करते हुए अंक तालिका में शीर्ष पर रहते हुए अंतिम चार में जगह बनाई है। अब सेमीफाइनल में भारत और न्यूजीलैंड की टीमें मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर भिड़ने को तैयार हैं। 

अभी तक दोनों के बीच नहीं हुआ है मुकाबला

टीम इंडिया की बात करें तो नौ मैचों में से उसने सात में जीत हासिल की है। इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले उसे 31 रनों से हार का सामना करना पड़ा था और न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच बारिश में धुल गया था। यानी अब तक भारत केवल न्यूजीलैंड के खिलाफ नहीं खेली है। इस तरह से भारतीय टीम के कुल 15 अंक हैं। भारत के साथ अच्छी बात यह है कि उसने ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को भी जोरदार शिकस्त दी थी। लेकिन तीन मैचों में हार झेल कर सेमीफाइनल में पहुंची न्यूजीलैंड के मुकाबले टीम इंडिया मजबूत स्थिति में होगी। भारत और न्यूजीलैंड की टीमें पहली बार सेमीफाइनल में आमने-सामने होगी। न्यूजीलैंड इकलौती ऐसी टीम है जिसके खिलाफ भारतीय टीम इस वर्ल्ड कप में नहीं खेली।

विश्व कप में रिकॉर्ड

भारत की अगर बात करें तो विश्व कप में उसका रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के खिलाफ ज्यादा अच्छा नही रहा है। इससे पहले विश्व कप के इतिहास में भारत और न्यूजीलैंड की टीमें कुल सात बार आमने-सामने रही हैं। इस दौरान दोनों के बीच मुकाबलों में न्यूजीलैंड हावी रही है। न्यूजीलैंड ने जहां चार मुकाबले जीते हैं वहीं टीम इंडिया ने तीन मैचों में बाजी मारी है। वर्ल्ड कप में दोनों टीमें आखिरी बार 16 साल पहले 2003 में आमने-सामने थी जिसमें भारत को सात विकेट से जीत मिली थी। इस मैच में जहीर खान को 4-42 की शानदार गेंदबाजी के लिए मिला मैन ऑफ द मैच दिया गया था।

सेमीफाइनल में किसका रहा है दबदबा

वहीं अगर बात करें दोनों टीमों की वनडे में ओवरऑल भिड़ंत की तो भारत का पलड़ा भारी रहा है। अब तक भारत और न्यूजीलैंड के बीच 106 वनडे मुकाबले खेले गए हैं, जिनमें भारत ने 55 और न्यूजीलैंड ने 45 जीते हैं। एक मुकाबला टाइ रहा तो वहीं पांच मैचो के परिणाम नहीं आए हैं। साथ ही आपको यह भी बतां दे कि भारत अब तक विश्व कप इतिहास में छह बार सेमीफाइनल में पहुंचा हैं, जिसमें से उसे तीन में हार और तीन में जीत मिली है। यानी अगर भारत के सक्सेस रेट की बात करें तो वो 50 फिसदी है। वहीं अगर बात करें न्यूजीलैंड की तो उसने सात बार सेमीफाइनल में शिरकत की है, जिसमें उसे केवल एक में जीत और छह में हार का सामना करना पड़ा है। तो ऐसे में भारत का पलड़ा स्पष्ट रूप से भारी दिख रहा है।

भारतीय टीम के मजबूत व कमजोर पक्ष

दूसरी तरफ अगर बात करें दोनों टीमों के मजबूत व कमजोर पक्ष की तो भारतीय टीम के पास बेहतरीन बल्लेबाजी इकाई है। रोहित शर्मा की रिकॉर्डतोड़ बल्लेबाजी इस टूर्नामेंट में भारत का सबसे दमदार पहलू रहा है। हिटमैन पांच सेंचुरी और एक हाफ सेंचुरी समेत लीग राउंड तक 647 रन के साथ टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर हैं। वहीं भले ही विराट कोहली अब तक शतक नहीं बना पाए हों, मगर लगातार अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं। उन्होने पांच अर्धशतकों के साथ 442 रन बनाए हैं। केएल राहुल भी एक शतक और दो अर्धशतक की मदद से 360 रन जुटा चुके हैं और अब फार्म में नजर आ रहे हैं। जो भारतीय टॉप ऑर्डर को बेहद मजबूत बनाता है। जसप्रीत बुमरा, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार की तिगड़ी भी तेज आक्रमण में कमाल कर रही है और साथ ही युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की स्पिन जोड़ी ने भी विपक्षी टीम को खासा परेशान किया है।

वहीं कमजोरी की बात करें तो मिडल ऑर्डर भारत की एक बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। मध्य क्रम में धोनी, केदार जाधव, हार्दिक पंड्या, दिनेश कार्तिक, विजय शंकर से लेकर ऋषभ पंत खेल चुके हैं, लेकिन उलझनें अब भी कायम हैं। खुद माही का स्लो स्ट्राइक रेट सवालों के घेरे में आ गया। इंग्लैंड के खिलाफ मैच में भी आखिरी ओवरों में टीम की यही कमजोरी दिखी। 

न्यूजीलैंड के मजबूत व कमजोर पक्ष

न्यूजीलैंड का सबसे मजबूत पक्ष हैं उसकी तेज गेंदबाजी। लॉकी फर्ग्युसन (7 मैच में 17 विकेट), ट्रेंट बोल्ट (8 मैचों में 15 विकेट) और जेम्स नीशम (8 मैचों में 11 विकेट) के रूप में कीवियों के पास खौफनाक तेज गेंदबाजों का ऐसा लाइनअप है जिससे भारतीय बल्लेबाजी क्रम को संभलकर रहना होगा। इंग्लिश कंडीशन में इनकी रफ्तार और स्विंग लीग मैचों में अपना असर दिखा चुकी है। साथ ही केन विलियमसन के रूप में एक मजबूत कप्तान और बेहतरीन बल्लेबाज जिन्होने टीम की तरफ से टूर्नामेंट में सर्वाधिक सफल बल्लेबाजी करते हुए दो शतक और एक अर्धशतक समेत 96.20 की ऐवरेज से अब तक 481 रन बनाए हैं। केन के कंधों पर फिर से बल्लेबाजी का सबसे ज्यादा दारोमदार रहेगा। 

वहीं अगर विलियमसन को छोड़ दें तो पूरे टूर्नामेंट ऐसा अन्य कोई बल्लेबाज नहीं है, जो कोई खास कमाल दिखा पाया है। अनुभवी रॉज टेलर (8 मैचों में 261 रन, 37.28) का बल्ला भी लगभग खामोश रहा है। कागज पर भारतीय बल्लेबाजी के सामने कीवी टीम काफी कमजोर नजर आती है। रोहित, विराट, राहुल, धोनी के सम्मिलित रिकॉर्ड के सामने कीवी बल्लेबाजों के आंकड़े कमजोर पड़ जाते हैं।

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