Advertisement

दुती चंद के समलैंगिक रिश्तों का 'पॉजिटिव इफेक्ट', ब्रांड्स ने लिया हाथों-हाथ

जब देश की सबसे तेज फर्राटा धाविका दुती चंद ने कुछ दिनों पहले अपने समलैंगिक रिश्तों का खुलासा किया, तो...
दुती चंद के समलैंगिक रिश्तों का 'पॉजिटिव इफेक्ट', ब्रांड्स ने लिया हाथों-हाथ

जब देश की सबसे तेज फर्राटा धाविका दुती चंद ने कुछ दिनों पहले अपने समलैंगिक रिश्तों का खुलासा किया, तो किसी को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि वह सार्वजनिक तौर पर यह कबूलेंगी। ऐसा इसलिए भी कि वह पहली भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने खुलेआम अपने समलैंगिक रिश्तों को सार्वजनिक किया है। इसके लिए उनकी भारत से लेकर दुनिया भर में तारीफ हुई थी। ओडिशा के एक गांव से ताल्लुक रखने वाली लड़़की दुती को अपने निजी जीवन के बारे में इस तरह खुलकर बोलने के ‌लिए हर तरफ से समर्थन मिला।

लेकिन क्या इतना आसान है जो दिखता है, क्योंकि भारत जैसे देश में जहां अदालती फरमान के बावजूद इसे अपराध और असमाजिक संबंध के रूप में देखा जाता है। कयास तो इस बात को लेकर भी लगाए जाने लगे हैं, कि भले ही मार्केट वर्ल्ड दुती के समर्थन में आगे आया है, लेकिन पर्दे के पीछे उनके एंडॉर्समेंट और विज्ञापनों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। वैसे भी इतिहास गवाह है कि जब भी किसी खिलाड़ी ने अपने समलैंगिक रिश्तों को सार्वजनिक किया, उसे समाज के साथ-साथ एंडॉर्समेंट और विज्ञापनों की मार भी झेलनी पड़ी। मसलन, साल 1956 में जन्मीं और अपने टेनिस करिअर में रिकॉर्ड ब्रेकिंग 177 खिताब और 59 ग्रैंड स्लैम जीतने वाली मार्टिना नवरातिलोवा निर्विवादित रूप से अमेरिका की महान एथलीटों में एक मानी जाती हैं। 18 साल की उम्र में जब वह अपने करिअर के उफान पर थीं, तो उन्होंने खुलासा किया कि वह गे यानी समलैंगिक हैं। उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। बतौर खिलाड़ी उन्हें विज्ञापन/एंडॉर्समेंट मिलना कम हो गया और उन्हें लगभग एक करोड़ डॉलर के विज्ञापन से हाथ धोना पड़ा।

इसी तरह, दुनिया की पूर्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बिली जीन किंग 39 से अधिक बड़े खिताब जीत चुकी हैं। लेकिन, 1981 में उन्हें अपने सभी एंडॉर्समेंट कॉन्ट्रैक्ट से हाथ गंवाना पड़ा, क्योंकि उन्होंने कबूल किया था कि वह समलैंगिक हैं। यानी गे प्रोफेशनल के बीच इस तरह से स्पॉन्सर्स गंवाने का खतरा हमेशा से रहा है।

खुद को किया साबित

अब लौटते हैं, दुती चंद पर। क्या दुती चंद के बारे में भी यही कहानी दोहराई जा रही है या तब से लेकर अभी तक वक्त बदल चुका है और हमारा नजरिया भी। ऐसा कहना पूरी तरह तो सही नहीं, लेकिन दुती चंद के बयान से काफी कुछ पता चल जाता है। “मुझे नीचा दिखाओ, मैं और मजबूती से उभरूंगी।” यह बयान किसी और का नहीं, बल्कि 9 जुलाई को इटली के नेपोली में विश्व यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय स्टार फर्राटा एथलीट दुती चंद की है। यह उनके आलोचकों को करारा जवाब है, जिन्होंने समलैंगिक रिश्ता कबूल करने के बाद उनका बोरिया बिस्तर बंधवा दिया था। दुती चंद भारत की पहली महिला/पुरुष एथलीट हैं, जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया कि वह समलैंगिक रिश्तों में हैं। इसका देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से समर्थन मिला और साहसिक कदम करार दिया गया। चंद को पारंपरिक और सोशल मीडिया से समर्थन मिला। हालांकि, उन्हें अपने ही घर में विरोध का सामना करना पड़ा।

अब अगर बाजार की बात करें, तो भारत की सबसे तेज धाविका के पास विज्ञापनों और स्पॉन्सर्स बाकी खिलाड़ियों जितने नहीं हैं। हालिया खुलासे के बाद इसमें गिरावट की खबरें भी आई हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह मार्केट या स्पॉन्सर्स दुनिया का दोहरापन नहीं है कि एक तरफ वह दुती चंद के फैसलों को साहसिक बताती है, तो दूसरी तरफ भारत जैसे देश में समलैंगिकता जैसे मुद्दे को लेकर बहुसंख्यक वर्ग की राय को ध्यान में रखते हुए पिछले दरवाजे से फाइनेंशियल मदद से हाथ भी खींच लेती है। ऐड वर्ल्ड के दिग्गजों के मुताबिक, समलैंगिक रिश्तों के खुलासे के बाद दुती चंद को लेकर स्पॉन्सर्स और ब्रांड्स के बीच सोच बदल सकती है। समलैंगिकता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद यह हमारे देश में आज भी एक टैबू माना जाता है।

चंद के पास फिलहाल जूते बनाने वाली कंपनी स्केचर्स इंडिया का एंडॉर्समेंट है, लेकिन यह भी लंबी अवधि के लिए नहीं है।

ब्रांड गुरु संतोष देसाई ने दुती चंद के खुलासे और उनके एंडॉर्समेंट पर पड़ने वाले असर पर बताया, “मेरे ख्याल से कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। जिस तरह की एंडॉर्समेंट या ब्रांड का अवसर उनके पास है, मुझे नहीं लगता कि उस पर कोई असर पड़ेगा। दुती चंद की जेंडर आइडेंटिटी तो पहले भी विवादित रही है, तो मुझे नहीं लगता कि लोग इस वजह से हाथ पीछे खींचेंगे कि वह वह समलैंगिक हैं। अगर कोई हाथ खींचता है तो उसकी दूसरी वजहें भी हो सकती हैं।”

ब्रांड पर असर

दुती चंद क्रिकेटर या बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं हैं, लेकिन जिस तरह की अविश्वसनीय एथलेटिक यात्रा उनकी रही है, उसके बावजूद स्पॉन्सर्स का उनमें रुचि न दिखाना, हैरान करता है।

देसाई आउटलुक को बताते हैं कि ये हो सकता है कि कुछ खास ब्रांड में हुआ हो, लेकिन कुल मिलाकर ऐसा नहीं हो सकता है। अगर आप देखें, तो कुछ ब्रांड्स तो ऐसे भी उन्हें नहीं लेंगे। वह कहते हैं कि हर सेलेब्रिटी का अलग रुतबा होता है, तो मुझे नहीं लगता कि दुती चंद के खुलासे से कुछ असर पड़ेगा।

पांच साल पहले चंद अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर सुर्खियों में आई थीं। 2014 में 18 साल की उम्र में चंद को इस कारण इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स की तरफ से बैन कर दिया गया। इसकी वजह थी, हाइपरएंड्रोजेनिज्म। हाइपरएंड्रोजेनिज्म उस अवस्था को कहते हैं जब किसी लड़की या महिला में पुरुष हॉर्मोन्स (टेस्टोस्टेरॉन) का स्तर एक तय सीमा से अधिक हो जाता है। उन्होंने इस बैन के खिलाफ अपील की और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने 2018 के एशियन गेम्स में 100 मीटर और 200 मीटर वर्ग में सिल्वर मेडल जीता।

दुती चंद जैसी खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए सालाना एक करोड़ रुपये की जरूरत पड़ती है। यह पैसा उनके स्पॉन्सरशिप से आता है। लेकिन भारतीय समाज में होमोफोबिया को देखते हुए कई लोगों को लगता है कि ब्रांड्स गे एथलीट्स से जुड़ना पसंद नहीं करेंगे। हालांकि, ब्रांड गुरु हरीश बिजूर का कहना है, “ब्रांड पर्सनालिटी एक बहुत महत्वपूर्ण चीज होती है। सेलेब्रिटी जब अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात करते हैं, तो ब्रांड के कंज्यूमर पर उसका असर जरूर पड़ता है।”

वह कहते हैं कि अगर एंडॉर्समेंट की बात करें तो उनके पास कुछ एंडॉर्समेंट आ भी सकते हैं, क्योंकि ऐसे भी लोग हैं, जो दुती चंद के फैसले को साहसिक कदम बताएंगे। ऐसे में यह नकारात्मक और सकारात्मक दोनों है।

बदल रहे हालात

बकौल, दुती चंद अभी तक किसी ब्रांड या एंडॉर्समेंट ने उनसे हाथ नहीं खींचा है। खेल और मनोरंजन जगत की हस्तियों की ब्रांडिंग संभालने वाली कंपनी मेराकी स्पोर्ट ऐंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड भी दुती की बातों की तस्दीक करती है। मेराकी की को-फाउंडर और डायरेक्टर नम्रता पारेख बताती हैं, “दुती ने रिश्तों को लेकर जो खुलासा किया है, वह उनके पक्ष में ही काम करेगा। 30 साल पहले हम जिस दुनिया में रहते थे, आज हम उससे अलग दुनिया में रह रहे हैं और रही बात ब्रांड्स की तो कई लोग अभी उनसे संपर्क करने की कोशिश में हैं। यानी उनके रिश्तों के खुलासे का इस पर एक तरह से सकारात्मक असर ही देखने को मिल रहा है।”

जैसा कि दुती ने भी आउटलुक को बताया कि ब्रांड और एंडॉर्समेंट में किसी तरह की कमी नहीं आई है। यानी बदलते वक्त के साथ भारतीय समाज में भी बदलाव दिख रहा है और यह जाहिर होता है नवरातिलोवा और बिली किंग के उदाहरणों से, कि दुती चंद को उनकी तरह आर्थिक नुकसान नहीं झेलना पड़ रहा है।   

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad