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देश की "शूटर दादी" बीमार, 65 साल की उम्र से करिअर शुरू कर ऐसे बना दिए रिकार्ड

‘शूटर दादी’ के नाम से मशहूर बागपत (यूपी) की 87 साल की चंद्रो तोमर बीमार हो गई हैं। उन्हें पेट में...
देश की

‘शूटर दादी’ के नाम से मशहूर बागपत (यूपी) की 87 साल की चंद्रो तोमर बीमार हो गई हैं। उन्हें पेट में दर्द और छाती में संक्रमण के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया है। यहां उनकी जांच करने के बाद इलाज शुरू हो गया है। अब उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। जानिए कैसे एक छोटे से गांव की बेड़ियां तोड़कर छह बच्चों की मां और 15 पोतों की दादी चंद्रो तोमर ने 65 की उम्र के बाद खेल जगत में अपना नाम बनाया और कैसे बनी शूटर दादी।

ऐसे हुई थी शुरूआत

अब आप सोच रहे होंगे कि वे शूटिंग में कैसे पहुंच गई। दरअसल हुआ यूं कि एक बार चंद्रो तोमर अपनी पोती जो शूटिंग सीखना चाहती थी के साथ जोहरी राइफल क्लब में गई, लेकिन उनकी पोती अकेले जाने से शर्मा और डर रही थी, क्योंकि वहां शूटिंग सिखने के लिए सभी लड़के ही थे। तब तोमर ने उस राइफल रेंज में एक पिस्तौल उठाई और लक्ष्य पर गोली चलानी शुरू कर दी जैसे कि यह उनके लिए वो रोज का काम हो।  

यह देख क्लब के कोच, फारुख पठान तोमर की शूटिंग के कौशल से हत्प्रभ रह गए, उन्होने यह देख तोमर को क्लब में शामिल होने और निशानेबाज बनने के लिए प्रशिक्षण शुरू करने के लिए कहा, बाकी इतिहास है। तोमर के कोच पठान ने एक समाचार पत्रिका को बताया था कि तोमर के पास उच्च कोटी का कौशल, एक स्थिर हाथ और एक तेज आंख है, जो उन्हे एक बेहतरीन निशानेबाज बनाती हैं।

छह बच्चें और 15 पोतें

छह बच्चों और 15 पोतों वाली चंद्रो तोमर आपको एक आम दादी जैसी जरूर लग सकती हैं, लेकिन वह आम नही बल्कि बहुत खास हैं। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित जौहरी नामक एक छोटे से गाँव में रहते हुए, उनकी कहानी बहुत ही रोमांचक है, जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या ऐसा भा हो सकता है।

'शूटर दादी' या 'रिवॉल्वर दादी' के नाम से मशहूर तोमर ने पूरे भारत में 25 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और जीत हासिल की। उनका यह करतब अपने आप में उल्लेखनीय है, लेकिन आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि उन्होने 65 साल की उम्र में शूटिंग करना सीखा था। अपने जुनून का पालन करने के लिए वास्तव में कभी भी देर नहीं हुई है और चंद्रो तोमर इसका जीता जागता प्रमाण हैं। आज वह कथित तौर पर दुनिया की सबसे बुजुर्ग (महिला) शार्पशूटर है।

1999 से 25 नेश्नल चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं

गौरतलब है कि शूटर दादी देश भर में अपने शूटिंग के कारनामों से काफी मशहूर हैं। 1999 से चंद्रो ने पूरे भारत में 25 नेश्नल चैम्पियनशिप में भाग लिया और सभी को जीता। उन्होंने चेन्नई में आयोजित वेटरन शूटिंग चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने गांव और उसके आसपास की सैकड़ों लड़कियों को बंदूक चलाना सिखाया और उन्हें मैडल भी मिले।

उनपर बन रही है फिल्म

बिमार होने से पहले वे उनपर बन रही फिल्म के कलाकारो के साथ व्यस्त थी। उनके जीवन के बारे में जानने के लिए फिल्म के सितारे उनके घर पर ही ठहरे हुए थे। निर्माता अनुराग कश्यप इस फिल्म को बना रहे हैं। इसमें भूमि पेडनेकर और तापसी पन्नू मुख्य भूमिकाओं में हैं, फिल्म का शीर्षक है ‘सांड की आंख’।

अन्य महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा का स्रोत

कहा जाता है कि एक बुरी मछली पूरे तालाब को गंदा कर सकती है लेकिन यह दूसरे तरीके से भी सही भी बैठती है। तोमर के धैर्य और लोकप्रियता ने उनके आसपास के क्षेत्र में कई अन्य महिलाओं के जीवन को प्रभावित किया है।

गांवों और छोटे शहरों में महिलाओं की स्थिति के बारे में बात करते हुए तोमर ने एक बार कहा था कि हमारे गाँव में, उन्हें बाहर जाने वाली महिलाएँ पसंद नहीं हैं, बल्कि उन्हें घरेलू काम करने वाली महिलाएं पसंद हैं। लेकिन, उनकी सफलता ने महिलाओं में आत्मनिर्भरता की एक नई लहर को जन्म दिया है। 25 से अधिक महिलाओं ने अब राइफल क्लब में प्रशिक्षण लेने के लिए अपने पारंपरिक घरों के बाहर कदम रखा है।

परिवार में अधिकांश सभी महिलाएं हैं शूटर

तोमर की बेटी सीमा 2010 में राइफल और पिस्टल विश्व कप में पदक जीतने वाली पहली महिला बनीं थी और उनकी पोती नीतू सोलंकी ने हंगरी और जर्मनी जैसे देशों में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इतना ही नहीं उनकी 80 वर्षीय भाभी, प्रकाशी तोमर भी अव्वल दर्जे की शार्पशूटर हैं, जिन्होंने एक बार पुलिस उपाधीक्षक को हराया था। जिसके बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की कोच नीतू श्योराण के अनुसार उन्होंने प्रस्तुति समारोह के लिए आने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि वह एक बूढ़ी महिला से हारकर अपमानजनक महसूस कर रहे हैं।

शूटर दादी की फेसबुक पर भी काफी लोकप्रिय हैं। उन्होने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनलों और शो में अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराई है। जिससे साफ साबित होता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और सीखने की कोई उम्र नही होती।

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