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किदांबी श्रीकांत: कभी बनना चाहता था इंजीनियर, आज है इस मुकाम पर

तारीख 18 जून और दिन था रविवार। सारा देश पूरी तैयारी के साथ आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के फाइनल में होने वाले भारत-पाकिस्तान के मुकाबले पर नजरे गड़ाए बैठा था। मुकाबले के 1 दिन पहले से ही मीडिया और सोशल मीडिया पर इस मैच को लेकर दोनों देशों की तरफ से जंग शुरु हो चुकी थी। ये मुकाबला इंग्लैंड की राजधानी लंदन के ओवल में भारतीय समयानुसार 3 बजे से शुरु होने वाला था।
किदांबी श्रीकांत: कभी बनना चाहता था इंजीनियर, आज है इस मुकाम पर

इसी दिन लंदन में ही कुछ दूरी पर शाम साढे 6 बजे से भारत और पाकिस्तान के बीच एक और मुकाबला होने वाला था लेकिन इस मुकाबले में जंग जैसी कोई बात नहीं होने वाली थी क्योंकि ये मैच हॉकी का था। हॉकी भले ही देश राष्ट्रीय खेल हो लेकिन भारत के लोगों को इसमें ऐसी कोई बात नजर नहीं आती तभी तो इस मैच में भारत से ज्यादा इंग्लैंड के दर्शक मौजूद थे। सही बात ग्लैमर के बिना शायद ही कोई खेल आज के जमाने में भारत में पनप पाए। इसके अलावा इसी दिन लंदन से हजारों मील दूर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भारत-पाकिस्तान के मैच के 1 घंटे पहले ही इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा था। ये फाइनल भारत के किदांबी श्रीकांत और जापान के काजुमासा सकई के बीच हो रहा था। सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर 1 बैडमिंट स्टार दक्षिण कोरिया के सोन वान हो को चित करने वाले श्रीकांत ने 47वीं वर्ल्ड रैंक वाले साकाई को केवल 37 मिनट के भीतर सीधे गेमों में 21-11, 21-19 से मात देकर पहली बार इंडोनेशिया ओपन का खिताब हासिल किया। लेकिन अभी हमारा एक दिन के लिए हॉकी और बैडमिंटन प्रेम जगना बाकी था।

हम आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में पाकिस्तान से हार चुके थे मगर हमने हॉकी में पाकिस्तान को 7-0 और बैडमिंटन में जापान को हरा दिया था और उस दिन हॉकी और बैडमिंटन में मिली जीत ने इस तथाकथित भारत-पाकिस्तान की जंग में साख बचाने का काम किया था। इस जीत के साथ ही किदांबी और हॉकी टीम सोशल मीडिया पर ट्रैंड होने लगे। फाइनल में मिली हार से मायूस क्रिकेट प्रेमी किंदाबी और हॉकी की तारीफ करते नहीं थक रहे थे।

किदांबी ने इतिहास रच दिया

हॉकी में भारत चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को तो कई बार हरा चुका था लेकिन जो किदांबी ने किया था उसने इतिहास रच दिया। वह यह खिताब जीतने वाले भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी बन गए। उनसे पहले सायना नेहवाल महिला एकल में दो बार 2010 और 2012 में यह खिताब जीत चुकी हैं।

इंडोनेशिया ओपन जीतने के 6 दिन बाद ही ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज जीतकर किदांबी ने बैडमिंटन जगत में सनसनी मचा दी। कल तक जिस खिलाड़ी को कोई जानता तक नहीं था हर तरफ उसकी चर्चा हो रही थी। इस जीत की विशेष बात ये थी कि श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में ओलंपिक चैंपियन चीन के चेन लोंग को सीधे सेटों में 22-20, 21-16 से हराया। फाइनल से पहले तक श्रीकांत चीनी सुपरस्टार चेन लोंग से पांच पर भिड़े थे और हर बार उन्हें हार मिली थी। इस जीत के बाद किदांबी लगातार दो सुपर सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष शटलर भी बन गए।

आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्में 24 साल के किदांबी श्रीकांत का यह चौथा सुपर सीरीज खिताब है। उन्होंने पिछले ही हफ्ते इंडोनेशिया ओपन, 2014 में चाइना ओपन और 2015 में इंडिया ओपन सुपर सीरीज खिताब जीते हैं। श्रीकांत ने शानदार प्रदर्शन के दम पर 22 जून को जारी विश्व रैंकिंग में 11 स्थानों की छलांग लगाकर 11वां स्थान हासिल किया था। इस जीत के बाद किदांबी का टॉप-10 रैंकिंग में आना तय है।

...तो इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहे होते

कई साल पहले किदांबी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि यदि वे बैडमिंटन को न चुनते तो इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहे होते। उनकी मां भी चाहती थीं किदांबी इंजिनियर बने पर उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

 

किदांबी के कोच गोपीचंद

किदांबी की इस उपलब्धि में कोच पुलेला गोपीचंद का भी महत्वपूर्ण योगदान है। किदांबी और उनके बड़े भाई नंदगोपाल हैदराबाद स्थित गोपीचंद की अकैडमी में ट्रेनिंग करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि पुलेला गोपीचंद ने बैडमिंटन में जो खिलाड़ी भारत को निखारकर दिये है उसके बदले सरकार से उन्हें वो उचित सम्मान और सुविधायें नहीं मिली जिसके वो असल हकदार हैं।

यह अफसोस की बात है कि कई खेलों में नई-नई भारतीय प्रतिभाएं अपनी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं, पर देश और मीडिया का सारा ध्यान क्रिकेट तक सीमित होकर रह गया है। इसलिए खेल प्रेमी और दर्शकों के लिए एक सुझाव है कि खेल को जंग समझने की बजाय खेल की भावना से देखें तो ज्यादा बेहतर होगा। साथ ही उन खेल और खिलाड़ियों को भी वो सम्मान मिल सकेगा जो उन्हें मिलना चाहिये।

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