Advertisement

इंटरव्यू | राजनीति का नाम लोकनीति होना चाहिए: विजेंदर सिंह

ओलंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह बॉक्सिंग रिंग से निकल कर अब राजनीतिक अखाड़े में उतर गए हैं। अब देखना यह...
इंटरव्यू | राजनीति का नाम लोकनीति होना चाहिए: विजेंदर सिंह

ओलंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह बॉक्सिंग रिंग से निकल कर अब राजनीतिक अखाड़े में उतर गए हैं। अब देखना यह होगा कि क्या वे अपने सामने खड़े उम्मीदवारों को नॉक आउट कर पाएंगे या नहीं। विजेंदर सिंह को कांग्रेस ने दिल्ली की दक्षिण दिल्ली लोक सभा सीट से टिकट दिया है। उनके सामने बीजेपी के रमेश बिधूड़ी और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा मैदान में हैं। 'आउटलुक' संवाददाता प्रतीक के साथ बातचीत में विजेंदर सिंह ने अपने क्षेत्र की बुनियादी जरूरतों जैसे कि फुटओवर ब्रिज, पानी की समस्या और सड़कों पर फैली गंदगी को अपनी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि अगर वह जीततें हैं तो सबसे पहले इन मुद्दो पर काम करेंगे। विजेंदर सिंह से 'आउटलुक' की बातचीत के मुख्य अंश:

आपका बॉक्सिंग करिअर बहुत शानदार चल रहा है फिर आपने राजनीति में आने का मन क्यों बनाया?

मौजूदा हालात देखकर राजनीति में आया हूं और मुझे लगता है कि इसका नाम राजनीति नहीं लोकनीति होना चाहिए क्योंकि हम लोगों की सेवा करने आते हैं ना कि राज करने। साथ ही उन्होनें कहा मेरा भी एक दायित्‍व बनता है कि मैं लोगों के लिए कुछ कर सकूं। लोगों से मिलकर उनकी समस्‍या दूर करना चाहता हूं। उनके जीवन को सुखद और सरल बनाना ही मेरा उद्देश्य है। साथ ही उन्होनें यह भी उम्मीद जताई कि दक्षिण दिल्ली के लोग उन पर भरोसा करके उन्हे विजयी बनाएंगे।

राजनीति में कदम रखने के लिए कांग्रेस को ही क्यों चुना?

मैं शुरू से ही कांग्रेस की सोच और विचारधारा से बहुत प्रभावित रहा हूं। साथ ही मैं राहुल गांधी जी की एनर्जी और प्रियंका गांधी जी की सादगी और जिस तरह से वो दोनो लोगों के बीच जा कर मिलते हैं, उसका भी कायल हूं। खासकर मैं प्रियंका गांधी से ज्यादा प्रभावित हूं। उनमें उनकी दादी इंदिरा जी की झलक दिखाई देती है। जैसे वो बात करती थीं, लोगों के बीच जाती थीं, हूबहू वैसा ही वे भी करती हैं। हालांकि जब इंदिरा जी थीं तब मैं पैदा भी नहीं हुआ था, लेकिन जितना भी उनके बारे में सुना, पढ़ा और देखा है उनका व्यक्तित्व बहुत महान था।

क्या आपको लगता है कि अब भी मोदी लहर है?

जी नहीं, मुझे नहीं लगता कि देश में किसी भी तरह की मोदी लहर है। आप दक्षिण दिल्ली में जाएंगे तो आपको बस विजेंदर लहर ही दिखेगी। झूठ की राजनीति बंद होनी चाहिए। युवाओं से वादा हुआ था कि उन्‍हें नौकरी मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो फिर ऐसे में मोदी लहर कैसे रह सकती है।

आपके क्षेत्र दक्षिण दिल्ली में कौन सी प्रमुख समस्याएं हैं जिन पर आप सबसे पहले काम करेंगे?

देखिए, में बहुत बड़े-बड़े वादे तो नहीं करूंगा लेकिन मेरे क्षेत्र में जो स्थानीय दिक्कतें हैं, उन्हे जरूर ठीक करूंगा। जैसे कि छतरपुर में एक स्कूल के सामने बना हुआ एक फुटओवर ब्रिज टूटा हुआ था, जिससे स्कूली बच्चों को सड़क पार करने में बड़ी दिक्कत हो रही थी। संगम विहार में पानी की बड़ी किल्लत है और साथ ही सीवरेज की भी दिक्कत है। बदरपुर में सड़कों की सफाई एक अहम मुद्दा है। वहां सड़कों पर इतनी गंदगी है कि आस-पास के दुकानदार चेहरे पर मास्क लगा कर बैठने को मजबूर हैं। दक्षिणी दिल्‍ली में युवाओं को रोजगार की जरूरत है। सीलिंग यहां एक अहम मुद्दा है। महिलाओं की सुरक्षा अहम है। पानी, सीवरेज अभी भी कई जगह नहीं हैं। हर इलाके की समस्‍या इसी तरह से अलग-अलग है।

आप एक खिलाड़ी हैं और अगर आप जीतते हैं तो दक्षिण दिल्ली में खेल सुविधाओं में क्या सुधार करेंगे?

मैं चाहता हूं कि दक्षिणी दिल्‍ली के गांवों और कॉलोनियों में खेल मैदान हो। ऐसे में खेल के लिए सुविधाओं को बढ़ाने की बात करूंगा ताकि खिलाड़ियों की नई पीढ़ी तैयार हो सके। यही मेरा सपना है कि दक्षिणी दिल्‍ली लोकसभा के सभी विधानसभा क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा मिले। मैं यहां पर मुक्केबाजों को ऐसी सुविधाएं देना चाहता हूं कि वे यहां पर ट्रेनिंग कर सकें और यहां पर भी बड़ी-बड़ी फाइटें हों।

आप एक पेशेवर मुक्केबाज हैं तो क्या आप चुनाव के बाद मुक्केबाजी छोड़ देंगे?

जी नहीं, मैं अपनी मुक्केबाजी जारी रखूंगा। उसे कभी नहीं छोडूंगा, मुक्केबाजी से ही मुझे मेरी पहचान मिली है और आज मैं जो भी कुछ हूं वह उसी की वजह से हूं।

आप हरियाणा के हैं लेकिन चुनाव लड़ रहे हैं दिल्ली से। ऐसे में आप पर विपक्षी उम्मीदवार बाहरी होने का ठप्पा लगा रहे हैं?

जो लोग मुझे बाहरी या पैराशूट उम्‍मीदवार कह रहे हैं, उनको पता होना चाहिए कि दक्षिणी दिल्‍ली में ही मेरा घर है। बतौर खिलाड़ी जब हम खेलते हैं तो यह नहीं देखा जाता है कि कौन कहां से है बल्कि यह देखा जाता है कि किसका प्रदर्शन बेहतर है और हम देश के लिए खेलते हैं ना कि किसी एक जगह के लिए। मैं पूरे देश का हूं। 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad